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हर कथा का अंत सकारात्मक तो नहीं हो सकता , कुछ कठोर जिंदगी की धरातल पर भी लिखी जाती हैं | टिप्पणी के लिए आभार आपका
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ नीता कसार जी
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ शेख शहज़ाद उस्मानी जी , ये तल्ख़ हक़ीक़त है समाज की और बहुत सी लड़कियां इसका दंश झेल रही हैं
हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी!आपने लघुकथा के माध्यम से एक बेहतरीन सन्देश दिया है!पुनः बधाई!
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ तेज वीर जी
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ ज्योत्स्ना जी
'संकल्प' विषय को पूर्णरूपेण सार्थक करती इस प्रभावशाली कथा के लिए आप सादर बधाई स्वीकार करें।
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ रवि जी
कशमकश काच्छा चित्रण किया हैआपने..बधाई
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