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Aleem azmi's Blog (23)

ghazal

है कयामत या है बिजली सी जवानी आपकी

खूबसूरत सी मगर है जिंदगानी आपकी



तीर आँखों से चलाना या पिलाना होंठ से…

Continue

Added by aleem azmi on February 8, 2011 at 2:13pm — No Comments

तुम्हारे बिना

दिल की तन्हाईयों से ज़िन्दगी के रास्ते नहीं कटते,
तुम्हारे बिना हमारी तनहा रातें नहीं कटते.

तुमने तो अपने दिल को रख दिया है उस शहर में,
जिसके रास्ते हमारी मंजिल तक नहीं पहोचते.

अपने दिलं के रास्तों को ऐसे बंद मत करो,
क्यूंकि उसी की राह से हमारी भी सांसें है गुज़रते.

इतना रूठ कर कहा जाओगे हमसे,
आप के रास्ते तो हमारी ही मंजिल पर आकर रुकते.

Added by aleem azmi on December 9, 2010 at 6:00pm — No Comments

शाइरी

खुशी मेरी छीन ली उसने ,
मुस्कुराना भुला दिया ..
गम दे दिया मुझे ,
ज़िन्दगी भर रुलाने के लिए ........

कैसे जीते वो बिचड़ के लोग
ये हमने जाना है ..
कैसे जिंदा है वो लोग ये हमने जाना है ..
हमने तो अपने कातिल को देखा तक नही ........

Added by aleem azmi on December 9, 2010 at 5:47pm — No Comments

ग़ज़ल ( उनको ही चाहा करेंगे... )

अब उनकी बेरुखी का न शिकवा करेंगे हम
लेकिन यह सच है उनको ही चाहा करेंगे हम ।

जायेंगे वो हमारी गली से गु़ज़र के जब
बेबस निगाह से उन्हें देखा करेंगे हम ।

तन्हाईयों में याद जब उनकी सताएगी
दिल और जिगर को थाम के तदपा करेंगे हम

करते नही कबूल मेरी बंदगी तो क्या
बस उनके नक्शे पा पे ही सजदा करेंगे हम ।

"अलीम" अगर वो यारे हसीं मेहरबान हो
जीने की थोडी और तम्मान्ना करेंगे हम ।

Added by aleem azmi on June 12, 2010 at 9:49pm — 5 Comments

ग़ज़ल (याद तेरी आये तो...)

याद तेरी आये तो ग़ज़ल कहता हूँ

रात दिन मुझको सताए तो ग़ज़ल कहता हूँ

होंठ स अपने पिलाए तो ग़ज़ल कहता हूँ

आँखों स आँख मिलाये तो ग़ज़ल कहता हूँ

चांदनी रात में तनहा मै कभी होता हूँ

याद में नींद न आये तो ग़ज़ल कहता हूँ

जब कोई होंठ पर मुस्कान सजा कर अपने

शर्म स आँख झुखाये तो ग़ज़ल कहता हूँ

पढ़ के अशार को "अलीम" के अगर कोई भी

मेरी हिम्मत को बढाए तो ग़ज़ल कहता हूँ

Added by aleem azmi on June 8, 2010 at 6:10pm — 4 Comments

ग़ज़ल (देखा है जब से आपको...)

देखा है जब से आपको हमने हिजाब में
लगता नहीं हमारा दिल अब किताब में

पी कर तुम्हरी आँख से महसूस यह किया
मस्ती न कुछ दिखी है खालिस शराब में

क्या तुमको मुझसे प्यार है पुछा था एक सवाल
मुस्कान लब पे रख दिया उसने जवाब में

शायद वो हमसे प्यार अब करने लगा जनाब
वो आप आप कहता है हमको खिताब में

मै क्यों न अपनी जान को तुम पर करू निसार
कयामत छुपी आपके "अलीम" शबाब में

Added by aleem azmi on June 8, 2010 at 5:52pm — 3 Comments

yaad.........

