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Ganesh ji...bahut bahut aabhar..
Singh sahab..gazal pasand aayi aapko..to likhna sarthak...
please mera margdarshan karen jahan aapko kuch kami lagi hai jisse main aur kuch sikh sakun... bahut bahut dhanyawad..
तरही मुशायरा...
खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत|
वज्न :- फऊलन फऊलन फऊलन फऊलन
मात्रा :- १२११  १२११  १२११  १२११
'सलिल' सद्गुणों की पुजारी मुहब्बत.
खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत.१.
 गंगा सी पावन दुलारी मुहब्बत.
 रही रूह की रहगुजारी मुहब्बत.२.
अजर है, अमर है हमारी मुहब्बत.
सितारों ने हँसकर निहारी मुहब्बत.३.
महुआ है तू महमहा री मुहब्बत.
लगा जोर से कहकहा री मुहब्बत.४.
पिया बिन मलिन है दुखारी मुहब्बत.
पिया संग सलोनी सुखारी मुहब्बत.५.
 
सजा माँग सोहे भ'तारी मुहब्बत.
 पिला दूध मोहे म'तारी मुहब्बत.६.
नगद है, नहीं है उधारी मुहब्बत. 
 है शबनम औ' शोला दुधारी मुहब्बत.७.
माने न मन मनचला री मुहब्बत.
नयन-ताल में झिलमिला री मुहब्बत.८.
नहीं ब्याहता या कुमारी मुहब्बत.
है पूजा सदा सिर नवा री, मुहब्बत.९.
 
जवां है हमारी-तुम्हारी मुहब्बत..
 सबल है, नहीं है बिचारी मुहब्बत.१०.
उजड़ती है दुनिया, बसा री मुहब्बत.
अमन-चैन थोड़ा तो ब्या री मुहब्बत.११.
सम्हल चल, उमरिया है बारी मुहब्बत.
हो शालीन, मत तमतमा री मुहब्बत.१२.
दीवाली का दीपक जला री मुहब्बत.
 न बम कोई लेकिन चला री मुहब्बत.१३.
न जिस-तिस को तू सिर झुका री मुहब्बत.
जो नादां है कर दे क्षमा री मुहब्बत.१४.
जहाँ सपना कोई पला री मुहब्बत.
 वहीं मन ने मन को छला री मुहब्बत.१५.
 
 न आये कहीं जलजला री मुहब्बत.
लजा मत तनिक खिलखिला री मुहब्बत.१६.
अगर राज कोई खुला री मुहब्बत.
तो करना न कोई गिला री मुहब्बत.१७.
बनी बात काहे बिगारी मुहब्बत?
जो बिगड़ी तो क्यों ना सुधारी मुहब्बत?१८.
 
कभी चाँदनी में नहा री मुहब्बत.
 कभी सूर्य-किरणें तहा री मुहब्बत.१९.
पहले तो कर अनसुना री मुहब्बत.
मानी को फिर ले मना री मुहब्बत.२०.
चला तीर दिल पर शिकारी मुहब्बत.
दिल माँग ले न भिखारी मुहब्बत.२१.
सजा माँग में दिल पियारी मुहब्बत.
 पिया प्रेम-अमृत पिया री मुहब्बत.२२.
रचा रास बृज में रचा री मुहब्बत.
हरि न कहें कुछ बचा री मुहब्बत.२३.
लिया दिल, लिया रे लिया री मुहब्बत.
दिया दिल, दिया रे दिया, री मुहब्बत.२४.
कुर्बान तुझ पर हुआ री मुहब्बत.
 काहे सारिका से सुआ री मुहब्बत.२५.
दिया दिल लुटा तो क्या बाकी बचा है?
खाते में दिल कर जमा री मुहब्बत.२६.
दुनिया है मंडी खरीदे औ' बेचे.
कहीं तेरी भी हो न बारी मुहब्बत?२७.
सभी चाहते हैं कि दर से टरे पर
 किसी से गयी है न टारी मुहब्बत.२८.
बँटे पंथ, दल, देश बोली में इंसां.
बँटने न पायी है यारी-मुहब्बत.२९.
तौलो अगर रिश्तों-नातों को लोगों 
तो पाओगे सबसे है भारी मुहब्बत.३०.
नफरत के काँटे करें दिल को ज़ख़्मी.
 मिलें रहतें कर दुआ री मुहब्बत.३१.
कभी माँगने से भी मिलती नहीं है.
बिना माँगे मिलती उदारी मुहब्बत.३२.
अफजल को फाँसी हो, टलने न पाये.
दिखा मत तनिक भी दया री मुहब्बत.३३.
शहादत है, बलिदान है, त्याग भी है.
 जो सच्ची नहीं दुनियादारी मुहब्बत.३४.
धारण किया धर्म, पद, वस्त्र, पगड़ी.
कहो कब किसी ने है धारी मुहब्बत.३५.
जला दिलजले का भले दिल न लेकिन 
 कभी क्या किसी ने पजारी मुहब्बत?३६.
कबीरा-शकीरा सभी तुझ पे शैदा.
हर सूं गई तू पुकारी मुहब्बत.३७.
मुहब्बत की बातें करते सभी पर
कहता न कोई है नारी मुहब्बत?३८.
तमाशा मुहब्बत का दुनिया ने देखा
मगर ना कहा है 'अ-नारी मुहब्बत.३९.
 
