मित्रों आप सबके समक्ष है नए सालका नया तोहफा एक नए कोने के माध्यम से| प्रस्तुत है भूले बिसरे गीतों की कहानी " गीत भूले बिसरे"| प्रतिदिन साईट में दाहिनी तरफ परिवर्तित होने वाला यह कोना आप सबको ऐसी पुरानी यादों में ले जायेगा जो मष्तिष्क के किसी कोने में अब भी तरो ताज़ा
हैं| ऐसे गीत जिन्हें जिन्हें ज़माने में उडी धूल की परतों ने धुंधला कर
दिया है, जिन्हें  सुनकर पुराने दिन चोले बदल कर सिरहाने आ बैठते हैं, दिल
के कसी कोने में एक हलचल सी मचाती है| आपकी यादों के इन्ही घरौंदों को बचा
कर रखने की एक कोशिश है " गीत भूले बिसरे"|
*मुख्य पृष्ठ पर स्थान उपलब्ध करने के लिए OBO प्रबंधन को भी बहुत बहुत धन्यवाद|
आशा है आपको यह प्रयास बहुत पसंद आयेगा|
इस कोने के बारे में अपनी प्रतिक्रया से ज़रूर अवगत कराएं|
आपका अपना
(राणा प्रताप सिंह)
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साथियों आज की प्रस्तुति है 1970 में मनोज कुमार द्वारा निर्देशित फिल्म पूरब और पश्चिम से....इस गीत को स्वर से सजाया है मुकेश ने...संगीतकार हैं कल्यानजी-आनंदजी और गीतकार हैं इन्दीवर....
गीत है-- कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे, तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे, तब तुम मेरे पास आना प्रिये मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए...
दोस्तों, आज प्रस्तुत है १९६४ में प्रदर्शित हुई फ़िल्म "चा चा चा" का एक युगल गीत, जिसे स्वर दिया है आशा भोसले और मुहम्मद रफ़ी ने, संगीतकार है इकबाल कुरेसी, कलम का जादू बिखेरा है हैदराबादी फनकार मखदूम मोहयूद्दीन साहब ने |
चंद्रशेखर द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्य भूमिका में थे स्वयम चंद्रशेखर, हेलेन, ओम प्रकाश, बेला बोस, लीला मिश्रा, अरुणा ईरानी और दारा सिंह जी | इस गीत को देर रात में सुनिये बहुत आनंद आयेगा | प्रस्तुति :- गणेश जी "बागी"
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