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ASHUTOSH JHA
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Profile Information

Gender
Male
City State
Kanpur U.P.
Native Place
India

ASHUTOSH JHA's Blog

"मेरे दोस्त"

कई पेड़ों की तरह वह भी एक पेड़ था

शब्दों के खांचों से दूर.............



छुटपन में कभी कोई गुठली फेंक दिया था

प्रकृति ने अपना काम शुरू किया था



समय गुज़रा लाल कोंपल था दिखा

ख़ुशी हुई बच्चे ने बच्चे को देखा



एक पेड़ जो मुझे जन्म से देख रहा था

एक पेड़ जिसको जन्म से मैं देख रहा था



एक अनजान दरख़्त

एक थोड़ा जाना पहचाना ........



मेरे दुआर का पेड़ मेरी ऊँचाई लाँघ गया

ख़ुशी ख़ुशी मैं उसके कंधों पर भाग गया



बहुत से जीव मेरे… Continue

Posted on April 9, 2017 at 4:26pm — 8 Comments

अपने दिल की कहाँ सुनता हूँ

मैं अपनी कमीज़ गंदी करके पहनता हूँ।
मैं आज भी चाय ठंडी करके पीता हूँ।

सुबह की धूप से मेरी मौसिकी नहीं आज भी।
रात की यारी मैं आज भी पक्की करके जीता हूँ।

न सताया करो देखकर यूँ कभी-कभी।
मैं आज भी ज़ेहन में तुमसे कत्ल होकर मिलता हूँ।

खुश है कि नहीं कोई परिंदा दिल का।
कैसे हो पता मैं आज भी अपने दिल की कहाँ सुनता हूँ।


-------------------------------------------

मौलिक और अप्रकाशित

Posted on April 2, 2017 at 12:06am — 6 Comments

समझ

समझता था ख़ुद को ज़र्रे से भी कमतर मगर

मिला वज़ूद से तो सैलाब निकला...



ज़ेहन में पड़े हैं अब भी बहुत से किर्च मगर

बहुतों के हिसाब से आफ़ताब निकला...



ढूंढा चाँद को सबने फ़क़त मगर

आँखवाला नहीं कोई भी जनाब निकला...



जाते हैं रस्ते से सब ही इसी तरह

कुछ के पैरों से रस्ता बेहिसाब निकला...



निकला न करो छुप कर हमसे मेरे नसीब

तुमसे भी कभी मेरा इख़्तियार निकला...



फ़ुरसत के पल न ढूंढा करो मिलने के

जब जब रहा ज़ेहन में तेरा दीदार…

Continue

Posted on February 27, 2017 at 12:00am — 4 Comments

मुझे याद है ....

मुझे याद है

जानबूझ कर वो मेरा सामान भूल जाना....
ज़ोर देकर तुमने

जिसे  कहा बार बार कि ले जाना ...
कि इसी बहाने

चोरी से तुम उसे रख दोगी...
और मुझे फिर

एक बहाना मिल जाएगा

इस तरह मुस्कुराने का....


मौलिक और अप्रकाशित।

Posted on January 4, 2017 at 8:00pm — 14 Comments

Comment Wall (2 comments)

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At 3:50pm on August 30, 2015, ASHUTOSH JHA said…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।आप के द्वारा नए रचनाकारों को जहां एक मंच मिलेगा वहीं दिग्गजों को अपना कौशल प्रदर्शन का एक और मौका।
At 9:30am on August 30, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

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भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

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