For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलो नहायें उछल-कूद के
ठंढा-ठंढा बहता पानी

गर्मी के मौसम में आखिर
चलती गर्मी की मनमानी
चापाकल का या नदिया का
या फिर तालाबों का पानी
राहत देगा अगर नहायें
क्यों करनी फिर आनाकानी
चलो नहायें उछल-कूद के
ठंढा-ठंढा बहता पानी

कुदरत के वरदान सरीखे
सतत धार में बहने वाले
झरनों का व्यवहार समझते
जंगल-पर्वत रहने वाले 
हम शिक्षित हैं, हम शहरी हैं 
कुदरत की क्यों बात न मानी ?
चलो नहायें उछल-कूद के
ठंढा-ठंढा बहता पानी

स्वच्छ रहे पर्यावरण यह
तभी अर्थ है इस जीवन का
घर-बाहर जब गन्दा-मैला
क्या हित सधता है तन-मन का ?
’जल ही जीवन है’ सब कहते
बात न कहनी, है अपनानी.
चलो नहायें उछल-कूद के
ठंढा-ठंढा बहता पानी
**************************************
-सौरभ
**************************************
(मौलिक और अप्रकाशित)


Views: 1136

Replies to This Discussion

बहुत सुन्दर शिक्षा प्रद बाल गीत. बच्चों के कोमल मन पर कवितायें/ गीत अपनी छाप इस तरह छोड़ देती हैं कि बड़े होने पर भी भुलाए नहीं भूलती 

अब ये सही वक्त है कि ऐसी ही बाल रचनाएँ लिखी जाएँ जिनमे निहित सन्देश को वो हमेशा याद रखें और अमल में लायें इन तथ्यों पर आपकी ये रचना खरी उतरती है सराहनीय है हृदय से आपको बहुत- बहुत बधाई |

आदरणीया राजेशजी, आपकी प्रशंसा मेरे लिए कैटेलिस्ट का काम कर रही है. इस रचना में सार्थकता है यह जान कर असीम संतोष हुआ है. आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीया.

आदरणीय सौरभ सर, बहुत सुन्दर बाल गीत हुआ है. अंतिम पद में सन्देश और प्रेरणा किसी उपसंहार सी गीत के महत्त्व को अभिव्यक्त कर रही है. बाल मन हेतु सहज शब्दों में प्रस्तुत इस सरस बाल गीत हेतु साधुवाद.. हार्दिक आभार 

आदरणीय मिथिलेशजी, आपकी सराहना मुदित कर रही है. गीत का अन्तिम बन्द उपसंहार ही है. वस्तुतः इस रचना का पाठ आकाशवाणी, इलाहाबाद से हो चुका है. उसी कार्यक्रम में ले लिए यह बाल-गीत लिखा भी गया था.
हार्दिक धन्यवाद

स्वच्छ रहे पर्यावरण यह 
तभी अर्थ है इस जीवन का 
घर-बाहर जब गन्दा-मैला 
क्या हित सधता है तन-मन का ?
’जल ही जीवन है’ सब कहते 
बात न कहनी, है अपनानी. 
चलो नहायें उछल-कूद के 
ठंढा-ठंढा बहता पानी ...

सुंदर, मनमोहक, शिक्षाप्रद बाल गीत  के लिए बधाई आदरणीय सौरभ सर  ।

इस प्रस्तुति को मान देने केलिए हार्दिक धन्यवाद, नादिर भाई. 

रहेबहुत खूब... गरम व ठंडे की बात कहते पानी में मौज-मस्ती की बात करते करते बच्चों को पानी व पर्यावरण के बारे संदेश देती रचना अपना उद्देश्य पूरी तरह से प्राप्त करती है। इस सुंदर बालगीत के सृजन के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी। शब्द "ठंडा" को क्या बच्चों की रूची के लिए "ठंढा" लिखा गया है ?

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
29 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अति सुंदर ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service