For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यादें बस यादें उनकी

हम जब उनको दिल स भुलाने लगते है
और ज्यादा वोह याद आने लगते है

मुझे न जाने क्या क्या कह देते है वोह
मैं कुछ कह दूं तो वो शर्माने लगते है

दिल में किसी के बस जाना आसान नहीं
काम कठिन है इस में ज़माने लगते है

याद तेरी आ जाती है तब काम बहुत
हम जब मुश्किल में घबराने लगते है

आज कोई "अलीम" स चुपके स बोला
आप मुझे जाने पहचाने लगते है .....

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Surkhab Bashar on October 26, 2018 at 11:33pm

मतल'अ का सानी मिस् रा यूं कर ले तो केसा है

और ज़्याद याद वो आने लगते हैं

वेसे अच्छी ग़ज़ल हुई है

Comment by Admin on April 20, 2010 at 5:10pm
फिर से एक अच्छी रचना पढने को मिला, बहुत बढ़िया है, शुक्रिया ,

याद तेरी आ जाती है तब काम बहुत
हम जब मुश्किल में घबराने लगते है
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on April 19, 2010 at 10:59pm
bahut badhiay aleem jee....
मुझे न जाने क्या क्या कह देते है वोह
मैं कुछ कह दूं तो वो शर्माने लगते है
bahut behtareen hai aapki ye rachna...aage bhi aapki aisi rachnaon ka intezaar rahega....
Comment by aleem azmi on April 19, 2010 at 10:46pm
bahut bahut shukriya ganesh bhai...hausala afzai liyee

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 19, 2010 at 10:29pm
अलीम जी ये प्रस्तुति भी पहले की तरह काफी खुबसूरत बनी है, आप के लेखनी मे जो गहराई है उसे दिल से महशुश किया जा सकता है,एक और लाजवाब रचना हम लोगो के सामने आया है,तहे दिल से शुक्रिया ,
मै तो बस इतना ही कहूगा की,
आप चंद दिनों मे ही अपनो सा लगने लगे,
नहीं तो यहाँ किसी को जानने मे जमाने लगते है,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service