For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मजदूर दिवस [कविता]

चिथड़े कपड़े,टूटी चप्पल,पेट में एक निवाला नहीं,

बीबी-बच्चों की भूख की आग मिटाने की खातिर,

तपती दोपहरी में,तर-वतर पसीने से ,कोल्हू के बैल की तरह जुटता,

खून-पसीने से भूमि सिंचित कर,माटी को स्वर्ण बनाता,

कद काठी उसकी मजबूत,मेहनत उसकी वैसाखी,

अपने दम पर जीने वाला,मालिकी खुद की ,

कंधों पर गरीबी का बोझ ढोता,ख्वाईश आसमान छूने की,

फुटपाथ पर सोने वाला,सपनों की दुनिया बुनता,

रामधुन गाता, तल्लीनता से कर्म करता जाता,

अमीरों की खुशियों की नींव में,अनमोल योगदान हैं उसका,

रईसों की रौनक बढाने की धुन में,खबर नही हैं मजदूर दिवस की,

रोजमर्रा की तरह ही वो,इस दिन भी मजदूरी करता,

प्रण करे अपने आप से,मजदूरी को मजबूरी न बनने दे,

आओं मिलकर हमसब, 'सच्ची,निस्वार्थ भावना का उत्सव' मना ले.

रचना मौलिक व अप्रकाशित 

बबीता गुप्ता 

Views: 506

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on May 14, 2018 at 5:54pm

सराहना करने के लिए आप सभी का सधन्यवाद. 

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 5, 2018 at 8:43am

आदरणीया बबिता जी बहुत अच्छी रचना प्रगतिवादी विचारों से ओतप्रोत इस अच्छी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 3, 2018 at 10:14am

आ. बबीता जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on May 1, 2018 at 6:24pm

मोहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,मज़दूर दिवस पर अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कई टंकण त्रुटियाँ हैं,देखियेगा ।

आठवीं पंक्ति में "ख्बास"क्या है?

12वीं पंक्ति में 'रहीसो' को "रईसों" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service