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बृजेश नीरज's Discussions (2,094)

Discussions Replied To (24) Replies Latest Activity

"आदरणीय जगदीश पंकज जी, इस काव्य संग्रह के रूप में प्रस्तुत मेरे छोटे से प्रयास को मान…"

बृजेश नीरज replied Jul 13, 2014 to कोहरा सूरज धूप

1 Jul 13, 2014
Reply by बृजेश नीरज

"आदरणीय शरदिंदु जी आपका बहुत-बहुत आभार!"

बृजेश नीरज replied Apr 20, 2014 to ‘‘कोहरा सूरज धूप’’ एक समर्थ कवि के आने की आहट

4 Apr 20, 2014
Reply by बृजेश नीरज

"आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आपका हार्दिक आभार! आपके शब्दों से बहुत बल मिला!"

बृजेश नीरज replied Apr 17, 2014 to आदरणीय बृजेश 'नीरज ' की पुस्तक -' कोहरा सूरज धूप ' मेरे विचार मे

1 Apr 17, 2014
Reply by बृजेश नीरज

"आदरणीया वंदना जी आपका हार्दिक आभार!"

बृजेश नीरज replied Apr 11, 2014 to ‘‘कोहरा सूरज धूप’’ एक समर्थ कवि के आने की आहट

4 Apr 20, 2014
Reply by बृजेश नीरज

"आदरणीया गीतिका जी आपका हार्दिक आभार!"

बृजेश नीरज replied Apr 8, 2014 to ‘कोहरा सूरज धूप’ की समीक्षा - जहीर कुरैशी

6 Apr 8, 2014
Reply by बृजेश नीरज

"आदरणीय सौरभ जी आपका हार्दिक आभार!"

बृजेश नीरज replied Apr 6, 2014 to ‘कोहरा सूरज धूप’ की समीक्षा - जहीर कुरैशी

6 Apr 8, 2014
Reply by बृजेश नीरज

"आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार!"

बृजेश नीरज replied Apr 5, 2014 to ‘कोहरा सूरज धूप’ की समीक्षा - जहीर कुरैशी

6 Apr 8, 2014
Reply by बृजेश नीरज

"आदरणीय धर्मेन्द्र जी, आपका बहुत-बहुत आभार! मैं अभिभूत हूँ, निशब्द हूँ! पुनः हार्दिक…"

बृजेश नीरज replied Feb 19, 2014 to एक कवि की दृष्टि से - कोहरा, सूरज, धूप (बृजेश ‘नीरज’)

1 Feb 19, 2014
Reply by बृजेश नीरज

सदस्य कार्यकारिणी

"सत्य! "

बृजेश नीरज replied Nov 27, 2013 to परों को खोलते हुये-1

4 Nov 27, 2013
Reply by बृजेश नीरज

सदस्य कार्यकारिणी

"किसी पाठक की नज़र से गुजरने के बाद ऐसे शब्द मिलना, रचनाकार के रूप में आत्म-संतुष्ट कर…"

बृजेश नीरज replied Nov 27, 2013 to परों को खोलते हुये-1

4 Nov 27, 2013
Reply by बृजेश नीरज

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"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
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"हार्दिक आभार आदरणीय "
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
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"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
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Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
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"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
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"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
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