For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-58 में सम्मिलित सभी ग़ज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

परम आत्मीय स्वजन

मुशायरे का संकलन हाज़िर कर रहा हूँ| बहरे कामिल पर आयोजित इस तरही मुशायरे में प्रस्तुत हुई गजलों को उसी तरतीब में रखा गया है जिस तरतीब में वे मुशायरे में पेश की गई थीं| मिसरों में दो रंग भरे गए है लाल अर्थात बहर से खारिज मिसरे और नीले अर्थात ऐसे मिसरे जिनमे कोई न कोई ऐब है|

मिथिलेश वामनकर

तू बड़ा रहीम-ओ-करीम है, मेरा दर्द दिल से निकाल दे
मैं तो इक सदी से हूँ आइना, मुझे कोई अक्स-ए-जमाल दे

हैं अजब-गज़ब तेरी ताकतें, जिसे दे तू औज-ए-कमाल दे
जिसे चाहे कोह-ए-वबाल दे, जिसे चाहे क़ूत-ए-हलाल दे

कि नसीब से जो तरक्कियां, जिसे मिल गई वही बदगुमां
जिसे जीत कर भी न हो गुमां, कोई हो अगर तो मिसाल दे

मेरे रहबरों के फरेब से, जो बचा सके मुझे राह में
किसी मोड़ पे जो उठा सकूं, मुझे ऐसा हर्फ़-ए-सवाल दे

तेरे नूर से मेरी जिंदगी, रही मुद्दतों से ही अजनबी
मुझे उम्र भर तो न होश था, मुझे आज अहद-ए-ख़याल दे

ये ख़ुदा जमीं के बने हुए, तेरे नाम से जो जफ़ा करें,
इन्हें हो गया है गुमान-ए-बद, इन्हें कोई खौफ़-ए-ज़वाल दे

न तो दर कोई न तो खिड़कियाँ, है अजीब-सा ये मकान-ए-जां
तुझे पा सकूं किसी रोज़ मैं, मुझे कोई बाब-ए-विसाल दे

‘मुझे ये सिफ़त ही रहे अता’- मेरी हर ग़ज़ल की यही दुआ
‘कहीं आंधियों में चराग़ को, मेरे लफ्ज़ दस्त-ए-मजाल दे’

मुझे ज़िन्दगी का वो फ़लसफा, नये मौसमों ने सिखा दिया
कभी रौशनी-सी बिखेर दे, कभी फूल कोई उछाल दे

न सराब दे, न तो ख़्वाब दे, मेरी बूँद भर की है तिश्नगी
मुझे जाम-ए-जम की न आरज़ू मुझे मेरा जाम-ए-सिफ़ाल दे

न रहे खफ़ा न करे वफ़ा, यहाँ कुर्बतों में भी दूरियाँ
“मेरा इश्क भी कोई इश्क है, कि न खुश करे न मलाल दे"

_________________________________________________________________________________

गिरिराज भंडारी

मुझे फिक्र अहले जहाँ की है, मेरी चाह दिल से निकाल दे
मेरी यादों को जो मिटा सके, तेरे ज़ह्न को वो ख़याल दे

मुझे रंज है कि उजालों का , कहीं नाम तक मै सुना नहीं
मै अँधेरों में जिया अब तलक, मुझे बस वहीं के सवाल दे

मुझे है ललक कि उड़ूँ कभी, मै भी आसमान में दूर तक
मुझे कर अता कभी पर नये, किसी आसमाँ में उछाल दे

कोई चश्मे-नम कभी हँस सके , कोई आबला भी चले कभी
कभी साहिलों को दे आँधियाँ, कभी कहकहों को मलाल दे

मुझे क्यूँ लगा, मेरी बेबसी , से जो तर हुई हैं कहानियाँ
वे तवील हैं, कहीं ये न हो, तू हँसी हँसी में ही टाल दे

तू जो साथ है , मुझे है खुशी , मुझे फूल दे या कि खार तू
मैने कब कहा ओ मेरे ख़ुदा , मुझे अब हसीन से हाल दे ?

