For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

छम छम छम छम बरखा बरसे,  

टर्र टर्र मेंडक बोले मोर नाचते हर्षे
पशु पक्षियों में खुशिया छा जाए 
मीठी मीठी कोयल भी बतलाये ।   
कल कल करती नदिया बहती 
बागो में हरियाली छा जाती । 
छम छम करती बरखा आये 
हम सबकी फिर प्यास बुझाए । 
कड़क कड़क कर बिजली गरजे 
बच्चे देख देख खुश होकर  नाचे । 
पेड़ पर बन्दर काँपे थर थर थर थर 
मिले न उसको छुपने को कोई घर । 
(मौलिक व् अप्रकाशित)
-नेहांश लडीवाला कक्षा IV
द्वारा लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 944

Replies to This Discussion

बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

हार्दिक आभार श्री श्याम नारायण वर्मा जी,मेरे पोते को  कक्षा में सुनानी थी, वह मेरी रचनाओं को देखता/पढता

रहता है उसकी ही लिखी रचना को थोडा बहुत आकर दिया है | आप से बच्चे का होंसला बढेगा | आभार स्वीकारे 

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी 

बाल साहित्य समूह में रचना प्रेषित करने के लिए हार्दिक आभार..

जिस तरह हिन्दी छंदों को आप साध रहे हैं, उसी तरह छंद मुक्त को भी एक ही मात्रा के आधार पर साधने का प्रयत्न करें..सादर.

डॉ प्राची जी, आपकी सुझावात्मक टिप्पणी हमेशा मार्ग दर्शन का काम करती है | इसके लिए हार्दिक आभार |

दरअसल पोता कभी कभी ओ बी ओ पर मेरी रचनाएं पढता रहता है, कम्प्युटर का ज्ञान उसे मुझसे ज्यादा है |

कक्षा में सुनाने के लिए उसकी ही लिखी रचना को मैंने ज्यादा कान्त-छांट कर अपने शब्दों में लिखना उचित 

नहीं समझा और थोडा बहुत लयात्मकता का आकार देकर छोड़ दिया | कक्षा में रचना अच्छी लगी बताते है |

उसका प्रणाम स्वीकारे |

अति सुन्दर.... आपको और आपके पोते, दोनो को बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

आपका हार्दिक आभार श्री विजय निकोरे जी, बहुत दिनों बाद आप की टिपण्णी पढ़कर ख़ुशी हुई |

पोते नेहांश का प्रणाम स्वीकारे 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
34 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय बृजेश कुमार जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं आपके कथन का पूर्ण समर्थन करता हूँ आदरणीय तिलक कपूर जी। आपकी टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. दयाराम मेठानी जी "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. बृजेश कुमार जी.५ वें शेर पर स्पष्टीकरण नीचे टिप्पणी में देने का प्रयास किया है. आशा है…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी से ग़ज़ल कहने का उत्साह बढ़ जाता है.तेरे प्यार में पर आ. समर…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह-वह और वाह भाई दिनेश जी....बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है बधाई.... "
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service