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आयास चाहती है दोहे की सिद्धि :: डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तवमहद्धनं यदि ते भवेत्, दीनेभ्यस्तद्देहि। विधेहि कर्म सदा शुभं, शुभं फलं त्वं प्रेहि ॥ (यदि आप बहुत धन वाले हैं तो उसे दीनों को दान करें I स… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
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Jun 27, 2021 Reply by Om Parkash Sharma |
सदस्य टीम प्रबंधन मात्रिक पदों में शब्द-संयोजनमात्रिक छंदों में गेयता की सुनिश्चितता हेतु निम्न विन्दुओं को ध्यान से देखें. शब्दों के उच्चारण और उसकी मात्राओं के समवेत स्वरूप के अनुसा… Started by Saurabh Pandey |
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Jun 27, 2021 Reply by Om Parkash Sharma |
हिन्दी छन्द परिचय, गण, मात्रा गणना, छन्द भेद तथा उपभेद - (भाग १)हिन्दी छन्द परिचय, गण, मात्रा गणना, छन्द भेद तथा उपभेद पिछले दिनों हिन्दी काव्य भूमि के नव हस्ताक्षरों के साथ एक कार्यशाला में सम्मिलित… Started by वीनस केसरी |
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Jul 12, 2020 Reply by अंकित कुमार नौटियाल |
फर्क है ग़ज़ल और छंद के मात्रिक विधान में :: डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव\जब से हिन्दी में ‘ग़ज़ल ’ लिखना शरू हुआ तब से हिन्दी के वर्णिक गण ‘नगण’ को हिन्दी के कवियों ने भी लगभग नकार दिया है I इससे हिन्दी की छंद रच… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
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Jun 6, 2020 Reply by Saurabh Pandey |
फ़ारसी की बह्र बनाम हिन्दी के छंद डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवमेरे अग्रज कवि मित्र श्री मृगांक श्रीवास्तव ने मेरा आलेख ‘फर्क है ग़ज़ल और छंद के मात्रिक विधान में” पढकर जिज्ञासा प्रकट की कि क्या उर्दू की… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
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Jun 6, 2020 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य टीम प्रबंधन पद्य-रचनाओं में पंक्चुएशन के चिह्न // --सौरभवस्तुतः, ग़ज़ल या छान्दसिक रचनाएँ पढ़ने की चीज़ थी ही नहीं. ये श्रोताओं द्वारा सुनने के लिए लिखी अथवा कही जाती थीं. काव्यगत प्रस्तुतियों की अवध… Started by Saurabh Pandey |
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Dec 6, 2019 Reply by Dr.Prachi Singh |
सदस्य टीम प्रबंधन हरिगीतिका छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभइस पाठ में हम हरिगीतिका छन्द पर चर्चा करने जा रहे हैं. यह अवश्य है कि हरिगीतिका छन्द के विधान पर पहले भी चर्चा हुई है. लेकिन प्रस्तुत आलेख… Started by Saurabh Pandey |
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Dec 6, 2019 Reply by Dr.Prachi Singh |
तोमर छंदतोमर छंद (परिभाषा ) तोमर छंद एक मात्रिक छन्द है जिसके प्रत्येक चरण में १२ मात्राएँ होती हैं | पहले और दुसरे चरण के अन्त में तुक होता है, औ… Started by Er. Ambarish Srivastava |
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Sep 21, 2019 Reply by Samar kabeer |
सदस्य टीम प्रबंधन शक्ति छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभचार पदों तथा दो-दो पदान्तता वाले शक्ति छन्द में प्रति पद कुल अट्ठारह मात्राएँ होती हैं. छन्द परम्परा के अनुसार - १. इस छन्द में पद का प्रा… Started by Saurabh Pandey |
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Sep 21, 2019 Reply by Gajendra Dwivedi "Girish" |
सदस्य टीम प्रबंधन वीर छंद या आल्हा छंदवीर छंद दो पदों के चार चरणों में रचा जाता है जिसमें यति १६-१५ मात्रा पर नियत होती है. छंद में विषम चरण का अंत गुरु (ऽ) या लघुलघु (।।) या लघ… Started by Saurabh Pandey |
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Sep 12, 2017 Reply by Samar kabeer |
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