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सामाजिक सरोकार Discussions (89)

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आखिर कब तक लुटेगी दामिनी ---अखंड गहमरी की प्रस्‍तुति

Akhand Gahmari दिल्‍ली में दामिनी कांड को एक साल पूरे हेाने वाले है। फॉंसी की सजा सुनाये भी महीनो हो चुके है,मगर आज तक वह अपराधी केवल सलाखो…

Started by Akhand Gahmari

0 Nov 11, 2013

जीवन गाथा - आजादी के मूक योद्धा श्री नारायण सिंह जसवाल ( भाग 1)

  आज पाश्चात्य संस्कृति मे रच बस रहे युवाओं के लिए आजादी का मतलब सिर्फ अपनी आजादी है। वे इस बात से बिलकुल बेखबर हैं की आज यदि हम आजाद है तो…

Started by annapurna bajpai

0 Sep 20, 2013

शिक्षक के सम्मान में गिरावट या वृद्धि?

स्वप्रज्ञा बुद्धि बलेन चैव, सर्वेषु नृण्वीय विपुलम् गिरीय। अज्ञान हंता,ज्ञान प्रदोय: त: सर्वदोह गुरुवे नमामि।। आज तकनीकी युग में कम्प्यूटर…

Started by Vindu Babu

4 Sep 6, 2013
Reply by Vindu Babu

देश के विकास मे उच्च शिक्षा की आवश्यकता ...

शिक्षा ही मानव को मनुष्य बनती है |मनुष्य की चेतना का निर्माण शिक्षा से ही होता है |  ये  ही  हर देश , समाज , परिवार के सम्पूर्ण विकास  लिए…

Started by aman kumar

0 Aug 19, 2013

FOOD BANK IN VILLAGES

प्रिय मित्रो, एक प्रस्ताव है, आपकी क्या राय है? हो सकता है कि निम्न भारत में अब हो भी रहा हो, यदि हाँ तो मैं इस प्रस्ताव के लिए क्षमाप्रा…

Started by vijay nikore

1 Aug 11, 2013
Reply by Vindu Babu

सदस्य कार्यकारिणी

दोष किसका??

दोष किसका??  हेल्लो कौन बोल रही हो? मैं सीमा बोल रही हूँ आप कौन ? तेरी दुश्मन तू दोस्ती के नाम पर कलंक है तू दोस्त नहीं आज से  मेरी पक्की द…

Started by rajesh kumari

7 Jul 26, 2013
Reply by rajesh kumari

आज के समाज का १९५७ का चित्रण

मित्रो,   १९५७ में Ayn Rand ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी थी..Atlas Shrugged.   इस पुस्तक में उन्होंने आने वाले समाज का प्रक्षेपण क…

Started by vijay nikore

3 Jul 9, 2013
Reply by Krishan Kumar Garg

आईपीएल की कालिख

क्रिकेट अब खेल नहीं रहा बल्कि अकूत धन और शोहरत कमाने का जरिया भर रह गया है। क्रिकेट की लोकप्रियता ने जिस तरह की चकाचौध को जन्म दिया है उसका…

Started by बृजेश नीरज

2 Jun 20, 2013
Reply by बृजेश नीरज

मजदूर दिवस

     हर वर्ष 1 मई ‘मजदूर दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। देश और समाज के विकास में मजदूरों के योगदान पर चर्चा होती है, उन्हें लाल, पीला, नील…

Started by बृजेश नीरज

2 May 1, 2013
Reply by बृजेश नीरज

Child Development and Societal Priorities

                 Child Development and Societal Priorities     Our children are our real assets, a nation's best asset.   If we begin conc…

Started by vijay nikore

3 Apr 23, 2013
Reply by बृजेश नीरज

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Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
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"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
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