चतुरों की कब थी कमी जग में बोलो?
मगर है सदा से अनारी मुहब्बत.४०.
बहुत हो गया, वस्ल बिन ज़िंदगी क्या?
लगा दे रे काँधा दे, उठा री मुहब्बत.४१.
निभाये वफ़ा तो सभी को हो प्यारी
दगा दे तो कहिये छिनारी मुहब्बत.४२.
 
भरे आँख-आँसू, करे हाथ सजदा. 
 सुकूं दे उसे ला बिठा री मुहब्बत.४३.
नहीं आयी करके वादा कभी तू.
सच्ची है या तू लबारी मुहब्बत?४४.
महज़ खुद को देखे औ' औरों को भूले.
कभी भी न करना विकारी मुहब्बत.४५.
हुआ सो हुआ अब कभी हो न पाये.
 दुनिया में फिर से निठारी मुहब्बत.४६.
.
कभी मान का पान तो बन न पायी.
बनी जां की गाहक सुपारी मुहब्बत.४७.
उठाते हैं आशिक हमेशा ही घाटा.
कभी दे उन्हें भी नफा री मुहब्बत.४८.
न कौरव रहे कोई कुर्सी पे बाकी.
 जो सारी किसी की हो फारी मुहब्बत.४९.
 
 कलाई की राखी, कजलियों की मिलनी.
ईदी-सिवँइया, न खारी मुहब्बत.५०. 
नथ, बिंदी, बिछिया, कंगन औ' चूड़ी.
पायल औ मेंहदी, है न्यारी मुहब्बत.५१. 
करे पार दरिया, पहाड़ों को खोदा.
न तू कर रही क्यों कृपा री मुहब्बत?५२.
 
लगे अटपटी खटपटी चटपटी जो 
कहें क्या उसे हम अचारी मुहब्बत?५३.
अमन-चैन लूटा, हुई जां की दुश्मन.
हुई या खुदा! अब बला री मुहब्बत.५४.
तू है बदगुमां, बेईमां जानते हम
कभी धोखे से कर वफा री मुहब्बत.५५.
 
कभी ख़त-किताबत, कभी मौन आँसू.
कभी लब लरजते, पुकारी मुहब्बत.५६.
न टमटम, न इक्का, नहीं बैलगाड़ी.
बसी है शहर, चढ़के लारी मुहब्बत.५७.
मिला हाथ, मिल ले गले मुझसे अब तो
 करूँ दुश्मनों को सफा री मुहब्बत.५८.
तनिक अस्मिता पर अगर आँच आये.
बनती है पल में कटारी मुहब्बत.५९.
है जिद आज की रात सैयां के हाथों.
मुझे बीड़ा दे तू  खिला री मुहब्बत.६०.
न चौका, न छक्का लगाती शतक तू.
 गुले-दिल खिलाती खिला री  मुहब्बत.६१.
न तारे, न चंदा, नहीं चाँदनी में
ये मनुआ प्रिया में रमा री मुहब्बत.६२. 
समझ -सोच कर कब किसी ने करी है?
हुई है सदा बिन विचारी मुहब्बत.६३.
खा-खा के धोखे अफ़र हम गये हैं.
 कहें सब तुझे अब अफारी मुहब्बत.६४.
तुझे दिल में अपने हमेशा है पाया.
कभी मुझको दिल में तू पा री मुहब्बत.65. 
अमन-चैन हो, दंगा-संकट हो चाहे
न रोके से रुकती है जारी मुहब्बत.६६.
सफर ज़िंदगी का रहा सिर्फ सफरिंग 
 तेरा नाम धर दूँ सफारी मुहब्बत.६७. 
 
