For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किताब को खोलते ही मेरी नज़र सबसे पहले आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर सर के इन शब्दों पर पड़ी

''इन बून्दों को मोती होना अवश्य है''

इन शब्दों को पढ़ के मैं सरापा रोमांच से भर गया। जी हाँ! कल्पनाओं के सागर की अंतहीन गहराई में डूब के भावनाओं के तूफान को शब्दों में ढाला जाय तो वो मोती बनके ही चमकेंगे। आदरणीय श्री योगराज सर की अनुभवी आँखें धोखा नही खा सकतीं,

“रचनाकार साहित्य के फलक पर आफताब बनकर चमकेंगे'' आदरणीय गणेश जी के ये शब्द इस किताब के रचनाकारों के लिये निस्संदेह प्रेरक का कार्य करते हैं, साथ ही पाठक के मन में किताब को लेकर एक सहज उत्सुकता भी जगाते हैं और मन कई कल्पनायें करने लगता है।

इस किताब को देख कर मुझे मशहूर शायर जनाब इक़बाल साहब का ये शे'र याद आया

''हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा''

जब आदरणीय सौरभ सर के जैसा बागबान हो तो दीदावरी के लिये इंतज़ार की ज़रूरत नहीं। यही वजह थी कि मैं भी ये कहने को मजबूर हो गया

 

हज़ारों साल के ये फासिले अब के मिटाने को

हुये तैयार कितने गुल यहाँ गुलशन सजाने को

कई आयेंगे दीदावर मुसल्सल अब के बेसाख़्ता

खिली हैं नरगिसें यूँ हुस्न का जल्वा दिखाने को

 

ये गुल हैं जिनकी कलम से निकला हुआ एक- एक शब्द गुलशन सजाता हुआ सा लगता है, ये नरगिसें हैं जिनकी कल्पनाशक्ति कविताओं का हुस्न है। इस किताब के 15 रचनाकार और सबकी शख़्सियत अलग सोच अलग, और ज़िन्दगी के अनुभव भी अलग- अलग, लेकिन एक चीज़ है जो सभी में समान है, वो है कल्पनाशीलता और छंदमुक्त को लेकर उनकी रचनात्मकता, उनकी समझ। उनसे यदि पूछा जाता कि आपकी श्रेष्ठ रचनायें कौन सी हैं तो शायद सभी पशोपेश मे पड़ जाते क्या कहें, सच कहूँ तो किसी भी रचनाकार के लिये अपनी रचना या रचनाधर्मिता के लिये कुछ भी नकारात्मक कहना आसान नही होता, लेकिन जगह तय है ,तुलनात्मक रूप से सिर्फ श्रेष्ठ कवितायें लेनी हैं l यह बहुत मुश्किल होता है किसी रचना को खारिज करना या चुनना। ये आदरणीय सौरभ सर की पारखी निगाहें थी जिन्होने चुन-चुन के मोतियों को पिरोया और इस किताब के रूप में एक खूबसूरत आभूषण बना।

वैसे तो काव्य की हर विधा मसलन सनातनी छंद, ग़ज़ल, नवगीत या अतुकांत हो आदरणीय सौरभ सर की संलग्नता और समझ काबिले- तारीफ़ है। उनके अनुसार “सभी रचनाकार भावुक होते हैं, किन्तु सभी भावुक रचनाकार नहीं हो सकते। अध्ययन, मनन, मंथन, गठन, तथा संप्रेषण इन पाँच बिन्दुओं से जो रचना नहीं गुज़री, वह पाठक को स्पंदित क्या करेगी।“

उनकी यही समझ और अनुभव संपादन में उभर के दिखता है जिसकी वजह से श्रेष्ठ में भी श्रेष्ठ रचनाओं के चयन में वे कामयाब रहे हैं। इस किताब में चयनित कवितायें इन मानकों पर खरी उतरती है l        

हर कवि ने अपनी हर रचना के लिये न जाने कितनी मेहनत की होगी कितनी रातें खराब की होंगी, उनकी रचनाओं के बारे में चंद शब्दों में बयान नही किया जा सकता। अंजुमन प्रकाशन और ओ बी ओ के प्रयासों और संपादक आदरणीय सौरभ सर के संपादन के फलस्वरूप एक बेहतरीन किताब सामने आई है। अतुकांत कविताओं का ये एक बेहतरीन संग्रह है। किसी किताब की समीक्षा करूँ मेरा कद न इतना बड़ा है और न ही मेरी ये हैसियत है, ये बतौर पाठक परों को खोलते हुये-1 की मेरी प्रतिक्रिया है।

 

 

-मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 647

Replies to This Discussion

परों को खोलते हुए, भाग १, पर पाठकीय टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार, भाई शिज्जू जी. 

आपका पाठक जिस गहराई से इस पुस्तक को आत्मसात कर रहा है उस पर इस संग्रह के सम्पादक होने के तौर पर मुझे आत्मीय संतोष हो रहा है. यह अवश्य है कि सभी रचनाकारों ने गहरे डूब कर मेहनत की है. और प्रतिफल यह संग्रह है.

किसी पाठक की नज़र से गुजरने के बाद ऐसे शब्द मिलना, रचनाकार के रूप में आत्म-संतुष्ट करता है! आपके एक-एक शब्द ने रोमांच और उत्साह से भर दिया! आपकी इस प्रतिक्रिया पर इससे अधिक कुछ नहीं कह सकता-आँखें नम हैं और मन गदगद!

आपका बहुत बहुत आभार!

सादर!

इस संग्रह से सम्बन्धित एक और तथ्य स्पष्ट है. और, वह ये है कि इस संग्रह के रचनाकारों में सब के सब ओबीओ के साहित्यिक मंच पर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. साथ ही इस संग्रह के प्रकाशक और सम्पादक तथा भूमिका लेखकद्वय का विद्यालय भी ओबीओ ही है.

सादर

सत्य! 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
15 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
yesterday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service