For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "पांचवा कड़ी"

पांचवा कड़ी

.

पंडित जी देवव्रतबाबू के साथ मंदिर में पूजा कईला के बाद कहले जजमान अब कवनो प्रकार के बाधा न रह गईल, अब राउआ आराम से चली लोग छेका लेके चलल जाव इ पूजा के बाद सब ठीक हो गइल बा तभी उहा प्रकाश आइके कहलन बाबु जी पंडित जी के दुआर पर लेके चली खाना तैयार हो गइल बा , तब देवव्रतबाबू पुछलन अब्दुल भाई और रहीम कहा बा लोग तब प्रकाश बोलले उहा लोगिन दुआर पर तैयार होके बाईठल बानी लोग , तब देवव्रतबाबू कहलन जाके बोला की उ लोग के की हम आवत बानी पंडित जी चली राउओ चले के बा रघुनाथ बाबु किहा उहा के जहिया बबुनी के देखे आइल रहनी ता रौआ के खास कर के बोलावले बानी आउर उहा से चल दिहलस लोग , जिप तैयार रहे सब कोई बईठ गइल रहे गाड़ी चल पडल , इहा रघुनाथ बाबु के घर पर तयारी चालत रहुवे केहू झारू लगावत बा ता केहू पानी छिरकत बा केहू चौकी बिछावत बा एक तरफ खाना बन रहल बा तभी एक आदमी आके रघुनाथ बाबु से पुछालास चाचा हित लोग कव आदमी आई , तब रघुनाथ बाबु कहलन उहा लोगिन के साते आठ आदमी बानी बाकिर आपन पूरा गावं खिलावे के बा , देखा विजय के दुबारा छेका ना होई से कवनो कसार ना छुटे के चाही तभी दूसरा आदमी आइल लाउड स्पीकर कहा लगे मालिक तब एक तरफ ईसारा कर के कहलन वो निम् के पेड़ पड़ बांध दे उ चल गइल तभी उहा विजय आइलन आउर कहलन राउआ के मई बुलावत बारी रघुनाथ बाबु अन्दर गइलन उहा शांति देवी अपना नाम के उल्टा दिखाई देत रहली , रघुनाथ बाबु आते ही कहलन का बात बा काहे परेशान बाडू तब उ कहली रौआ येताना जल्दी कईसे छेका के दिन रख देनी हा आउर दहेज़ का ठीक भइल बा तब रघुनाथ बाबु कहलन दहेज़ कुछ ठीक नइखे भइल जवान दी लोग उहे मंजूर बा पतोह केतना सुन्दर आवत बिया उ ना देखलू हा , उ हाथ घुमा के कहली सुन्दर पतोह चाटल जाई , तभी उहा रामू आके कहलस मालिक हित लोग आ गइल रघुनाथ बाबु बहार निकल गइलन , हित लोग के बढिया सवागत भइल रात में छेका परल छेका में चाँदी के गिलास कटोरा थाली पान कसैली आउर बहुत कुछ इ देख के शन्ति देवी बड़ा खुस भइली विबाह के दिन रखा गइल सुबेरे जब हित लोग के बिदाई होखे लागल तब रामू घर में से एगो सजावल दाऊरा ले के आइल आउर कहलस मलकिनी देली हा खायेक बा बहुरानी खातिर , उ दाऊरा जिप में रखाइल आउर सब कोई चल दिहलस .....
.
बाकी अगिला अंक में

Views: 468

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
19 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
21 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service