For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारी ख़ामोशी तुम्हारा पयाम हुई // अलका

एक प्रयास
***********
कान्हा की मैत्री मेरा मान हुई
तुमसे जुड़ा जो नाता मेरी शान हुई

इसे जोड़ा है गिरधर ने बड़े प्रेम से
हमारी खुशियां ही मुरली की तान हुई

मैं उलझी थी शब्दो की उलझन में
तुम्हारी ख़ामोशी तुम्हारा पयाम हुई

धूप में बादल से तुम, अंधेरों में किरण सी मैं
तुम्हारी बाहें हर तूफ़ां में मेरी मचान हुई

कई दांव देखे है रिश्तों के हमने
निष्ठा हमारी लोबान हुई

बीते बरस इम्तहानों के जैसे
हर परीक्षा हमारा गुमान हुई

ललितमय हुई बरसो से अलका
"अलका ललित" मेरी पहचान हुई

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 564

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 16, 2016 at 9:05pm

आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी ......... रचना के भाव आपको पसन्द आए ये जान कर ख़ुशी हुई । विधा तो पता नहीं किन्तु पढ़ने में अच्छी लगी तो पोस्ट कर दी।
गुणीजन ही कृपया कर बताने का कष्ट करे की क्या  इस प्रकार की रचनाएँ भी स्वीकार्य है ? सादर।

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 16, 2016 at 8:59pm

आभार आदरणीय समर कबीर जी ....................गुणीजनों से क्षमा निवेदन के साथ ही बताना चाहती हूँ की कुछ दिन पहले 2 दिन तक मात्राओं की गिनती में सर धुनने पर भी मैं कुछ सही नहीं बना पाई थी। तीसरे दिन बिना टेंशन के लिखना शुरू किया तो आधे घण्टे में ही ये पक्तियां जैसे खुद-ब-खुद ही कलमबद्ध हो गई । विधा तो पता नहीं किन्तु पढ़ने में अच्छी लगी तो पोस्ट कर दी।
गुणीजन ही कृपया कर बताने का कष्ट करे की इस प्रकार की रचनाएँ भी स्वीकार्य है या नहीं।

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 16, 2016 at 8:53pm

आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी  रचना पसंद करने के लिए आभार। सादर। 

Comment by नाथ सोनांचली on October 16, 2016 at 4:45pm
भावपूर्ण रचना, अलका चंगा जी।

अगर आप विधा भी लिख दें तो शिलो समझने में आसानी हो
Comment by Samar kabeer on October 16, 2016 at 3:23pm
मोहतरमा अलका जी आदाब, इस प्रस्तुति पर बधाई ।
ये रचना किस विधा में है ?
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 16, 2016 at 10:45am
आदरणीया अल्का चंगा जी सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
21 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
23 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service