For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है- नौ रातें। इन नौ रातों को लेकर ही हिन्दू मतावलंबी इसे शक्ति-पर्व के रूप में मनाते हैं। भगवती की उपासना के इस पर्व में माँ दुर्गा की उपासना की जाती है और काफी श्रद्धालु नौ दिनों तक व्रत रखते हैं, नियम-संयम से रहते हैं। यह एकमात्र पर्व है जो साल में दो बार मनाया जाता है- एक बार इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है जो वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद आता है और दूसरा चैत्रीय नवरात्रि जो शीत ऋतु की समाप्ति के बाद आता है। नवरात्रि के दौरान तीन हिन्दू देवियों पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन्हें ही नवदुर्गा भी कहा जाता है। इस वर्ष चैत्रीय नवरात्रि 16 मार्च से शुरू हुआ।

शक्ति की उपासना के इस पर्व पर चैत्र और शरद की प्रतिपदा से नवमी तक नौ तिथियों, नौ नक्षत्रों और नौ शक्तियों की उपासना के पर्व के रूप में सनातन काल से मनाया जाता है। सर्वप्रथम श्रीरामचन्द्रजी ने शारदीय नवरात्रि की पूजा की शुरुआत समुद्र तट पर की थी और उसके बाद दसवें दिन लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रस्थान किया था। भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय हासिल की थी। तब से असत्य और अधर्म पर सत्य और धर्म की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा पर्व हर वर्ष मनाया जाता है।

भगवती के हर रूप की नवरात्रि के नौ दिनों में अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। दस रूपों में काली ही प्रमुख और प्रथम हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाएँ अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा के लिए लालायित रहते हैं।
नवरात्रि क्यों मनाई जाती है और माँ दुर्गा की आराधना क्यों की जाती है?
इसको लेकर दो कथाएँ प्रचलित हैं।
कथा - लंका युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण-वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और विधि के अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ 108 नीलकमल की। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरत्व प्राप्त करने के लिए चंडी पाठ प्रारंभ कर दिया। यह बात पवन के माध्यम से इन्द्रदेव ने श्रीराम तक पहुँचवा दी। रावण ने मायावी तरीके से पूजास्थल पर हवन सामग्री में से एक नीलकमल गायब करा दिया जिससे श्रीराम की पूजा बाधित हो जाए। श्रीराम का संकल्प टूटता नजर आया। श्रीराम को याद आया कि उन्हें कमल-नयन भी कहा जाता है तो क्यों न एक नेत्र को वह माँ की पूजा में समर्पित कर दें। श्रीराम ने जैसे ही तूणीर से अपने नेत्र को निकालना चाहा तभी माँ दुर्गा प्रकट हुईं और कहा कि वह पूजा से प्रसन्न हुईं और विजयश्री का आशीर्वाद दिया।
रावण की पूजा के समय हनुमान जी ब्राह्मण बालक का रूप धरकर पहुँच गए और पूजा कर रहे ब्राह्मणों से , हरिणी की जगह करिणी करबा दिया। करिणी का अर्थ होता है पीड़ा देने वाली। इससे माँ दुर्गा रावण से नाराज हो गईं और रावण को श्राप दे दिया। रावण का सर्वनाश हो गया।
कथा -महिषासुर की उपासना से खुश होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वर दिया । उस वरदान पाकर महिषासुर ने उसका दुरुपयोग शुरू कर दिया और नरक को स्वर्ग तक विस्तारित कर दिया।
महिषासुर ने सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, अग्नि, वायु, यम, वरुण और अन्य देवतओं के भी अधिकार छीन लिए और स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं को महिषासुर के भय से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था। तब महिषासुर के दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने माँ दुर्गा की रचना की। महिषासुर का वध करने के लिए देवताओं ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्र माँ दुर्गा को समर्पित कर दिए थे जिससे वह बलवान हो गईं। नौ दिनों तक उनका महिषासुर से संग्राम चला था और अन्त में महिषासुर का वध करके माँ दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कहलाईं। शारदीय नवरात्रि के रूप में मनाया जाने वाला पर्व दुर्गा-पूजा और दशहरे के रूप में मशहूर है जबकि चैत्र में मनाया जाने वाला पर्व रामनवमी और बसंत नवमी के रूप में प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।

नवमी के दिन लोग झाँकियाँ भी निकालते हैं। नवरात्रि में हम शक्ति की देवी माँ दुर्गा की उपासना करते हैं। इस दौरान कुछ भक्त नौ दिन का उपवास रखते हैं तो कुछ सिर्फ प्रथम और अन्तिम दिन फलाहार का सेवन करते हैं। शेष दिन सामान्य भोजन करते हैं लेकिन मांसाहार नहीं करते। अपनी-अपनी श्रद्धा और शक्ति के अनुसार ही उपासना की जाती है। अधिकतर श्रद्धालु दुर्गासप्तशती का पाठ करते हैं। दरअस्ल नवरात्रि में उपासना और उपवास का विशेष महत्व है। उप का अर्थ है निकट और वास का अर्थ है निवास। अर्थात् ईश्वर से निकटता बढ़ाना। यह माना जाता है कि उपवास के माध्यम से ईश्वर को अपने मन में ग्रहण करते हैं- मन में ईश्वर का वास हो जाता है। उपवास के बहाने हम अपनी आत्मिक शुद्धि भी कर सकते हैं- अपनी जीवनशैली में सुधार ला सकते हैं। हिन्दू धर्म में उपवास का सीधा-सा अर्थ है आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए अपनी भौतिक आवश्यकताओं का परित्याग करना माना जाता है। शरीर और आत्मा के बीच एक रागात्मक संबंध स्थापित होता है। उपवास केवल ईश्वर के प्रति समर्पण नहीं बल्कि स्वयं को अनुशासित करने का उपकरण भी है।

Views: 682

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service