For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आपन दुःख केकरा से कही ,
इहा के बाटे सुने वाला ,
हर तरफ अन्धिआर भइल बा ,
धधकत बा दहेज के ज्वाला ,

बेटी के बाप त हमहू बानी ,
बड़ी मुश्किल से पढ़वले बानी ,
हम खइनी आधापेट हरदम ,
बेटी के करौनी हमहू बी कॉम ,

लईका बढ़िया खोजत बानी ,
दहेज़ के बिना बाटे परेशानी ,
अब सोचत बानी काहे पढ़वनी,
जन्मते काहे ना नमक चटवनी,

मर गइल रहित इहो तबही ,
इ परेशानी ना आइत अबही ,
एय लईका वाला तनी बुझs ,
हमहू पढ़वनी तनिका समझs ,

जवन कमाई तुहू पईबs ,
हमरा घरे नाही पेठइबs ,
आउर एक बात बाबू तू जान ,
लईकी लईका में अंतर ना रख ,

लईकी बिन तोहर लईका कुवारा ,
ना मिली दुल्हिन बनी आवारा ,
तब तुहू खूब पछतइबs ,
तब तुहू गुरु के संगे ना पईबs ,

तब तुहू कहबs भाई हमार हो ,
आपन दुःख केकरा से कही ,
इहा के बाटे सुने वाला ||

Views: 1121

Replies to This Discussion

लईका बढ़िया खोजत बानी ,
दहेज़ के बिना बाटे परेशानी ,
अब सोचत बानी काहे पढ़वनी,
जन्मते काहे ना नमक चटवनी,


गुरु जी बहुत ही सुंदर कविता लिखले बानी आ काफ़ी शिक्षाप्रद भी, पुरुष और स्त्री त समाज के चलावे खातिर ज़रूरी पहिया बा आ एक दूसरा के पूरक भी, बिना एक दूसरा के सृष्टि के कल्पना भी ना काल जा सकत बा , पर आज कुछ कुरीति के वजह से लड़की के पिता के सोचे के पड़त बा , बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति बा , एक शानदार प्रस्तुति, जय हो,
रवि जी, प्रणाम ।

बहुत शानदार प्रस्तुती बा । हमनी के समाज के आज ईहे विडम्बना बा कि लइका आ लइकी में फरक कइल जाता । एह बात से मन बहुत विचलित होखेला कि अगर केहू लइका के पिता बा तऽ ओकरा ई काहे ना समझ में आवेला कि ऊ अपना लइका के पालन-पोषण करे में जेतना कष्ट उईठवले बा कवनो लइकियो के माई-बाप ओतने कष्ट उठवले होखी । अगर ऊ अपना लइका के पढाई करवावे खातिर खरचा कइले बा तऽ लइकियो के माता-पिता ओतने खरचा कइले बा । तऽ फेर दहेज के प्रश्न बीच में काहे खड़ा हो जात बा । अपना समाज से ई बुराई दूर करे खातिर तऽ केहू बाहर से ना आई । अपना समाज के लोग के ही एह बुराई के दूर करे खातिर आगे आवे के परी । एकरा खातिर नवका पीढ़ी में जागरूकता ले आवे के परी ।
Ravi ji
Aapne nischit hi samaj ki haqikat uzagar ki hai, yahi sachhai hai.
"Ati-Uttam".
राउर रचना बड नीमन बा
really supurb....thnx

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
9 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
12 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service