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भोजपुरी साहित्य Discussions (247)

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सुनलिस नू ललमतिया ?

अन्यायी के अब तू खोर खईहे  अब ना केकरो से तू डेरईहे, आपन हक़ खातिर डेग बढ़ईहे  ना मिले त छीनभी लीहे, मत लजईहे, मत सकुचईहे सुनलिस नू ललमतिय…

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

0 Jan 14, 2012

याद केहू क अब आ रहल बा

आज  दिल पर नशा छ रहल बा, याद केहू क अब आ रहल बा| किश्मत में रहे मुलाकात हो गईल देखsते देखsते इक दिन बात हो गईल| बात के गीत दिल गा रहल बा; य…

Started by आशीष यादव

0 Nov 17, 2011

ज्ञान के देवी हई माई सुरसती ,

माई सुरसती  हो माई सुरसती , ज्ञान के देवी हई माई सुरसती , कमवा बिगरी जबे मार लिहे मति , ज्ञान के देवी हई माई सुरसती ,  इहे जबे मंथरा जिभि…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Sep 15, 2011

अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "पांचवा कड़ी"

पांचवा कड़ी . पंडित जी देवव्रतबाबू के साथ मंदिर में पूजा कईला के बाद कहले जजमान अब कवनो प्रकार के बाधा न रह गईल, अब राउआ आराम से चली लोग छे…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Sep 14, 2011

अइसन बुझात बा

जनलो -चिन्ह्लको लोग आज कतरात बा I दिन आपन लद गइल अइसन बुझात बा I   दिन -रात पाछे -पाछे काल्ह तक जे लागल रहे I उहो आज हमरा के देखिके परात बा…

Started by satish mapatpuri

8 Sep 9, 2011
Reply by satish mapatpuri

अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "चउथका कड़ी"

 "तिसरका कड़ी" इहवाँ क्लिक करीं चउथकी कड़ी  . देवव्रतबाबू के दुआर पर अब्दुलमियाँ आउर उनकरा संगे चार पाँच आदमी बइठल रहन. पंडितजी पतरा निकाल…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Sep 8, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

मुख्य प्रबंधक

भोजपुरी लघु कथा :- धोबी के बकरा

रज्जू रजक के जवान खस्सी (बकरा) गाँव के मनबढ़ूवन के आँख के किरकिरी बन गइल रहे, जब खस्सी पर नजर जाए तब जीभ लपलपा जात रहे, सांझ के संतोष पांडे…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

7 Sep 8, 2011
Reply by Brij bhushan choubey

अब त बाबू इंजीयर बा (हमार पहिला भोजपुरी कहानी) भाग-१

               परसिद्धन के दुआरे लोगन क भीड़ जुटल रहे| खटिया मचिया चौकी कुर्सी कुल पर लोग बईठल रहलं| अंगना में मेहरारू आ लईकी गजाइल रहलीं| प…

Started by आशीष यादव

6 Sep 8, 2011
Reply by Brij bhushan choubey

धरम-अधरम के

धरम-अधरम के बात जनि करिह तू  I पईसा बनाइह त भईया नाही लड़ीह तू I   लूटे के बाटे त मिलिए के रहीह हो I चोर के चोर बाबु कबो ना काहीह तू I   जा…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Sep 2, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

हाय रे राजनीती ,

हाय रे राजनीती , तू केतना निचे जाइब , महंगाई तहरा ना लाउकी , केतना के मुआईबा , हाय रे राजनीती ,तू केतना निचे जाइब , आटा चाउर के भाव के छोड…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Aug 27, 2011

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