जिसे जो न भाता उसे वह भगाता
नहीं कोई कहता है: 'जा री मुहब्बत'.६८.
तरसती हैं आँखें  झलक मिल न पाती.
पिया को प्रिया से मिला री मुहब्बत.६९.
भुलाया है खुद को, भुलाया है जग को.
 नहीं रबको पल भर बिसारी मुहब्बत.७०.
सजन की, सनम की, बलम की चहेती.
करे ढाई आखर-मुखारी मुहब्बत.७१.
न लाना विरह-पल जो युग से लगेंगे.
मिलन शायिका पर सुला री मुहब्बत.७२.
उषा के कपोलों की लाली कभी है.
कभी लट निशा की है कारी मुहब्बत.७३.  
 
मुखर, मौन, हँस, रो, चपल, शांत है अब
 गयी है विरह से उबारी मुहब्बत..
न तनकी, न मनकी,  न सुध है बदनकी.
कहाँ हैं प्रिया?, अब बुला री मुहब्बत.७४.
नफरत को, हिंसा, घृणा, द्वेष को भी
प्रचारा, न क्योंकर प्रचारी मुहब्बत?७५.
सातों जनम तक है नाता निभाना.
 हो कुछ भी न डर, कर तयारी मुहब्बत.७६.
बसे नैन में दिल, बसे दिल में नैना.
सिखा दे उन्हें भी कला री मुहब्बत.७७.
कभी देवता की, कभी देश-भू की  
अमानत है जां से भी प्यारी मुहब्बत.७८.
पिए बिन नशा क्यों मुझे हो रहा है?
 है साक़ी, पियाला, कलारी मुहब्बत.७९.
हो गोकुल की बाला मही बेचती है.
 करे रास लीलाविहारी मुहब्बत.८०.
हवन का धुआँ, श्लोक, कीर्तन, भजन है.
है भक्तों की नग्मानिगारी मुहब्बत.८१.
ज़माने ने इसको कभी ना सराहा. 
ज़माने पे पड़ती है भारी मुहब्बत.८२.
मुहब्बत के दुश्मन सम्हल अब भी जाओ.
 नहीं फूल केवल, है आरी मुहब्बत.८३.
फटेगा कलेजा न हो बदगुमां तू.
सिमट दिल में छिप जा, समा री मुहब्बत.८४.
गली है, दरीचा है, बगिया है पनघट
कुटिया-महल है अटारी मुहब्बत.८५.
पिलाया है करवा से पानी पिया ने.
 तनिक सूर्य सी दमदमा री मुहब्बत.८६.
मुहब्बत मुहब्बत है, इसको न बाँटो.
तमिल न मराठी-बिहारी मुहब्बत.८७.
न खापों का डर है न बापों की चिंता.
मिटकर निभा दे तू यारी मुहब्बत.८८.
कोई कर रहा है, कोई बच रहा है.
 गयी है किसी से न टारी मुहब्बत.८९.
कली फूल कांटा है तितली- भ्रमर भी
कभी घास-पत्ती है डारी मुहब्बत.९०.
 
महल में मरे, झोपड़ी में हो जिंदा. 
हथेली पे जां, जां पे वारी मुहब्बत.९१.
लगा दाँव पर दे ये खुद को, खुदा को.
 नहीं बाज आये, जुआरी मुहब्बत.९२.
मुबारक है हमको, मुबारक है तुमको.
मुबारक है सबको, पिआरी मुहब्बत.९३.
रहे भाजपाई या हो कांगरेसी
न लेकिन कभी हो सपा री मुहब्बत.९४. 
पिघल दिल गया जब कभी मृगनयन ने 
बहा अश्क जीभर के ढारी मुहब्बत.९५.
 