मेरे हाथ को न तू हाथ दे, मेरे मसअलों को सँवार मत
मेरी कोशिशें न हों रायगाँ , मुझे आज ऐसा कमाल दे

वो जो थम गई उसे मौत कह , है रवाँ अगर तो है ज़िन्दगी
तो कठिन बना मेरी राह को , मेरे रास्तों को वबाल दे

लगा डूबने कहीं सूर्य जब , तो तमस लगा वहीं धेरने
मै बिखेर दूँ कभी रोशनी , मुझे दे जियाँ, वो मशाल दे

तू जो मिल के मुझको मिली नहीं, तो ये दिल कहे मेरी हमनवा
"मेरा इश्क भी कोई इश्क है, कि न खुश करे न मलाल दे"

_____________________________________________________________________________

Samar kabeer

यही अर्ज़ है तेरे सामने मुझे ऐसा कोई कमाल दे
जो सुने वो सुन के तड़प उठे,मेरे शैर को वो ख़याल दे

मेरा दिल वही,तेरा ग़म वही,वही बेबसी,वही ज़िन्दगी
ये तेरा करम भी अजीब है,न उरूज दे,न ज़वाल दे

जो मिटाए ज़ह्नों से तीरगी,जो दिखाए इल्म की रोशनी
मुझे फ़ख़्र हो जिसे थाम कर मेरे हाथ में वो मशाल दे

मैं हूँ एक शाईर-ए- ख़ुश नवा,तेरी दाद है मेरा हौसला
तू मेरी ग़ज़ल का है आईना,मेरी शाईरी को उजाल दे

यूँ ही रो नहीं यहाँ बैठ कर,लगा ज़िन्दगि ज़रा दाव पर
कोई ऐसा कार-ए-नुमायाँ कर कि ज़माना तेरी मिसाल दे

मैं समझ गया मेरे महरबाँ,कि ग़लत नहीं है तेरा बयाँ
"मेरा इश्क़ भी कोई इश्क़ है कि न ख़ुश करे न मलाल दे"

न तबाह कर तू ये ज़िन्दगी,किसे रास आई है दुश्मनी
मेरा मशविरा है "समर" यही ये फ़ुतूर दिल से निकाल दे

_________________________________________________________________________________

Nilesh Shevgaonkar

ऐ ख़ुदा मुझे तू क़रीब कर मेरी रूह को ज़रा हाल दे
तेरे नाम से करूँ इब्तिदा मुझे हर्फ़ हर्फ़ कमाल दे.
.
तेरा बुत ग़ज़ल में मैं घड सकूँ मुझे रौशनी से ख़याल दे
तू ही चाक बन मेरी फ़िक्र का, मुझे आसमां की सिफ़ाल दे.
.
मुझे राधिका सा दीवाना कर तेरी बाँसुरी सा विसाल दे
‘मेरा इश्क भी कोई इश्क है कि न खुश करे न मलाल दे’.
.
जो मेरे सुख़न में हों तितलियाँ या कि ज़िक्र हो कहीं फूलों का
तो मेरे सुख़न को दे ख़ुशबुएँ इसे तितलियों सा जमाल दे.
.
मैं हमेशा सच का ही साथ दूँ मुझे ये सिफ़त भी नवाज़ तू
मुझे अपने जैसी मिसाल कर मुझे अपने जैसा जलाल दे. .
.
मेरी ज़ीस्त है किसी रात सी कोई चाँदनी मेरे नाम कर
मैं सितारे चंद समेट लूँ मुझे आसमां में उछाल दे.

तू है आफ़्ताब, चिराग़ मैं तू हैं ला-मकाँ, मैं हूँ क़ैद में
मैं समाऊंगा तेरे ‘नूर’ में मुझे इस क़फ़स से निकाल दे.

