For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अर्जी (लघुकथा)/ रवि प्रभाकर

‘जी अब तो पेन्शन की अर्जी पास हो जाएगी ना ?’

अपने कपड़ों को ठीक करते हुए कमरे से बाहर निकलती हुई शहीद फौजी की विधवा ने मंत्री जी के पी.ए. से पूछा
‘अब तो काम हुआ ही समझो ! बस यह अर्जी कल एक बार डाॅयरेक्टर साहिब के पास भी ले जानी होगी'।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 850

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 6:04pm

मजबूरी का फायदा उठाने वालों की कमी नहीं | बहुत ही बढ़िया कथा हुई है आदरणीय सर | हार्दिक बधाई |

Comment by Ravi Prabhakar on May 17, 2015 at 8:03am

श्रद्धेय सौरभ भाई जी, रचना पर आपके सान्‍िनध्‍य से मन अति प्रमुदित है । अापकी शुभेच्‍छाएं सदैव प्राणवायु का कार्य करतीं है । यह आपकी शुभेच्‍छाएं व ओबीओ का साकारात्‍मक परिवेश ही है जो सदैव अच्‍छा करने के लिए उत्‍साहित व प्रेरित करता है। आपके सान्‍िनध्‍य का कृतज्ञ हूं । अापसे प्रशस्‍ति सदैव हर्षोन्‍मत्‍त करती है । भविष्‍य में भी स्‍नेह बनाए रखिएगा । सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2015 at 11:29pm

सटीक और समर्थ !
अपनी भावदशा को पाठकों तक संप्रेषित कर पाने में यह लघुकथा पूरी तरह से सफल है. बड़ी मछली-छोटी मछली की कहावत सुना था. आज सारा समाज ही इससे कुप्रभावित दिख रहा है.
भाई रविजी, आपकी संवेदनशीलता पाठकों भक्क कर देती है. इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं. हार्दिक शुभकामनाएँ

अलबत्ता, मैं भी भाई मनोज कुमार अहसास की टिप्पणी के आशय को अनुमोदित करता हूँ.
शुभेच्छाएँ

Comment by Ravi Prabhakar on May 12, 2015 at 10:19pm

आपकी टिप्‍पणी से अभीभूत हूं आदरणीय सुधीर भाई । आप सरीखे मंझे लघुकथाकार से वाहवाही प्राप्‍त करना एक पुरस्‍कार ही है । सादर

Comment by Ravi Prabhakar on May 12, 2015 at 10:16pm

रचना पर आपके अनुमोदन से आनंदित हूं आदरणीय मिथिलेश भाई जी ।

Comment by Ravi Prabhakar on May 12, 2015 at 10:14pm

साभार आदरणीय कृष्‍ण मिश्रा जी, आदरणीय कांता रॉय जी व आदरणीय चंद्रेश भाई जी ।

Comment by Ravi Prabhakar on May 12, 2015 at 10:13pm

आपकी भावनाओं की कद्र करता हूं आदरणीय मनोज मिश्रा जी । सादर ।

Comment by Sudhir Dwivedi on May 12, 2015 at 11:41am

"सुन्न एवं सन्न " पाठक होने के नाते यही अनुभव किया मैंने आपकी कथा पढ़ ..बधाई रवि सर एक और सशक्त कथा हेतु | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 11, 2015 at 9:26am

आदरणीय रवि प्रभाकर जी, आप लघुकथा के एक सशक्त हस्ताक्षर है. आपकी यह लघुकथा पढ़कर मुग्ध हूँ. इस विषय को इतने कम शब्दों में पूरी मार्क क्षमता के साथ अभिव्यक्त करना. वाकई कमाल है. आपको बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर.

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on May 10, 2015 at 7:50pm

मजबूरी  का लाभ उठाना तंत्र में मौजूद वायरसों को बहुत अच्छी तरह आता है..काश ऐसे लोगों के  लिये भी कोई vaccine निकल जाए|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
7 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service