 जो आया गया वो न कोई रहा है.
 अगर हो सके तो न जा री मुहब्बत.९६.
 
 समय लीलता जा रहा है सभी को.
 समय को ही क्यों न खा री मुहब्बत?९७.
 
 काटे अनेकों लगाया न कोई. 
 कर फिर धरा को हरा री मुहब्बत.९८.
 
 नंदन न अब देवकी के रहे हैं.
 न पढ़ने को मिलती अयारी मुहब्बत.९९.
 
 शतक पर अटक मत कटक पार कर ले.
 शुरू कर नयी तू ये पारी मुहब्बत.१००.
 
 न चौके, न छक्के 'सलिल' ने लगाये.
 कभी हो सचिन सी भी पारी मुहब्बत.९६. 
'सलिल' तर गया, खुद को खो बेखुदी में 
 हुई जब से उसपे है तारी मुहब्बत.९७. 
 
'सलिल' शुबह-संदेह को झाड़ फेंके.
ज़माने की खातिर बुहारी मुहब्बत.९८.
नए मायने जिंदगी को 'सलिल' दे.
 न बासी है, ताज़ा-करारी मुहब्बत.९९.
जलाती, गलाती, मिटाती है फिर भी 
 लुभाती 'सलिल' को वकारी मुहब्बत.१००.
 
 नहीं जीतकर भी 'सलिल' जीत पायी.
 नहीं हारकर भी है हारी मुहब्बत.१०१.
 
नहीं देह की चाह मंजिल है इसकी.
'सलिल' चाहता निर्विकारी मुहब्बत.१०२.
 
 'सलिल'-प्रेरणा, कामना, चाहना हो.
 होना न पर वंचना री मुहब्बत.१०४.
 
 बने विश्व-वाणी ये हिन्दी हमारी.
 'सलिल' की यही कामना री मुहब्बत.१०५.
 
 ये घपले-घुटाले घटा दे, मिटा दे.
 'सलिल' धूल इनको चटा  री मुहब्बत.१०६.
 
 'सलिल' घेरता चीन चारों तरफ से.
बहुत सोये अब तो जगा री मुहब्बत.१०७.
 
 अगारी पिछारी से होती है भारी.
 सच यह 'सलिल' को सिखा री मुहब्बत.१०८.
 
 'सलिल' कौन किसका हुआ इस जगत में?
 न रह मौन, सच-सच बता री मुहब्बत.१०९.
 
 'सलिल' को न देना तू गारी मुहब्बत. 
 सुना गारी पंगत खिला री मुहब्बत.११०.
 
 'सलिल' तू न हो अहंकारी मुहब्बत.
 जो होना हो, हो निराकारी मुहब्बत.१११.
 
 'सलिल' साधना वन्दना री मुहबत.
 विनत प्रार्थना अर्चना री मुहब्बत.११२.
 
 चला, चलने दे सिलसिला री मुहब्बत.
 'सलिल' से गले मिल मिल-मिला री मुहब्बत.११३.
 
 कभी मान का पान लारी मुहब्बत.
 'सलिल'-हाथ छट पर खिला री मुहब्बत.११४.
 
 छत पर कमल क्यों खिला री मुहब्बत?
 'सलिल'-प्रेम का फल फला री मुहब्बत.११५.
 
 उगा सूर्य जब तो ढला री मुहब्बत.
 'सलिल' तम सघन भी टला री मुहब्बत.११६.
 
 'सलिल' से न कह, हो दफा री मुहब्बत.
 है सबका अलग फलसफा री मुहब्बत.११७.
 
 लड़ाती ही रहती किला री मुहब्बत.
 'सलिल' से न लेना सिला री मुहब्बत.११८.
 
 तनिक नैन से दे पिला री मुहब्बत.
 मरते 'सलिल' को जिला री मुहब्बत.११९.
 
 रहे शेष धर, मत लुटा री मुहब्बत.
 कल को 'सलिल' कुछ जुटा री मुहब्बत.१२०.
 
 प्रभाकर की रौशन अटारी मुहब्बत.
 कुटिया 'सलिल' की सटा री मुहब्बत.१२१.
 