_________________________________________________________________________________

दिनेश कुमार

मेरी ख़्वाहिशों को मेरे ख़ुदा, तू हमेशा दस्त-ए-मजाल दे
कोई काम ऐसा मैं कर सकूँ, कि ज़माना मेरी मिसाल दे

न बुरा करूँ न बुरा सहूँ, न गलत दिशा में कभी चलूँ
मेरी ज़हनियत को मेरे ख़ुदा, सदा नेक फ़िक्र-ओ-ख़याल दे

ग़म-ए-जाँ से मैं हुआ नीम-जाँ, मेरे चार गर है तू अब कहाँ
मेरे दर्द-ओ-ग़म के उरूज़ को, मेरे पास आ के ज़वाल दे

तेरी चाह ऐश-ओ-तरब की है, मुझे शौक इश्क़-ओ-ख़ुलूस का
जो तू ख़ुद को ही न बदल सके, तो मुझे भी दिल से निकाल दे

मैं जनम जनम से भटक रहा, तेरा प्यार पाने को दिलरुबा
शब-ए-हिज्र मेरी ये खत्म हो , मुझे अब तो सुब्ह-ए-विसाल दे

मुझे उनकी बज़्म-ए-सुखन में अब, नया गीत कोई सुनाना है
मेरी कल्पना की उड़ान को, अ ख़ुदा तू औज-ए-कमाल दे

मेरे ज़ह्न-ओ-दिल की तो बोरियत, वही पहले जैसे बनी हुई
"मेरा इश्क़ भी कोई इश्क़ है कि न खुश करे न मलाल दे"

वो हिसाब अपनी जफ़ाओ का, लिए बैठें हैं मेरे रूबरू
मुझे देखते वो सिहर उठें, मुझे ऐसी चश्म-ए-सवाल दे

कोई मेनका हो या उर्वशी, मेरे दिल को उससे न वास्ता
मेरी जान-ए-मन मेरी शायरी, कोई इसको हुस्न-ओ-जमाल दे

मुझे माल-ओ-ज़र नहीं चाहिए, किसी ग़ैर ने जो कमाया हो
मुझे रोज़-ए-हश्र की फ़िक्र है, मुझे रब तू रिज़्क-ए-हलाल दे

________________________________________________________________________________

शिज्जु "शकूर"

मैं गुलो चमन जो खिला सकूँ, मेरे दिल को ऐसा खयाल दे
दिखे सम्त सम्त फ़िज़ा हसीं, मेरी नज़रों को वो जमाल दे

ये शिकायतें हैं नसीब से, मुझे लुत्फे इश्क़ मिला नहीं
“मेरा इश्क भी कोई इश्क है, कि न खुश करे न मलाल दे”

हुये बेअसर यूँ पड़े पड़े, मेरा हौसला मेरी हिम्मतें
नहीं जानता कि न जाने क्या, मेरा इंतज़ार मआल दे 

कहीं ज़र्द ज़र्द हैं पत्तियाँ, कहीं शाख लगती हरी भरी
यूँ बदलती रुत ये हर एक पल, मुझे उलझनों मे ही डाल दे

मुझे ठोकरों से ज़माने की, वो पता चला जो अयाँ नहीं 
हूँ चराग एक बुझा हुआ, कोई तीरगी से निकाल दे

यूँ खुदा का तुझपे करम रहे, कि दुआयें तेरी कुबूल हों
तेरी जिन्दगी में चमक रहे, तुझे नूर मिस्ले-ग़ज़ाल दे 

ये नसीब तेरा बदल गया, कि बदल गई तेरी चाहतें
तू रहा नहीं वो हबीब अब, कि ये दुनिया तेरी मिसाल दे 

___________________________________________________________________________________

rajesh kumari

नई सोच दे नई ताब दे ए मेरे खुदा वो कमाल दे
जिन्हें लिख सकूँ जिन्हें बुन सकूँ मुझे हर नये तू ख़याल दे

