For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

कुण्डलिया एक विशिष्ट छंद है.
यह वस्तुतः दो छंदों का युग्म रूप है. जिसमें पहला छंद दोहा, तो दूसरा छंद रोला होता है. यानि एक दोहा के दो पदों के बाद एक रोला के चार पद.
यानि, कुण्डलिया छः पक्तियों या पदों का छंद है.

दोहा और रोला के विशिष्ट नियम साझा हो चुके हैं. इसके आगे, इनके संयुक्त को प्रारूप को कुण्डलिया छंद बनने के लिए थोड़ी और विशिष्टता अपनानी पड़ती है :.

1. दोहा के पहले चरण (विषम चरण) का पहला शब्द या पहला शब्दांश या पहला शब्द-समूह रोला के आखिरी चरण (सम चरण) का शब्द या शब्दांश या शब्द-समूह क्रमशः समान होता है.

2. दोहा का दूसरा सम चरण रोला का पहला विषम चरण होता है. अर्थात, दोहा का दूसरा सम चरण पुनः रोला वाले भाग के पहले चरण की तरह उद्धृत होता है यानि, दोहा के दूसरे सम चरण का वाक्य रोला के पहले विषम चरण का वाक्य हू-ब-हू होते हैं.

3. बाकी नियमों के लिए दोहा अपने मूल नियमों से सधा होता है तो रोला भी अपने मूल नियमों से बँधा होता है.

इसे अधिक बेहतर, यों समझ सकते हैं :

कखगघ xxxx xxx xx, xxxx xxx xxx                  |
xxx xxx xx xxx xx,चछजझ टठडढ तथद            |___.... दोहा
चछजझ टठडढ तथद, xxx xx xxxx xxxx            |
xxxx xxxx xxx, xxx xx xxxx xxxx                     |
xxxx xxxx xxx, xxx xx xxxx xxxx                     |
xxxx xxxx xxx, xxx xx xxxx कखगघ                 |___.....रोला

यहाँ दोहे का कखगघ और रोले का कखगघ समान शब्द या शब्दांश या शब्द-समूह होते हैं.
यानि, ध्यातव्य है कि यदि दोहे का कख ही स्वीकारा गया है तो रोला का आखिरी शब्द गघकख हो जायेगा. या दोहा का पहला शब्द-समूह कखगघ xx लिया गया है तो रोला का आखिरी शब्द-समूह कखगघ xx होगा.

चूँकि, इस छंद में पहले और आखिरी शब्द या शब्दांश या शब्द-समूह की क्रमशः समानता हुआ करती है, अतः यह प्रक्रम एक शब्द-वृत बनाता हुआ प्रतीत होता है, या, यह किसी साँप को कुण्डली मार कर बैठे होने का आभास देता है. यानि, जिस शब्द से प्रारम्भ उसी शब्द से अंत.
इसी कारण, इस छंद का नाम ’कुण्डलिया’ पड़ा है.

कुण्डलिया छंद के अन्य प्रारूप भी होते हैं, जहाँ रोला वाले भाग में कवियों द्वारा यति-लोप की छूट ली जाती है. या, रोला के चरण विन्यास में आंतरिक परिवर्तन कर कवियों द्वारा कौतुक उत्पन्न करने की चेष्टा की जाती है. लेकिन हम कुण्डलिया के मूलभूत और शाश्वत नियमों का ही अनुपालन करेंगे. ताकि हम कुण्डलिया के शास्त्रीय रूप के अभ्यासी हों.

कुण्डलिया में प्रयुक्त दोहा और रोला के पदों के शब्द-संयोजन का विन्यास हम पुनः देखते हैं--

1. दोहे का आदि चरण यानि विषम चरण विषम शब्दों से यानि त्रिकल से प्रारम्भ हो तो संयोजन 3, 3, 2, 3, 2 होगा और चरणांत रगण (ऽ।ऽ) या नगण (।।।) होगा.

2. दोहे का आदि चरण यानि विषम चरण सम शब्दों से यानि द्विकल या चौकल से प्रारम्भ हो तो संयोजन 4, 4, 3, 2 होगा और चरणांत रगण (ऽ।ऽ) या नगण (।।।) होगा.