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भाई ये तो सचिन की पारी हो गई १२१ नाट आउट। और वो भी चौकों और छक्कों में। न जाने कितने रिकार्ड तोड़ डाले आचार्य जी ने। तरही के तो सारे ही रिकार्ड टूट गए। बहुत बहुत बधाई आचार्य जी को
आपका आभार शत-शत.
सच सटीक और संक्षिप्त टिप्पणी करने के आपके अनुभव का कोई जवाब नहीं. धन्यवाद.
नमन सलिल जी इस महा इवेंट की महा गज़ल के लिये ! सृजन कितना धाराप्रवाह हो सकता है इससे पता चलता है ||
इसे कहते हैं (पंजाबी भाषा में) "सुनियार दी ठक ठक - लुहार दी इक्को सट्ट !" आचार्य जी, अभी थोडा आपके शेअरों से लुत्फंदोज़ हो लूँ, एक एक शेअर सवा सवा लाख का है - सभी पर अपने दिल की बात कहूँगा !
//मोहब्बत को इस बड़ी श्रधांजली, तथा तरही मिसरे को इस से बेहतर गिरह और क्या होगी ? //
आत्मीय जनों.
 वन्दे मातरम.
 २४२ पंक्तियों के मुहब्बतनामे  को पढ़ने और प्रतिक्रिया व्यक्त करनेवालों के सब्र को सलाम. भाई योगराज प्रभाकर जी और नवीन जी ने जो हौसलाअफजाई की उसका शुक्रिया. कमियों और गलतियों को मानने और सुधारने से परहेज नहीं है... कुछ बिन्दुओं पर अपनी बात स्पष्ट करना चाहता हूँ. 
 
 नगद है, नहीं है उधारी मुहब्बत.
 है शबनम औ' शोला दुधारी मुहब्बत.७.
 
 //नगद और उधारी का फंडा समझ में नहीं आया आचार्य जी, अलबत्ता दूजा मिसरा बेहतरीन है ! //
 
 नगद में लेन-देन एक साथ होता है, उधारी में अलग-अलग. जब प्रेम का आदान-प्रदान दोनों ओर से एक साथ हो तो नगद... जब एक ओर से हो दूसरी ओर से होना शेष रह जाये तो उधारी... इस अर्थ में प्रयोग है. 
 
 न जिस-तिस को तू सिर झुका री मुहब्बत.
 जो नादां है कर दे क्षमा री मुहब्बत.१४.
 
 //पहले मिसरे में "जिस तिस" के बाद "को तू" थोडा अटपटा सा लग रहा है ! जिस तिस के आगे तो सुना था लेकिन "जिस तिस को" यहाँ जाच नहीं रहा ! //
 
 प्रभु के आगे शीश नवाता हूँ के / प्रभु को शीश नवाता हूँ  इन दोनों का प्रयोग इस अंचल में होता है... यही छूट ली गयी है. 
 
 न आये कहीं जलजला री मुहब्बत.
 लजा मत तनिक खिलखिला री मुहब्बत.१६.
 
 //लजाने मात्र से ज़लज़ला आचार्य जी ?// 
 
 मुहब्बत मिलन की खुशी खिलखिलाकर व्यक्त करना चाहती है, लाज के कारण नहीं कर रही है. हार्दिक प्रसन्नता को कलेजे में दबाने के कारण जलजला होने की सम्भावना होने से लाज को परे रख खिलखिलाने का मशवरा है. 
 
 कभी चाँदनी में नहा री मुहब्बत.
 कभी सूर्य-किरणें तहा री मुहब्बत.१९.
 
 //आचार्य जी. "तहा" शब्द का अर्थ समझ नहीं आया - कृपया रौशनी डालें !//
 
 तहाना याने समेटकर रखना. शीतल चाँदनी में नहाने के बाद ठण्ड भागने के लिये सूर्य की तप्त किरणों को समेटने की बात है. 
 
 पहले तो कर अनसुना री मुहब्बत.
 मानी को फिर ले मना री मुहब्बत.२०.
 
 //"मानी" से क्या अभिप्राय: आचार्य जी ?//
 
 मानिनी = प्रेमिका, मानी = मान करनेवाला = प्रेमी. 
 
