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गजल
मनब कि ना मनब, बेशी अगरइब तू?
आइल बुढ़ापा,अब आउर पछतइब तू।

खोज तार फूल अब कहाँ लेकेे जइब?
नजर धुंधला गइल,सुँघब कि सटइब तू?

बेरी-बेरी हो छेदी,काहे तू तुड़ात बाड़?
बोल कवन देवी के फूल अब चढ़इब तू?

बेदी-बेदी घूम अइल,कह ना का भइल?
अब कवन बेदी जाके फेर अझुरइब तू?

सुन मान बात,छोड़ तू लगावल पायेंत,
नयकिन के नजर पड़ी,खूब धसोरइब तू।
'मौलिक वअप्रकाशित'

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मनन भाई बेजोड़ ग़ज़ल भईल बिया, काफिया के चयन रच रच के भईल बा, मजगर लागल ई ग़ज़ल, बहुत बहुत बधाई भेजत बानी.

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