3. दोहे के सम चरण का संयोजन 4, 4, 3 या 3, 3, 2, 3 होता है.

4. रोला के विषम चरण का संयोजन या विन्यास दोहा के सम चरण की तरह ही होता है, यानि 4, 4, 3 या 3, 3, 2, 3

5. रोला के सम चरण का संयोजन 3, 2, 4, 4 या 3, 2, 3, 3, 2 होता है.

उदाहराणार्थ कुछ कुण्डलिया छंद -
1)
बिना विचारे जो करे सो पाछे पछिताय
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय
जग में होत हँसाय चित्त में चैन न पावै
खान पान, सम्मान, राग-रंग मनहिं न भावै।
कह गिरधर कविराय दु:ख कछु टरहिं न टारे
खटकत है जिय माहिं कियो जो बिना विचारे.... . .. .(गिरधर)

2)
हारे मन तो हार है, जीते मन तो जीत
मन ही तो नफरत करे, मन ही करता प्रीत
मन ही करता प्रीत, सभी कुछ मन से होता
मन करता परिहास, अंत में मन ही रोता
कहें 'कपिल ' कविराय, गिना करता है तारे
भाषा मन की भिन्न, किसी से कभी न हारे ...... .. (कपिल कुमार)

3)
केवल नदिया ही नहीं, और न जल की धार।
गंगा माँ है, देवि है, है जीवन- आधार।
है जीवन- आधार, सभी को सुख से भरती।
जो भी आता पास, विविधि विधि मंगल करती।
'ठकुरेला' कविराय, तारता है गंगा-जल।
गंगा अमृत - राशि, नहीं यह नदिया केवल. .. .. (त्रिलोक सिंह ठकुरेला)
******
ध्यातव्य : आलेख उपलब्ध जानकारियों के आधार पर है

Views: 19632

Replies to This Discussion

अति सुन्दर जानकारी, आदरणीय सौरभ सर जी! यह हमारे लिये अत्यंत उपयोगी है। इतनी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने के लिये आपका कोटिश: आभार।

कुण्डलिया छंद पर आलेख पसंद आया इसके लिए हार्दिक धन्यवाद भाई विन्ध्येश्वरी जी.

सुदर जानकारी सरल शब्दों में उपलब्ध हुई है | आपके ये प्रयास हम लोगो के लिए बहुत ही उपयोगी होते है | हार्दिक आभार आदरणीय 

सादर धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मणजी

अत्यंत उपयोगी जानकारी उपलब्ध कराने हेतु आपका हार्दिक abharआभार आ0 सौरभ जी । सादर 

सादर धन्यवाद आदरणीया अन्नपूर्णाजी

आदरणीय सौरभ सर, कुंडलियाँ छंद को सहजता से समझाने के लिए आभार.

जय-जय

दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार।

कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार।

पाता है आकार, छंद शब्दों में बैठे।

शब्दों का विन्यास, भाव में पूरा पैठे।

कहते सब कविराय, छंद तब ही तो सोहे।

रोला का जब साथ, निभाते दिखते दोहे।।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी, आपका यह अफसोस मंच के लिए, मंच के आयोजनों के लिए, उत्साहवर्द्धक है. …"
38 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय दयाराम जी, आयोजन में आपकी प्रस्तुति पर गुणीजनों ने विस्तार से चर्चा की है. यह आपके…"
42 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजेय जी नमस्कार  बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरिराज जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की चर्चा…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार  बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय सौरभ जी  बहुत शुक्रिया आपका  आप सभी गुणीजनों की प्रतिक्रिया पर ध्यान देकर अपनी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय  गजेंद्र जी  बहुत शुक्रिया आपका और भी बेहतरी हो सके उसका प्रयास जारी रहेगा ,…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय दयाराम जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//ज़िन्दगी में रूठ जाए मीत अपना जब कभीतो मनाने को उसे मनुहार भी करते रहे// मतले सहित ये शेर बहुत…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी प्रस्तुति और इसके शेरों के कहन पर मेरे पहुँचने तक अच्छी-खासी चर्चा…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शुक्रिया गजेन्द्र भाई जी।"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service