For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल (212-212-212-212)

(212-212-212-212)

मेरे सुर से तेरा सुर मिलाना हुआ
और जीवन मेरा इक तराना हुआ ॥

मैने देखी है इक चलती फ़िरती ग़ज़ल
है मिजाज इस लिए शायराना हुआ ॥

आइए हमनशी बैठिए पलकों पर
ये कहें  ख्वाब में कैसे आना हुआ ॥

थी दवा तो वही काम तब कर गई
जब तेरा अपने हाथों पिलाना हुआ ॥

वो भी लगने लगे अब मुझे अपने से
"जब से गैरों के घर आना जाना हुआ ॥"

हज़्म कैसे करेंगे मेरी ये ग़ज़ल
वो जो खाते हैं बारीक छाना हुआ ॥

देख के तुझ को ये ठण्डी आहें भरे
दिल मेरा बर्फ़ का कारखाना हुआ ॥

(मौलिक एवम अप्रकाशित)

Views: 1810

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 8, 2017 at 11:44am

आ. भाईगुरप्रीत जी  सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

Comment by Ravi Shukla on May 8, 2017 at 9:34am

आदरणीय गुरप्रीत जी मुबारक बाद कुबूल करें इस गजल के लिये और आपकी शेर कहने के प्रति लगन के लिये

मैने देखी है इक चलती फ़िरती ग़ज़ल
है मिजाज इस लिए शायराना हुआ ॥  क्‍या कहने इस शेर के  वाह बधाई

कमोबेश शाईरी की शुरुआत इसी तरह के मिजाज़ से होती है :-)))

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 5, 2017 at 11:52pm
वाह क्या खूबसूरत अंदाज है आदरणीय..बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई सादर
Comment by Gurpreet Singh jammu on May 5, 2017 at 8:45pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज जी
Comment by Gurpreet Singh jammu on May 5, 2017 at 8:44pm
आदरणीय अनुराग जी बहुत बहुत धन्यवाद...ऐसे प्रोत्साहन से ही मेरे जैसा कम क्षमता वाला भी कभी कभी अपनी क्षमता से बढ़ कर काम करने के काबिल हो जाता है.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 5, 2017 at 8:32pm

आदरणीय , गुरप्रीत भाई , बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने .. शे र दर शेर आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Gurpreet Singh jammu on April 19, 2017 at 7:36pm
जी आदरणीय सौरभ जी..बात अब कुछ कुछ समझ में आई है.. बहुत बहुत शुक्रिया आपका..

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 19, 2017 at 12:21pm

आप ओबीओ पर बने रहें आदरणीय गुरप्रीत जी, समयानुसार आप बहुत कुछ सीखते जायेंगे. इस पटल पर ऐसे ही सभी सीखते हैं. 

आपकी कोशिश क़ामयाब हुई है. और आपकी लगन का स्वागत है. 

और देखिए, आ० नीलेश भाई ने किस मुलामियत से आपके उक्त शेर के सानी मिसरे में जान डाली है. यही ग़ज़ल कहने की ख़ासियत है. वैसे यह अंदाज़ सीखते-सीखते आती है. लेकिन इसका गुमान तो होना ही चाहिए. ग़ज़ल वस्तुतः बातचीत के अंदाज़ को मिसरों में पिरोने की कला है. इसीलिए ग़ज़लों में प्रयुक्त हुए शेरों के मिसरे किसी गेय कविता या गीत जैसी विधाओं की पंक्तियों से अलग हुआ करते हैं. इस तथ्य के प्रति सचेत रहा करें.

शुभेच्छाएँ 

Comment by Gurpreet Singh jammu on April 11, 2017 at 10:56am

हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आदरणीय नीलेश जी,,,,आपकी बात का ध्यान रखूँगा...... हालाँकि फिलहाल मुझे यह समझना थोड़ा मुश्किल लग रहा है 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 11, 2017 at 7:38am

आ. गुरप्रीत जी..
बहुत ख़ूब....
आप की उत्तरोत्तर प्रगति साफ़ दिखाई दे रही है ..
.
आइए हमनशी बैठिए पलकों पर
बोलिए ख्वाब में कैसे आना हुआ ॥.... या 
.
आइए हमनशी बैठिए पलकों पर
ये कहें!! ख्वाब में कैसे आना हुआ ॥ क्या अधिक    ग़ज़ल जैसा है ....यहाँ थोडा वक़्त दिया कीजिये ..
.
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"कू-ब-कू है ख़बर, हुआ क्या हैपर ये अख़बार ने लिखा क्या है । 1 जो परिंदे क़फ़स में जीते हैंउनको मालूम है…"
6 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी आदाब, "मौन है बीच में हम दोनों के"... मिसरा बह्र में नहीं…"
23 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। बेवफ़ाई ये मसअला…"
29 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित…"
36 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
2 hours ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service