For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" माँ बाप के चरणों मे दिखती यहाँ जन्नत है "

बहर - 221 1222 221 1222 

ये  मेरा  नहीं  यारो  ये  बुजुर्गों  का  मत है ......
माँ बाप के चरणों में दिखती यहाँ ज़न्नत है ......

बस मेरी ये नादानों से एक शिक़ायत है .....
बेटा लगे प्यारा क्यों बेटी से न चाहत है .....

 

ये  ख़्वाब  नहीं   कोई  ये   एक   हकीक़त  है ....
कुछ लोग कहे उल्फ़त उल्फ़त नहीं आफ़त है ......

संसार में इन दोनों में फ़र्क हैं इतना सा
है हाथ  अगर  बेटा  तो बेटी इबादत है .....


कुछ शख्स ही कह सकते है बात यहाँ मुँह पर
हर  शख्स  की होती  ऐ - यारो कहाँ हिम्मत है ......

यूँ तो मिरा उन पर अब कोई नहीं हक़ है , पर
उनके  लिए दो मिसरे लिखना मेरी उल्फ़त है .....

बस  चंद  ग़ज़ल  से  ही  महकती है अलमारी
इसके सिवा इस मुफ़लिस के पास न दौलत है .....

.

पंकजोम " प्रेम ".....

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पंकजोम " प्रेम " on December 31, 2017 at 1:30pm

आपके आशिर्वाद का बेहद शुक्रगुज़ार हूँ , आ0 दादा लक्ष्मण जी ..... आ0 भाई सुरेन्द्र जी ..... आ0 दादा मुहम्मद आरिफ जी ..... सलामत रहिये 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 26, 2017 at 4:11pm

हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on December 26, 2017 at 9:28am

आद0 पंकजोम जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल का बढ़िया प्रयास। शेष गुनिजनो की बातों का संज्ञान लीजिये। इस प्रस्तुति पर मेरी बधाई।

Comment by Mohammed Arif on December 25, 2017 at 12:25am

आदरणीय पंकजोम जी आदाब,

                    ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब और आदरणीयत्रनीलेश जी की बातों का तत्काल प्रभाव से अमल करें ।

Comment by पंकजोम " प्रेम " on December 24, 2017 at 9:22pm

आपके आशिर्वाद का बेहद शुक्रगुज़ार हूँ , आ0 दादा समर कबीर जी .... आ0 दादा नीलेश जी ..... ग़ज़ल को और दुरुस्त करने का प्रयास करता हूँ ..

Comment by Samar kabeer on December 24, 2017 at 9:18pm

जनाब पंक्जोम "प्रेम" जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले का ऊला मिसरा लय में नहीं है ।

बाक़ी अशआर में अल्फ़ाज़ की बन्दिश चुस्त नहीं है ।

आख़री शैर का ऊला भी लय में नहीं है,एक बात ये कि 'चन्द'शब्द बहुवचन के लिए है इसलिए आगे का शब्द 'ग़ज़ल' को 'ग़ज़लों' होना चाहिए,देखियेग ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 24, 2017 at 4:59pm

मतले का ऊला बुजुर्गों के बु पर लड़खड़ा गया है ..देखिएगा 
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
14 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
18 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
19 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
20 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
20 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
22 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
25 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
39 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service