भली दुश्मनी न वो दोस्ती जो कदम कदम पे सवाल दे
न वो रास्ते न हो वास्ते तेरा नाम जो कि उछाल दे

मेरी नज्म हर मेरी शायरी तेरे वास्ते ही लिखी गई
न बनी कहीं कोई रहगुज़र मेरे दिल से तुझको निकाल दे

सही चुन दिशा सही चुन सफ़र सही चुन गली सही चुन डगर

न तू कर कभी ऐसा काम जो तेरी जिन्दगी में जवाल दे

जो भला किया जो बुरा किया वो किया धरा यहीं रह गया
इन्हें साथ लेके जो जा सका खुदा कोई ऐसी मिसाल दे

मेरी आशिकी मेरी बन्दगी है फ़िजूल सब ये मुझे लगा
मेरा इश्क़ भी कोई इश्क़ है कि न खुश करे न मलाल दे

ए खुदा मेरे क्या बना सके तू एजाज से ऐसा आइना
जो दिखा सके सही सीरतें न कि सूरतों को जमाल दे

मैं लिखूँ अभी तेरे हाथ पर तू मिले मुझे उसी मोड़ पर
मुझे डर यही जो सता रहा कहीं भूल जा या न टाल दे

जो हटा सके किसी धुंध को जो मिटा सके कोई तीरगी
जो दिखा सके सही रास्ते मेरे हाथ में वो मशाल दे

_________________________________________________________________________________

krishna mishra 'jaan'gorakhpuri

ए मेरे ख़ुदा कोई जलवा तो , दिखा ख़त्म कर ये बवाल दे
है ये जिस्म क्या है ये रूह क्या, न जुदा रहे न विसाल दे

कहे मौलवी कहे पादरी, है ये पंडितों ने भी तो कहा
तू मिले उसे जो ले मान बस, न उठा कोई जो सवाल दे

हाँ चलो मेरा ये नसीब है, करूँ काफिरी तो यही सही
तेरा फैसला मुबारक तुझे, न सवाल हो न मजाल दे

तेरी मिल्कियत तो खुदा नही, है मेरा भी तो वही नाख़ुदा

मैंने खुद को सौप दिया उसे,गो जलाल दे,या जवाल दे

हाँ ये इश्क तो है ख़ुदा मेरे, तेरी बन्दगी का ही नाम ही
"मेरा इश्क भी कोई इश्क है, कि न खुश करे न मलाल दे"

_________________________________________________________________________________

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

मेरा इश्क भी कोई इश्क है कि न खुश करे न मलाल दे
न वफा करे न जफा करे न जवाब ले न सवाल दे

अब माफ़ कर तू खता सभी अहसान तू न जता कभी
कर नेकियाँ सब शान से प्रिय ! कूप में फिर डाल दे

तुम थे सदा जिस चाह में वह मिल गए जब राह में
तब कीजिये फिर देर क्यों मन के गुबार निकाल दे

उर पीर दारुण शूल सा तन बावरा मधु फूल सा
अब तो रहम कर आशना बस एक संग उछाल दे

हम बांध कर सिर पर कफ़न करने चले खुद को दफ़न
करनी हिफाजत मुल्क की अब तू ज्वलंत मशाल दे

अपने लिए अब क्या कहूं जिस भांति हूँ चलता रहूँ
पर जो अनाथ अपंग है उनको उजास जमाल दे

वश में न था न कभी किया हर सिम्त याद किया जिया
अब रात है सब सो रहे परवरदिगार विसाल दे

_________________________________________________________________________________

Kewal Prasad

सुविधा हमारे लिये नहीं, ये वो चाश्नी जो सवाल दे.
तेरे राज भी अब छिपे नहीं, जो कि हौसलो को उछाल दे.