जब याद तेरी तडपाये

रातों को नींद न आये



कोई दर्द समझ न पाए

आने वाले अब तो आजा



सावन बीता जाए

जब याद तेरी तडपाये



बचपन में साथ जो खेले

सब दुःख सुख मिलकर झेले



हम रह गए आज अकेले

jab से वोह परदेस गए हैं



लौट कर फिर न आये

जब तेरी याद तडपाये



जब फैली तेरी खुशबू

सूखे आँखों में आंसू



है तुझमे ऐसा जादू

मिटटी को अगर हाथ लगा दे



तो सोना बन जाए

जब याद तेरी तडपाये



बरसे… Continue

Added by aleem azmi on May 29, 2010 at 9:03pm — 9 Comments

हुस्न

हम को भी तुमसे प्यार था और बेहिसाब था

था वक़्त आशिकी का दौरे शबाब था



आँखों में शराब जब वक्ते शबाब था

जुल्फे भी उनकी नागिन ऐसा जनाब था



जो तुम खफा हुए तो ज़माना खफा हुआ

हम पर खुदा कसम की कोई अज़ाब था



उसने जब अपने हाथ में मेहदी रचा लिया

सब कुछ मिटा के रख दिया जितना खवाब था



मुझसे बिछड़ के रुख की कशिश को भी खो दिया

चेहरा था पुर कशिश कोई ताज़ा गुलाब था



अलीम के होश उड़ गए देखा जो एक झलक

कयामत वो ढा रहा था और बेहिजाब… Continue

Added by aleem azmi on May 25, 2010 at 9:35pm — 7 Comments

उफ़ तेरा हुस्न

देख कर लोग मेरे साथ में जल जाते है

हम कभी साथ में तनहा जो निकल जाते है



याद आये मेरी तस्वीर लगाना दिल से

देख तस्वीर तेरी हम भी बहल जाते है



तू में खाई है कसम साथ निभाना होगा

करके वादे को सभी लोग बदल जाते है



होके दीवाना मैं गलियों में फिरा करता हू

वह कभी सज संवर के जो निकल जाते है



है उन्हें नाज़ जवानी पे ये मगर ए अलीम

देखकर हमको सभी लोग अहल जाते है



aap kabhi bhi hume yaad kar sakte hai kyuki kuch dino ke liye aapse… Continue

Added by aleem azmi on May 22, 2010 at 9:33pm — 6 Comments

हर एक अदा

वो घटा आज फिर स बरसी है
मुद्दतों आँख जिस पे तरसी है

कल तलक जो मेरा मसीहा था
आज उसकी ज़बा ज़हर सी है

मर मिटा आपकी अदाओं पर
हर अदा आपकी कहर सी है

रूठ जाना ज़रा सी बातों पर
यह अदा भी तेरी हुनर सी है

खो न जाऊ तुम्हारी आँखों में
आँख "अलीम" तेरी नगर सी है

Added by aleem azmi on May 21, 2010 at 2:48pm — 6 Comments

चुपके चुपके

मैं रोता रहा रात भर चुपके चुपके
गई रात आई सहर चुपके चुपके

वह कुर्बत बढाने लगा आजकल है
मिलाता है मुझसे नज़र चुपके चुपके

तेरी चाहतें खीच लायी येह तक
मैं आया हू तेरे नगर चुपके चुपके

लगाया था तुमने मोहब्बत का पौधा
वह होने लगा है शजर चुपके चुपके

तेरी आशिकी का है चर्चा शहर में
यह फैली "अलीम" खबर चुपके चुपके

शजर - पेड़ , दरख़्त
कुर्बत - करीब आना

Added by aleem azmi on May 21, 2010 at 1:59pm — 4 Comments

ग़ज़ल-2 (Aleem Azmi)

तन्हाई में जब जब तेरी यादों से मिला हू
महसूस हुआ है तुम्हे देख रहा हू

ऐसा भी नहीं है तुम्हे याद करू मैं
ऐसा भी नहीं है तुम्हे भूल गया हू

शायद ये तकब्बुर की सजा मुझको मिली है
उभरा था बड़े शान से अब डूब रहा हू

ए रात मेरी सम्त ज़रा सोच के बढ़ना
मलूँ नहीं तुम्हे क्या मैं अलीम जिया हू

तकब्बुर - घमंड
सम्त - मेरी तरफ , जानिब
जिया -रौशनी उजाला

Added by aleem azmi on May 20, 2010 at 10:05pm — 5 Comments

ग़ज़ल-1 (Aleem Azmi)

