For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 155 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |

इस बार का मिसरा जनाब 'जॉन एलिया' साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

"जो भी ख़ुश है हम उससे जलते हैं"
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
2122 1212 22/112
बह्र-ए-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस सालिम मख़बून महज़ूफ

रदीफ़ --हैं

काफिया :-(अलते की तुक) ढलते,पलते,निकलते,चलते,मलते,खलते आदि...

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी | मुशायरे की शुरुआत दिनांक 26 मई दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 27 मई दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 26 मई दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 5090

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय  Sanjay Shukla  जी नमस्कार

आपकी दाद, और सुझावों के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:।

आदरणीय बेहतरीन ग़ज़ल हुई। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय Dr. Ashok Goyal साहिब आदाब,

आपकी दाद, विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय तल से आभारी हूँ।

//गुल पनाहों में इनकी पलते हैं ।

किस लिए ख़ार तुमको खलते हैं//

"वाह बहुत अच्छा सुझाव "

// किसी रूह तक रसाई मुमकिन नहीं होती //

आदरणीय यह काव्य में अपने भाव को प्रकट करने का एक तरीक़ा है।

रूह को छूना या दिल को छूना या रूह तक पहुँचना इन सब का यही अर्थ है

कि आप किसी व्यक्ति विशेष के साथ सतही तौर पर नहीं अपितु बहुत गहराई के साथ

जुड़ने और समझने में सफल हुए हैं // सादर //

आदरणीय अमित जी, सादर नमस्कार। एक अच्छी ग़ज़ल के साथ मुशायरे का आग़ाज़ करने के लिए हार्दिक बधाई आपको।

आदरणीय जयनित कुमार मेहता भाई आदाब,

बहुत बहुत शुक्रिय:।

बहुत ख़ूब,,, आदरणीय अमित जी

      हार्दिक बधाई,,,, स्वीकार कीजिए 

जनाब अमित जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई 

आदरणीय Anis arman जी आदाब,

बहुत बहुत शुक्रिय: ।

2122 1212 22


रास्ते बीच के निकलते हैं
मस'अले टालने से टलते हैं १

हूँ मुहब्बत में आपकी जब से
आप हर वक़्त साथ चलते हैं 2

आज फिर से ज़ियादा पी उसने
ग़म सँभाले नहीं सँभलते हैं 3

मयकदे में है ऐसा क्या जो लोग
लड़खड़ाते हुए निकलते हैं 4

कद्र तुझको नहीं मुहब्बत की
जो नहीं पाते हाथ मलते हैं 5

कोई मौसम नहीं हमें भाता

बिन तेरे सारे हमको खलते हैं 6

ज़ीस्त की है ग़ज़ल उदास "रिया"
इसके शेरों में ग़म भी ढलते हैं 7

गिरह-


जब हमारी नहीं रहीं ख़ुशियाँ
"जो भी ख़ुश है हम उससे जलते हैं"

"मौलिक व अप्रकाशित"

//कद्र तुझको नहीं...// आदरणीया रिचा जी क्या खूब कहा, इस शेर और ग़जल के लिए हार्दिक बधाई 

आदरणीय शकूर जी अभिवादन

बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए 

सादर

आदरणीय Richa Yadav जी आदाब
तरही मिसरे पर ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें।

रास्ते बीच के निकलते हैं
मस'अले टालने से टलते हैं १
( बीच का रास्ता निकले तो मस'अले टलते नहीं सुलझते हैं

पर क़वाफ़ी की पाबंदी की वज्ह से

सँभलते हैं, मिलते हैं का प्रयोग करना पड़ेगा)

सुझाव -
रास्ते बीच के निकलते हैं

तब कहीं मस'अले सँभलते हैं

हल तभी मस'अलों के मिलते हैं

हूँ मुहब्बत में आपकी जब से
(उला और बहतर सोचें)
आप हर वक़्त साथ चलते हैं 2

आज फिर पी के आए हैं जिनसे
ग़म सँभाले नहीं सँभलते हैं 3

क़द्र तुझको नहीं महब्बत की
जो हैं महरूम हाथ मलते हैं 5

कोई मौसम नहीं हमें भाता
तेरे बिन सारे हमको खलते हैं 6

ज़ीस्त की है ग़ज़ल उदास "रिया"
अश्क अब शाइरी में ढलते हैं 7

गिरह-सुझाव
बात रुस्वाई की है सच है मगर 
"जो भी ख़ुश है हम उससे जलते हैं"

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है।  ग़ज़ल 2122 1212 22 .. इश्क क्या…"
39 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, सबसे पहले ग़ज़ल पोस्ट करने व सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल 2122 1212 22..इश्क क्या चीज है दुआ क्या हैंहम नहीं जानते अदा क्या है..पूछ मत हाल क्यों छिपाता…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए आभार।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service