मेरे स्वप्न माल में आईये; तो हुजूर, नींद की राह से
ये खुले नयन जो डरे-डरे, न कहे हसीन धमाल दे.

जिसे जानते थे न दोस्ती, न कि दुश्मनी के लिये सही,
वही जिंदगी संवारता, मेरा हम सफर सा रसाल दे.

तेरे रंग-रूप की चाहते, ये हसी बहार मिसाल है,
मेरा इश्क भी कोई इश्क है, कि न खुश करे न मलाल दे.

उसे राम नाम की क्या पडी, न खुदा खुदी में बुलंद वो
वो रहीम संत कबीर खुद, जो कि जाति‌-पाति निकाल दे.

कोई शेरेहिंद कमाल का, कोई बाद्शाह असूल का,
किसे सौप दू ये हसीन पल, जो कि दो जहाँ का गजाल दे.

__________________________________________________________________________________

मोहन बेगोवाल

कई बार ये मेरी जिन्दगी यूँ ही कर ऐसे वो कमाल दे

मुझे जब उमीद जवाब की तो सवाल कोई उछाल दे

कि रहे सदा मेरे साथ याद जो छोड़ मुझको चला गया,
अभी भूल जाऊँ ऐ जिन्दगी कोई चाह दिल से निकाल दे

तेरे दर पे आ गया और सर झुका के तुझे खुदा भी कहा
ऐ खुदा मेरी ये दुआ तुझे मेरी मुफलिसी को भी टाल दे

तुझे जो मिली है ये जिंदगी न ये तेरे साये कि साथ हो,
मिले राह में कभी तीरगी तेरे हाथ कोई मशाल दे

कोई कब रहा मेरे साथ साथ हमें किसी पे यकीन हो
"मेरा इश्क भी कोई इश्क है कि न खुश करे न मलाल दे"

_________________________________________________________________________________

दिगंबर नासवा

मेरा हाथ-हाथ तिलिस्म है, के जहान मेरी मिसाल दे
नहीं पास पर है हुनर तुझे, जो ग़ज़ल के शेर में ढाल दे

तेरी चाहतें मेरी हसरतें, में किसी की कद्र न कर सका
में किसी के काम न आ सका, मुझे दिल से अपने निकाल दे

तू मुझे मिला तो है रब मिला, मुझे ज़िन्दगी का है ढब मिला
मेरी जिंदगी में जो दर्द है, उसे चुटकियों में निकाल दे

न ख़ुशी मिली न ही गम मिला, तेरे दर से मुझ को है क्या गिला
मेरा रब ही है मेरी जिंदगी, जो मेरा नसीब है डाल दे

अभी आ रहे हैं जो काफिले, कहीं दूर उन का मुकाम है
न बुझे उमंग की रोशनी, न ही बुझ सके वो मशाल दे

में तो पत्थरों का हूँ रास्ता, न किसी का मुझसे है वास्ता
मुझे जिंदगी से न कुछ गिला, ये फिराक दे के विसाल दे

न खिली कली न ही लो जली, न मची है दिल में भी खलबली
मेरा इश्क भी कोई इश्क है, कि न खुश करे न मलाल दे

_________________________________________________________________________________

charanjit chandwal `chandan'

तू है हर क़दम मेरा हमक़दम कोई इस तरह का खयाल दे
जहां मंज़िलें न नसीब हों उन्हीं रास्तों पे तू डाल दे

मुझे मिल के गुल सा खिला नहीं न जुदाई में हुई आँख नम
मेरा इश्क़ भी कोई इश्क़ है जो न ख़ुश करे न मलाल दे

मेरे दर्दे दिल की दवा तो बस तेरे पास है जो तू कर सके
मेरे ज़ख़्में दिल तू कुरेद जा मेरे ग़म ज़रा से उबाल दे

कोई महक बन के बिखर यहां कोई रंग ऐसा छोड जा
कोई बात जब करे फूलों की तेरा नाम ले के मिसाल दे