 रचा रास बृज में रचा री मुहब्बत.
 हरि न कहें कुछ बचा री मुहब्बत.२३.
 
 //बहुत खूब ! मगर हरि की शिकायत के मद्देनज़र बजाये रास रचाने की सलाह के सब कुछ लुटा देने की शिक्षा यहाँ क्या ज्यादा उचित न होती ? !//
 
 रास रचनेवाली तो हरि पर पहले ही सब कुछ लुटा चुकी होती हैं. रास में तो सुध-बुध भी खो जाती हैं. 
 
 नफरत के काँटे करें दिल को ज़ख़्मी.
 मिलें रहतें कर दुआ री मुहब्बत.३१.
 
 //"रहतें" या कि "राहतें ?" 
 
 आपने ठीक पकड़ा... टंकण त्रुटि हेतु खेद है. 'राहतें ही है. 
 
 शहादत है, बलिदान है, त्याग भी है.
 जो सच्ची नहीं दुनियादारी मुहब्बत.३४.
 
 //आचार्य जी यहाँ "जो" शब्द थोडा सा भ्रम पैदा कर सकता है ! ("जो" = who , "जो" = that )  आपने संभवतय: "जो" को "अगर" की तरह प्रयोग किया है ! //
 
 प्रभाकर जी आपकी पैनी दृष्टि को नमन. 'गर' की जगह 'जो' का प्रयोग है. 
 
 नहीं आयी करके वादा कभी तू.
 सच्ची है या तू लबारी मुहब्बत?४४.
 
 //आचार्य जी ये शेअर भर्ती का है !//
 
 सहमत. 
 
 लगे अटपटी खटपटी चटपटी जो
 कहें क्या उसे हम अचारी मुहब्बत?५३.
 
 //आचार्य जी ये शेअर भी भर्ती का ही है !//
 
 सहमत.
 
 खा-खा के धोखे अफ़र हम गये हैं.
 कहें सब तुझे अब अफारी मुहब्बत.६४.
 
 //आचार्य जी ये शेअर भी भर्ती का है, इसके बिना गुज़ारा हो सकता था  !//
 
 सहमत.
 
 मुखर, मौन, हँस, रो, चपल, शांत है अब
 गयी है विरह से उबारी मुहब्बत..
 
 //"गयी है विरह से" में शब्दों का क्रम ज़रा अजीब सा लग रहा है !//
 
 सही... 'विरह से गई है उबारी मुहब्बत' किया जा सकता है. 
 
 कोई कर रहा है, कोई बच रहा है.
 गयी है किसी से न टारी मुहब्बत.८९.
 
 //"गयी है किसी से" - शब्दों का कर्म देख लें !/
 
 सहमत. 'किसी से गयी है' किया जा सकता है. 
 
 रहे भाजपाई या हो कांगरेसी
 न लेकिन कभी हो सपा री मुहब्बत.९४.
 
 // हा हा हा हा , सपा ने ऐसा कर दिया आचार्य जी ?//
 
 वैसे तो यह सिर्फ मजाहिया शे'र है. सपा ने समाजवादी आन्दोलन और विचारधारा का कुर्सी के लिये खत्म कर दिया. बाजपा और कोंग्रेस सब कुछ के बाद भी अपनी विचारधारा को जिन्दा रखे हैं. इस पृष्ठभूमि में यह द्विपदी है. 
 
 अगारी पिछारी से होती है भारी.
 सच यह 'सलिल' को सिखा री मुहब्बत.१०८.
 
 //आचार्य जी इस ग़ज़ल में भर्ती बहुत की है शेअरों की आपने !!//
 
 शिल्प की दृष्टि से  'पिछाड़ी से अगाड़ी भारी होती है' मुहावरे का प्रयोग इस शे'र में है. कहन में सादगी है. अर्थवत्ता मुहावरे का अर्थ लेने पर प्रतीत हुई. शेष सहमत हूँ. सच यह है कि किसी भी शे'र को दुबारा देखने का अवसर नहीं पा सका. भारती के शे'रों के लिये खेद है. 
 
 पुनः ओबीओ परिवार और संचालकों का आभार.
आपका दिल से आभारी हूँ आचार्य जी !
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