For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़त उसका भी आता होगा

22 22 22 22
मुद्दत से वह ठहरा होगा ।
रिश्ता शायद दिल का होगा ।।

सच कहना था गैर ज़रूरी ।
छुप छुप कर वह रोता होगा ।।

ढूढ़ रहा है तुझको आशिक।
नाम गली में पूछा होगा ।।

इल्म कहाँ था इतना उसको ।
अपना गाँव पराया होगा ।।

चेहरा देगा साफ़ गवाही।
जैसा वक्त बिताया होगा ।।

दाग मिलेगा गौर से देखो ।
चिलमन अगर उठाया होगा ।।

मैंने उसको याद किया है ।
खत उसका भी आता होगा ।।

यूँ ही कब निकले हैं आँसू ।
दर्द उसे भी होता होगा ।।

आँखें नम दिखतीं हैं सबकी ।
गीत हृदय से गाया होगा ।।

तेज हव के इन झोकों में ।
इश्क परिंदा उड़ता होगा ।।

टूट रहा हूँ रफ्ता रफ्ता ।
वह भी अब तक रूठा होगा ।।

मिटने वाली बेचैनी है।
चाँद निकलकर आता होगा ।।
मौलिक अप्रकाशित

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 31, 2017 at 1:51pm
आ0 शुक्ल जी सादर आभार ।
Comment by Ravi Shukla on March 31, 2017 at 10:51am

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी बढि़या ग़ज़ल कही आपने । ढेरों मुबारकबाद ।

Comment by Ravi Shukla on March 31, 2017 at 10:51am

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी बढि़या ग़ज़ल कही आपने । ढेरों मुबारकबाद ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 27, 2017 at 6:44pm
आ0 सुशील सरना साहब आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on March 27, 2017 at 6:44pm
आ0 आरिफ साहब आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on March 27, 2017 at 6:43pm
आ0 कबीर सर दिल से आभार मूल प्रति में आपकी कीमती सलाह लागू कर लिया । पर्दा लिख लिया ।
Comment by Mohammed Arif on March 27, 2017 at 5:41pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, बेहतरीन छोटी बह्र की प्यारी-सी ग़ज़ल । ढेरों मुबारकबाद । आपने कईं शब्दों में नुक्ता नहीं लगाया है । देखियेगा ।
Comment by Sushil Sarna on March 27, 2017 at 3:47pm

इस सुंदर और दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय। 

Comment by Samar kabeer on March 27, 2017 at 2:59pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'चिल्मन अगर उठाया होगा'
इस मिसरे में 'चिल्मन'शब्द स्त्रीलिंग है, इसलिये 'उठाया होगा'नहीं कह सकते,'उठाई होगी'कहना होगा,'चिल्मन'की जगह पर्दा' कर सकते हैं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service