यूँ भी मिल रहा है मिज़ाज़ सा मेरे शहर का मेरे यार से
कभी भरले मुझको है बाहों में कभी दिल की हद से निकाल दे

__________________________________________________________________________________

Dr Ashutosh Mishra

यूं ही चैन से मुझे जीने दे तू हयात में न वबाल दे
कभी मैं भी था तेरा आश्ना तू ये बात दिल से निकाल दे

मेरे रब पे मुझको यकीन है मुझे आसमां या जवाल दे
जो खुदा से मुझको करे जुदा कभी तू मुझे न वो ख्याल दे

था सवाल मेरी हयात का जिसे खेल तूने समझ लिया
कभी ज़िंदगी का भी फैसला कोई ऐसे सिक्का उछाल दे ?

वो हसीन रुख है नकाब में मेरा दिल धड़क के कहे यही
मेरा इश्क़ भी कोई इश्क़ है कि न खुश करे न मलाल दे

है ये ज़िंदगी भी बिसात सी कभी हार है कभी जीत है
तू जो चाल चल वो जतन से चल तेरी चाल ही न मलाल दे

खता आदमी से ही होती है खता आदमी से ही हो गयी
मेरी नौकरी मेरी ज़िंदगी मेरी नौकरी तू बहाल दे

मुझे मुफलिसी मुझे दर्द ये है कुबूल सारी हयात का
मुझे हसरतें हैं न ताज कि कभी दे तो रिज़्क़ हलाल दे

_________________________________________________________________________________

मिसरों को चिन्हित करने में कोई गलती हुई हो अथवा किसी शायर कि ग़ज़ल छूट गई हो तो अविलम्ब सूचित करें|

Views: 1530

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीय राणा सर सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई और संकलन जैसे कष्टसाध्य कार्य हेतु आभार।
आदरणीय राणा सर, आपके मार्गदर्शन अनुसार शेर में निम्नानुसार संशोधन निवेदित है -

‘मुझे ये सिफ़त ही रहे अता’- मेरी हर ग़ज़ल की यही दुआ
‘कहीं आंधियों में चराग़ को, मेरा शेर दस्त-ए-मजाल दे"

आदरणीय राणा प्रताप भाई , तरही मुशायरे के एक और सफल आयोजन के लिये आपको और मंच को हार्दिक बधाइयाँ और साधुवाद । संकलन जैसे दुरूह कार को पूरा करने और संकलन उपलब्ध कराने के लिये आपका आभार।

बीच मुशायरे मे नेट कनेक्टिभिटी की परेशानी के कारण मै अपनी अनुउपस्थिति  के लिये सभी शुअरा के माफी चाहता हूँ । और उनके कलाम के लिये दिली बधाइयाँ प्रेषित करता हूँ । मेरी ग़ज़ल पढ़ के सराहना कर उत्साह वर्धन के लिये सभी पाठकों का हृदय से आभारी हूँ ॥

आदरणीय राणा भाई जी , एक मिसरा जो दोषपूर्ण है उस मिसरे को  आपकी सलाह के अनुसार की निम्नानुसार बदलने की क्रिपा करे -- 

मुझे रंज है कि उजालों का , कहीं नाम तक मै सुना नहीं   --  इस मिसरे के स्थान को

"मुझे रंज है कि उजालों का , कहीं नाम तक मै न सुन सका"   --   इस मिसरे से प्रतिस्थापित करने की कृपा करें ॥ सादर निवेदित ॥

आदरणीय राणा प्रताप जी, मुशायरे के सफल आयोजन के लिये हार्दिक बधाई। संकलन के लिए धन्यवाद।
मेरी ग़ज़ल के गिरह के शे'र में बोरियत शब्द की जगह ' बेकली ' अगर उपयुक्त हो तो कर दीजिये। आभार।
साथ ही अ ख़ुदा की जगह ऐ ख़ुदा भी कर दें । आभार।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
Monday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service