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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

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तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सुशील सरना जी। कविता, आखों और मानव जीवन पर यथार्थपूर्ण बढ़िया रचनायें। हार्दिक बधाई और आभार।

आदरणीय शेख उस्मानी साहिब, आदाब आपकी शुभकामनों एवं बधाई का दिल से शुक्रिया।

जनाब सुशील सरना जी आदाब,कविता बहुत प्रभावशाली है,इस उपलब्धि पर आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ ।

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... आपकी दिली मुबारकबाद का दिल शुक्रिया।

माह-ए-रमद़ान/रमज़ान की पवित्र आमद पर सम्मानित ओबीओ परिवारजन को तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद।

[कृपया नुक्ते वाले "द़" का उच्चारण अरबी भाषा वग़ैरह में नुक़्ते वाले "ज़" के नज़दीक बताया गया है भाषा-विज्ञान/धवन-विज्ञान/फोनेटिक्स में। कुछ सोशल मीडिया की ग़लत जानकारी (रमद़ान= ध्यान) को उपेक्षित कीजिए]

ये फ़र्क़ इसलिये है कि अरबी भाषा में "दुवाद" बोलते हैं और उर्दू में इसे "ज़ुवाद" बोलते हैं,(लिखने में एक जैसे ही लिखे जाते हैं)इसलिये अरबी में "रमदान" और उर्दू में "रमज़ान" बोला जाता है,आपको भी रमज़ानुल मुबारक की हार्दिक बधाई ।

आज मेरी उम्मीद पूरी कर दी आपकी जानकारी ने। तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब।

ये स्पष्ट करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी मैं भी इसके बाबत सोचती थी |

दोस्तो आदाब,

आपको ये जानकर बेहद मुसर्रत होगी कि हमारे मंच की सक्रिय सदस्या बहना राजेश कुमारी को 'परिकल्पना हिन्दी संस्थान" लखनऊ की जानिब से उनके लघुकथा संग्रह "गुल्लक" को मॉरीशस में सम्मानित व पुरुस्कृत करने की घोषणा की गई है,ये बहना राजेश कुमारी के और ओबीओ लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है,मैं अपनी और मंच की जानिब से बहना राजेश कुमारी को बहुत बहुत मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

आदरणीय समर भाई जी , मेरी इस उपलब्धि पर ओबीओ विशेषकर आदरणीय योगराज प्रभाकर जी ,ओबिओ परिवार के समस्त रचनाकार जो मेरे भाई बहन हैं उनका हक़ है .माँ सरस्वती व् आप जैसे बड़े भाई का सर पर सदा आशीष भरा हाथ रहा जिसके लिए मेरा नमन स्वीकार करें |जल्द ही मोरिशस से औपचारिक निमन्त्रण आएगा उसे साझा करुँगी .

जी,अवश्य ।

Pres%20note.pdf   भाई जी ये औपचारिक घोषणा पत्र आ गया है|  एक सत्र में मुझे विशिष्ठ अतिथि वक्ता के तौर पर हिंदी साहित्य में महिलाओं का योगदान पर बोलना है|  

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