For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र 2122 2122 2122 212
गर मरे उम्मीद फिर कुछ भी यहां बचता नहीं
छोड़ दें उम्मीद को ये फैसला अच्छा नहीं।

गर्दिशों में जी रही आवाम सारी जब यहाँ
ऐश से तब हुक्मरां का टूटता नाता नहीं।

जिंदगी वो डोर है जिससे बँधा इंसान है
साथ उसका भी मगर होता हमेशा का नहीं।

मर मिटा है आज तू जिसकी हिफाज़त के लिए
बेवफा हमदम वो तेरी मौत पे आया नहीं।

कायदा-ए-जिंदगी भी है जरूरी दोस्तो
कायदे को छोड़ दें तो कुछ भी फिर जीना नहीं।

एक मुफ़लिस गर सँभाले घर अमीरों का चले
हो अगर ऐसा नहीं वो घर कभी चलता नहीं।

राह-ए -सच पे फ़िदा राणा कोई यूँ हो गया
*इक दफ़ा देखा जो मंजर फिर कभी देखा नहीं।*

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 15, 2016 at 4:42pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत आभार।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 15, 2016 at 4:41pm
आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमन!हौंसलाफ़ज़ाई एवं मार्गदर्शन के लिए सादर हारदिक आभार।आपका स्नेह यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 15, 2016 at 4:40pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी अनुमोदन एवं प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 8, 2016 at 11:46pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है. हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Samar kabeer on December 7, 2016 at 5:15pm
जनाब सतविन्दर कुमार'राणा'जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
दूसरे शैर में 'आवाम'ग़लत है,सही शब्द है "अवाम"।
मक़्ते का ऊला मिसरा लय में नहीं है,देखियेगा ।
Comment by Shyam Narain Verma on December 7, 2016 at 11:04am
इस लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई  सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service