For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारा मुस्कुराना और भी बीमार कर देगा

अरकान :1222  1222  1222  1222

अजब सी कश्मकश से यकबयक दो चार कर देगा

तुम्हे पहचानने से वो अगर इनकार कर देगा

ज़माने में जियो खुल के जवानी साथ है जब तक

करोगे क्या बुढ़ापा जब तुम्हे लाचार कर देगा

हक़ीक़त सामने है आज यह जो,  देख लेना कल

सही को भी ग़लत ये सुब्ह का अखबार कर देगा

रखें कुछ भी नहीं दिल में छुपा के आप भी मुझसे

नहीं तो शक खड़ी इक बीच में दीवार कर देगा

समझना मत कभी कमज़ोर, दुश्मन को ज़माने में

अगर मौका मिला उसको पलटके वार कर देगा

हमे अब दे रहा चेतावनी ये धुन्ध का आलम

अगर अब भी न जागे ज़ीस्त ये दुश्वार कर देगा

तबीअत इश्क़ में पहले से ही नाशाद है उसकी

तुम्हारा मुस्कुराना और भी बीमार कर देगा

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 763

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on December 21, 2017 at 2:07pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर सुखनवाजी का बहुत बहुत शुक्रिया। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on December 21, 2017 at 2:06pm

आद0 बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पसन्द आयी। कहना सार्थक हुआ। आभार आपका।

Comment by नाथ सोनांचली on December 21, 2017 at 2:04pm

आद0 कल्पना भट्ट जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी सुखनवाजी का बहुत बहुत शुक्रिया।सादर

Comment by नाथ सोनांचली on December 21, 2017 at 1:57pm

आद0 नवीन जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पसन्द आयी। लिखना सार्थक हुआ। आपका आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 21, 2017 at 6:23am

आ. भाई सुरेंद्र जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 20, 2017 at 8:14pm

हमे अब दे रहा चेतावनी ये धुन्ध का आलम
अगर अब भी न जागे ज़ीस्त ये दुश्वार कर देगा...वाह आदरणीय सुरेन्द्र जी क्या खूब कहा है..बेहतरीन ग़ज़ल

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 20, 2017 at 6:54pm

अच्छी ग़ज़ल कही है आदरणीय | हार्दिक बधाई |\

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 20, 2017 at 2:00pm

वाह बहुत खूब भाई । सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on December 20, 2017 at 1:29pm

आद0 सतविंदर भाई जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफजाई का हृदय तल से आभार। 

Comment by नाथ सोनांचली on December 20, 2017 at 1:28pm

आद0 सलीम रज़ा साहब सादर अभिवादन। शैर आप तक पहुँचे, लिखना सार्थक हुआ। बहुत बहुत आभार आपका।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service