For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिन्दगी की रेलगाड़ी,

भागती सरपट चली.

 

मिल न पायीं दो पटरियाँ,

साथ पर चलती रहीं.

देख कर अपनों की खुशियाँ,

दीप बन जलती रहीं.

 

दे गयी राहत सफर में,

चाय की इक केतली.

 

मौसमों की मार झेली,

जंग अपनों से लड़ी.

जंगलों की खाक छानी,

पैर शहरों के पड़ी.

 

ख्वाब देखे नित नये,

रख ली सँजोकर पोटली.

 

अनगिनत ठहराव आये,

बोझ कम ज्यादा हुआ.

पर हमें रुकना नहीं है,

रोज ये वादा हुआ.

 

राह सच की थी कठिन,

लगती रही फिर भी भली.

 "मौलिक एवं अप्रकाशित "

Views: 576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 7, 2017 at 8:22pm

आभार आदरणीय laxman dhaami जी आपका 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 26, 2017 at 9:54pm
बहुत सुंदर गीत हुआ है भाई बसंत जी हार्दिक बधाई ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 26, 2017 at 12:55pm

आदरणीय vijay nikore जी हौसला अफजाई के लिए आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by vijay nikore on July 25, 2017 at 4:00pm

//

अनगिनत ठहराव आये,

बोझ कम ज्यादा हुआ.

पर हमें रुकना नहीं है,

रोज ये वादा हुआ.//

बहुत ही सुन्दर भाव । हार्दिक बधाई, आदरणीय बसंत जी

Comment by Ravi Shukla on July 25, 2017 at 2:05pm

मंच पर गीत पोस्‍ट कर दिया है आदरणीय बसंत सर समयअनुसार प्रतिक्रिया दीजियेगा कि प्रयास कितना  सार्थक हुआ ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 25, 2017 at 1:36pm

अरे वाह स्वागत आपका आदरणीय रवि शुक्ला जी, बहुत अच्छा लगा , गीत का स्वागत है 

Comment by Ravi Shukla on July 25, 2017 at 11:02am

आदरणीय बसंत सर आपकी रचनाओं से अनुमान तो हमें हो रहा था किंतुआपने आपने कंफर्म भी कर दिया । हम बीकानेर मंडल की वाणिज्‍य शाखा में कार्यालय अधीक्षक के पद पर सेवाएं दे रहे है ( न्‍यायालय प्रकरण की डीलिंग है ) उत्तर पश्चिम रेलवे मुख्‍यालय में एक भारत श्रेष्‍ठ भारत विषय पर प्रतिभाग के लिये हमें नामित किया गया था किन्‍तु एक अवमानना प्रकरण में चंडीगढ़ जाना पड़ा इसलिये प्रतियोगिता में प्रति भाग नहीं हुआ । वो गीत आज आप सबके लिये मंच पर रखते है । सादर

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 24, 2017 at 6:09pm

आदरणीय Ravi Shukla जी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रिया, मैं रेलवे में भारतीय रेल यातायात सेवा (IRTS) में हूँ तथा वर्तमान में जबलपुर पश्चिम मध्य रेल मुख्यालय में उप मुख्य परिचालन प्रबंधक के पद पर कार्यरत हूँ. 

Comment by Ravi Shukla on July 24, 2017 at 12:54pm

आदरणीय बसंत कुमार जी सुन्‍दर गीत रचा आपने बधाई रेल गाड़ी के  माध्‍यम से एक दर्शन दिखाया है आपने । बधाई स्‍वीकार करें । आप रेलवे में काम करते है क्‍या कुछ दिन पहले एक भारत श्रेष्‍ठ भारत विषय पर आपका गीत पढा था रेलवे में उस पर प्रतियोगिता थी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service