For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस बार का तरही मिसरा 'बशीर बद्र' साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह गई"
वज्न: 212 212 212 212
काफिया: ई की मात्रा
रद्दीफ़: रह गई
इतना अवश्य ध्यान रखें कि यह मिसरा पूरी ग़ज़ल में कहीं न कही ( मिसरा ए सानी या मिसरा ए ऊला में) ज़रूर आये|
मुशायरे कि शुरुवात शनिवार से की जाएगी| admin टीम से निवेदन है कि रोचकता को बनाये रखने के लिए फ़िलहाल कमेन्ट बॉक्स बंद कर दे जिसे शनिवार को ही खोला जाय|

इसी बहर का उदहारण : मोहम्मद अज़ीज़ का गाया हुआ गाना "आजकल और कुछ याद रहता नही"
या लता जी का ये गाना "मिल गए मिल गए आज मेरे सनम"

विशेष : जो फ़नकार किसी कारण लाइव तरही मुशायरा-2 में शिरकत नही कर पाए हैं
उनसे अनुरोध है कि वह अपना बहूमुल्य समय निकाल लाइव तरही मुशायरे-3 की रौनक बढाएं|

Views: 8757

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हमने उनको आपना माना मेरे दोस्त ,
ओ हमें भूल गए दोस्ती में कमी रह गई
मैंने दिल से चाहा उन्हें ओ मेरा न हुए ,
लगता हैं मेरी चाहत में कुछ कमी रह गई ,
ग़ज़ल
जीतने कि हसरतों में मैं नहीं जानता,
वोह एक मासूम सी मुस्कान कहाँ रह गई ।

पूरी कायनात है मुठी में आज फिर भी ,
न जाने क्यों ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह गई ।

सज्जदा किया झुक कर तुने जब ,
पत्थर सी इस जान में कुझ नमी रह गई ।

हर उस रस्ते को मैं चूमता हूँ ,
जिस पे तेरी पाँव की तस्वीर रह गई ।

इतना न गरूर कर तू अपने हुसन पर ,
यहाँ न अनारकली रह गई , न मुमताज़ रह गई ।

कोंन कहता है की मैं तुझे प्यार नहीं करता ,
पुछ कि तेरे होठों पे यह हंसी क्यों रह गई ।

परिंदा हूँ मैं "लाली" उड़ने की कला जनता हूँ ,
पर मेरे परों की धड़कन तेरे दिल में रह गई ।

राज "लाली " बटालवी
Thanks Navin G!!
सराहनीय प्रयास है| बहरो वज्न और काफिये पर ग़ज़ल अभी कमज़ोर है| प्रयास करते रहे वह भी आ जायेगा|
Thanks Rana G! appereciate your comments !!
सज्जदा किया झुक कर तुने जब ,
पत्थर सी इस जान में कुझ नमी रह गई ।

हर उस रस्ते को मैं चूमता हूँ ,
जिस पे तेरी पाँव की तस्वीर रह गई ।bahut khoob kha .. dil se niklee hui aawaz
Thanks Asha pandey G@@

appericiate it !!
परिंदा हूँ मैं "लाली" उड़ने की कला जनता हूँ ,
पर मेरे परों की धड़कन तेरे दिल में रह गई ।

बहुत खूब, मुशायरे मे आप की शिरकत हुई, बहुत बढ़िया , अच्छा प्रयास किये है आगे भी जारी रखे ,
Thanks Ganesh G!
लाली भाई, प्रयास और ख्यालात दोनों उम्दा हैं, मगर बात को वज़न और लय में कहने की महारत अभी आपको हासिल करनी है ! बहरहाल, यह मिसरा इस बाद का शाहिद है कि प्रतिभा की कमी नहीं आप मे, और इस ख्याल ने मेरा दिल जीत लिया :
//पर मेरे परों की धड़कन तेरे दिल में रह गई ।//
"परों कि धड़कन", बड़ी ऊंचा तखय्युल है दोस्त !
waah bahut khoob Mumtaz ji kamal kya khoob gzal kahee aanand aagya

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
2 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
19 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service