वह मेरा मेहमान भी जाता रहा
दिल का सब अरमान भी जाता रहा

अब सुनाउगा किसे मै हाले दिल
हाय वह नादान भी जाता रहा

हुस्न तेरा बर्क के मानिंद है
उफ़ मेरा ईमान भी जाता रहा

वह बना ले गए हमे अपना अज़ीज़
अब तो यह इमकान भी जाता रहा

दिन गए अलीम जवानी के मेरे
आँख पहले कान भी जाता रहा

Added by aleem azmi on May 19, 2010 at 9:43pm — 5 Comments

खवाहिश

न जीने की खवाहिश ज़हर चाहता हू
तुमाहरे ही हातों मगर चाहता हू

वो मिल जाए मुझको है जिसकी तमन्ना
मै अपनी दुआ में असर चाहता हू

कही मर न जाऊ यह लेकर तमन्ना
तुम्हरी झलक एक नज़र चाहता हू

है मुद्दत से कतए ताल्लुक हमारा
तुझे आज भी मै मगर चाहता हू

तेरा साथ काफी ए मेरे अलीम
न माल और दौलत न घर चाहता हू

katye means ------chod dena

Added by aleem azmi on May 16, 2010 at 4:03pm — 5 Comments

हमसफ़र

है कयामत या है बिजली सी जवानी आपकी
खूबसूरत सी मगर है जिंदगानी आपकी

तीर आँखों से चलाना या पिलाना होंठ से
भूल सकता हु नहीं मैं हर निशानी आपकी

आप मोहसिन है हमारे आपका एहसान है
हमसफ़र हमको बनाया मेहेरबानी आपकी

रूठ कर नज़रें चुराना मुस्कुराना फिर मगर
याद है सब कुछ मुझे बातें पुरानी आपकी

तुमसे वाबस्ता है मेरी जिंदगानी का हर वरक
ज़िन्दगी मेरी है कहानी आपकी

Added by aleem azmi on May 16, 2010 at 1:42pm — 4 Comments

आइना

काश मैं एक आइना होता
हर पल हर घडी
तुझे देखता रहता
काश मैं एक आइना होता
तेरे चेहरे पर क्या लिखा है
तुझे यह बता देता और
दिन भर तेरे घर की
दीवारों पर झूलता
तेरे चेहरे की मुस्कान को
देखकर मुस्कुराता खिलखिलाता
काश मै एक आइना होता
आखिर एक दिन
उंचाई से फर्श पर
गिर कर टुकड़े टुकड़े हो जाता
तेरे लिए कुछ कर पाता
और जब जब तू उन टुकडो को
एक एक करके उठाती तो
बड़ा मज़ा आता
काश मैं एक आइना होता

Added by aleem azmi on May 11, 2010 at 5:33pm — 6 Comments

सहारा तेरा

डूब जाने की तलब दिल में उभर आई है

उसकी आँखों में अजब झील सी गहरे है



काश उसे भी मेरी हालत का पता हो जाता

रात है और गमे हिज्र की पुरवाई है



चाँद भी डूब गया बुझ गए तारे भी तमाम

मेरी आँखों में मगर नींद नहीं आई है



गम की तौहीन है इजहारे गमे दिल करना

और चुप रहने में शायद तेरी रुसवाई है



तेरी यादों ने दिया बढ़के सहारा ए दोस्त

जबकि कश्ती मेरी तूफ़ान से टकराई है



गमे जाना गमे दुनिया गमे हस्ती गमे दिल

ज़िन्दगी कितने मराहिल…
Continue

Added by aleem azmi on May 9, 2010 at 3:31pm — 3 Comments

वफ़ा

कसम खुदा की हमे तुमसे प्यार आज भी है

वो दोस्ती की तड़प बरकरार आज भी है



मेरी वफ़ा का तुझे ऐतबार हो की न हो

तेरी वफ़ा का ऐतबार आज भी है



तेरी जुदाई को सदिया गुज़र गयी लेकिन

तेरी जुदाई में दिल अश्कबार आज भी है



हमारी चाह में कोई कमी नहीं आई

तुम्हारे वास्ते सब कुछ निसार आज भी है



वो एक नज़र मुझे बर्बाद कर दिया जिसने

उसी नज़र का मुझे इंतज़ार आज भी है



वफ़ा का रंग मोहब्बत की बू नहीं मिलती

चमन में होने को यू तो बहार आज भी…
Continue

Added by aleem azmi on May 5, 2010 at 9:48pm — 5 Comments

यह उनका अंदाज़ है

पहले प्यार सिखाते है

फिर दूर कही चले जाते है

ये उनका अंदाज़ है

यादों की भूलभुलैय्या में

सपनो को उलझाते है

चाहत की इस छैय्या में

नफरत की आग बरसाते है

ये उनका अंदाज़ है

आवारा भौरों की तरह

घूम घूम के आते है

मासूम कलियों के संग

चुपके से रस चुराते है

ये उनका अंदाज़ है

साथ रहने की कसमे खाते

आंसू बनकर रुलाते है

चाहे जितना रोको उन्हें

पत्थर दिल हो जाते है

ये उनका अंदाज़ है

देख न पाते प्यार को रोते

खुद सागर में…
Continue

Added by aleem azmi on May 3, 2010 at 12:53pm — 4 Comments

यादें बस यादें उनकी

हम जब उनको दिल स भुलाने लगते है
और ज्यादा वोह याद आने लगते है

मुझे न जाने क्या क्या कह देते है वोह
मैं कुछ कह दूं तो वो शर्माने लगते है

दिल में किसी के बस जाना आसान नहीं
काम कठिन है इस में ज़माने लगते है

याद तेरी आ जाती है तब काम बहुत
हम जब मुश्किल में घबराने लगते है

आज कोई "अलीम" स चुपके स बोला
आप मुझे जाने पहचाने लगते है .....

Added by aleem azmi on April 19, 2010 at 10:02pm — 5 Comments

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