For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

AJAY KANT
  • Male
  • Bangalore
  • India
Share on Facebook MySpace

AJAY KANT's Friends

  • Albela Khatri
  • डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
  • Saurabh Pandey
  • आशीष यादव
  • योगराज प्रभाकर
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
  • PREETAM TIWARY(PREET)
 

AJAY KANT's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
KARNATAKA
Native Place
JAMSHEDPUR
Profession
Software
About me
I am ver down to earth person.......have been spending some time reading / writing in hindi and want to contribute to hindi sahitya.

AJAY KANT's Blog

पापा मम्मी आप भी आओ

पापा मम्मी आप भी आओ



उन पुरानी गलिओं से फिर

ख्याल अपने दिल तक आये

आँगन में थे खिलते उन कलियों से

सवाल अपने दिल तक आये

दौरते आते सारे किस्से

कोई बैठकर मुझे सुनाओ

आँखे तरस रही दर्शन को

पापा मम्मी आप भी आओ





गहरी जाती उन घाटीयों से

संकराति गूंजे घूम रही हैं

चट्टानों पे रेत की बूंदे

अब भी मानो झूम रही हैं

भूलते जाते उन पन्नो से

पुरानी कुछ गजलें सुनाओ …

Continue

Posted on November 3, 2012 at 12:27pm — 3 Comments

जब भी जिंदगी को सोचता हूँ

भंगुरता सी प्रतीत हो रही

जब भी जिंदगी को सोचता हूँ

रोज की जद्दोजहद में फंसा मैं

मस्तिष्क पटल को नोचता हूँ

उतार चढ़ाव से उतना नहीं परेशान

लेकिन कुछ छूट रहा सा लग रहा है

डग लम्बे भर रहा लेकिन

मंजिल और दूर सी लग रही है

बहुत हिम्मत करके कभी कभी

आँगन में नए पौधे लगाता हूँ

बिखरे हुए सपनो को सामने करके

नयी दिशा को पग बढ़ाता हूँ

लेकिन परिवार और समाज में बंधा

मुल्ला की…

Continue

Posted on June 5, 2012 at 5:30pm — 4 Comments

सुन रहा रात की धमनी शिराओं से

बन गया मुसाफिर इस दुनिया में

सुख दुःख की लाँघ सीमाओं को

सुबह से चलता चलता अब

सुन रहा रात की धमनी शिराओं से

 

कोई पुकारता है दूर चट्टानों से

कोई ढूंढ़ता है मुझे मेरे बहानो से

उन झुरमुटों को साथ ले चला आया

मैं अब किस दिशा को बढ़ चला हूँ

कंधे पर भार लगते नहीं हैं

कोई पूछे सवाल कहारों से

सुबह से चलता चलता अब

सुन रहा रात की धमनी शिराओं से

रोक कर कई पूंछते हैं 

शहर  किधर को…

Continue

Posted on February 4, 2012 at 8:07pm

एक बार और

एक बार और



एक बार और जीने की ख्वाहिश हुई

और उमंगे सातवें आसमान छूने को है

एक बार और मन के बीज अंकुरित हुए

और दिल की सरहदें खुलने को है



असंभव कुछ पहले भी नही था

लेकिन इंद्रियां जुड़ नही रही थी

मन… Continue

Posted on May 25, 2011 at 2:00pm — 1 Comment

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service