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बाल साहित्य Discussions (213)

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पेड़ पौधे

पौधे-पेड़ धरा के गहने, मिलकर धरा सजाते हैं। ये जीवों का पोषण करते, पर्यावरण बचाते हैं।। चम्पा, जूही, बेला, गेंदा, उपवन को महकाते हैं। इनका…

Started by नाथ सोनांचली

0 Dec 6, 2016

एक क्षुद्र जलधारा की कथा(बाल-कथा)

बाल-कथा एक क्षुद्र जलधारा की कथा वह एक क्षुद्र जलधारा ही तो थी, जिसका अस्तित्व आगे जाकर एक पहाड़ी नदी मे विलुप्त हो जाता । लेकिन नदी तक पहुं…

Started by Mirza Hafiz Baig

2 Nov 24, 2016
Reply by Saurabh Pandey

विषय (कविता )

पढ़ने बैठी जब भूगोल इतिहास उसमें नज़र आया पीछे था सामान्य ज्ञान और था गणित का काला साया । अंग्रेजी लगा रूठ गयी है दूर व्याकरण को भी कर चुकी…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

2 Oct 14, 2016
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

बाल कविता -तोता दिन भर जपता नाम

तोता दिन भर जपता नाम रघुपति राघव राजा राम आगन्तुक को करे सलाम पपीता संग खाता आम।। बंदर मामा करते शोर दौड़ लगाते चारो ओर बागों को देते झकझोर…

Started by नाथ सोनांचली

2 Oct 10, 2016
Reply by नाथ सोनांचली

बालगीत ( टहल के आएं )

बालगीत ( टहल के आएं ) ------------------------------- सुबह हुई है टहल के आएं । सेहत बच्चों आओ  बनायें । (१ ) बाईं तरफ फुटपाथ पे आओ       म…

Started by Tasdiq Ahmed Khan

2 Oct 10, 2016
Reply by Tasdiq Ahmed Khan

सपने में रेल (बाल कविता)

छुक छुक करती आई रेल और मचा फिर ठेलम ठेल।। हुई व्यवस्था सारी फेल। चढने में हम जाते झेल। यात्री करते भीषण शोर लगा रहे सब अपना जोर। कुली दौड़त…

Started by नाथ सोनांचली

3 Oct 9, 2016
Reply by नाथ सोनांचली

पेड़ -पौधे (कविता)

कट गए कितने ही वन कम हो गए कितने उपवन खुली हवा हो गयी है कम कैसे रहेंगे तुम और हम ! बंध खिड़की को खोलो तुम वरना घुट जाएगा दम हवा के झो…

Started by kalpana bhatt

7 Oct 3, 2016
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

कहानियाँ (कविता)

चाँद नहीं ,तारे भी नहीं मुझे पसंद नानी की कहानियाँ छोटी छोटी हंसाने वालीं जंगलों की रोचक सी कहानियाँ । नन्हें नन्हें सपने हैं मेरे मुझे पस…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

0 Oct 2, 2016

नाच

नाच रहा है मोर मयूरा अपने पंख फ़ैलाये । वन उपवन भी झूम उठे हैं हरियाली लेहराये । आसमान के काले बादल गड़ गड़ शोर मचाये । सुनकर इनको मेढ़क बोले…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

0 Sep 26, 2016

स्कूल नहीं जाना है (कविता)

बोला एक दिन बंदर  मामा स्कूल नहीं जाऊँगा सुनकर यह सब चकित हुए पूछ बैठे ,' क्यों भला ?" बोला वो इतराकर यह नया मोबाइल लाये है पापा नए गेम्स…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

2 Sep 20, 2016
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

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'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
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Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
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Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
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गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
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Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
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गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
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गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
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सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
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