For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ ’चित्र से काव्य तक’ छंदोत्सव" अंक- 65 की समस्त रचनाएँ चिह्नित

No Description

Views: 3556

Replies to This Discussion

आदरणीय प्रमोद श्रीवास्तवजी, आपका सादर स्वागत है. 

बन पड़े तो पिछले आयोजनों को भी देख जाइये. आअको रचनाओं के साथ-साथ कई सार्थक चर्चाओं को पढ़ने का अवसर मिलेगा. और, सम्यक जानकारी भी मिलेगी.

सादर 

आदरणीय सौरभ भाई , कुछ दिनों से ओबी ओ साइत और नेट दोनो से परेशान रहा , इसलिये आयोजन मे सक्रिय सहयोग नही दे पाया । मंच से इस लिये माफी चाहता हूँ । मेरी रचना की सराहना के लिये सभी पाठक मित्रों का हार्दिक आभार मानता हूँ
चित्र से काव्य तक की सफलता के लिये आपको एवँ मंच के सभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाइयाँ
आदरनीय , देखिये भला शुतुर्गुर्बा अब तो नही है ? अगर अब सही हो तो कृपया अंतिम दोहे को इस दोहे से प्रतिस्थापित करने की कृपा करें ।
पहले पूछें राष्ट्र  से, दोषी इसका कौन
फिर समझें दोषी उसे, जो अब साधे मौन

जय हो ! आप और शुतुर्ग़ुर्बा ? कभी नहीं ! वो तो ऊँटवा अपनी आँख बन्द किया होगा और बिलरिया ऊछल-कूद मचा गयी थी ...

हा हा हा... .:-))

आदरणीय लगातार दौरे में होने के कारण और लम्बी-लम्बी मीटिंग के कारंण मैं भी मंच से दूर-दूर ही रह पा रहा हूँ. यह आपको पता ही है.

अभी रास्ते में ही हूँ और नेट की उपलब्धता के कारण सफ़र में समय का सदुपयोग कर रहा हूँ.

सादर

 

श्रद्धेय श्री सौरभ पांडेय जी, सादर नमन!
आदरणीय मार्गदर्शन के अनुसार ताटंक छन्द व दोहा छन्द में सुधार के लिए पुनः प्रयास किया है । आपसे विनम्र निवेदन है कि मेरी ताटंक छन्द व दोहा छन्द रचना में निम्न प्रकार से प्रतिस्थापित कर कृतार्थ करें :-
ताटंक छन्द :-
क ख ग घ की सूरत क्या होती, कौन मुझे बतलाएगा ।
त थ द ध की मूरत मेले में, कौन मुझे दिखलाएगा ।
के स्थान पर :-
कवर्ग की सूरत क्या होती, कौन मुझे बतलाएगा ।
तवर्ग की मूरत मेले में, कौन मुझे दिखलाएगा ।
इसी प्रकार दोहा छन्द में :-
तख्ती सलेट खो गई, गया ज्ञान आधार ।
के स्थान पर :-
तख्ती सलेट खो गये, चला गया आधार ।
तथा
निज भाषा मुंह मोड़कर, पर का करते गान ।
के स्थान पर :-
निज भाषा मुँह मोड़कर, करते पर का गान ।

आदरणीय आशा करता हूँ कि आप इसे यथासंभव प्रतिस्थापित करने की कृपा करेंगे । सादर ।

इस सम्यक प्रयास के लिए हार्दिक धन्यवाद व शुभकामनाएँ.  

यथा निवेदित तथा संशोधित 

आदरणीय श्री सौरभ पांडेय जी सादर आभार ।
आद. सौरभ जी,अंतिम प्रस्तुति मेरी थी। तो ऐसा तो नहीं कि अन्वेषण से रह गयी हो ? या लाल-हरी पंक्तियों की अनुपस्थिति से आत्ममुग्ध हो सकता हूँ। सादर

आदरणीय पवन मिश्र जी, आत्ममुग्ध होना या तदनुरूप सोचना इस मंच पर स्वयं के प्रति गाली की तरह लिया जाता है. क्यों कि इस मंच पर सदा से रचनाओं के परिप्रेक्ष्य में ही किसी रचनाकार को देखा जाता है. 

आपकी इस प्रस्तुति में प्रथम दृष्ट्या कुछ ऐसा नहीं दिखा, जिसे इंगित किया जाता. कमसेकम मुझे तो नहीं दिखा. इसे कोई मेरी कमसमझी भी कह सकता है. मुझे आपत्ति नहीं होगी, आदरणीय.. :-))

शुभेच्छाएँ

अरे ऐसा नहीं है आद. सौरभ जी। मैं अभी लेखन के प्रारंभिक काल में हूं। मुझे लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि अंतिम प्रस्तुति होने के कारण चिन्हित होने से रह गयी हो। आपके सुझाव अमूल्य होते हैं हमारे लिये

सुधीजनो ! मुझे नहीं मालूम, संकलित और संशोधित रचनाएँ कैसे डिलीट हो गयीं ! हतप्रभ हूँ. आज आखिरी बार आदरणीया अलका जी की रचना संशोधित हुई थी. अभी उन्होंने ही टिप्पणी कर यह सूचना दी है. कहीं यह किसी बड़ी तकनीकी समस्या की आहट है तो नहीं ?

आदरणीय श्री सौरभ पांडेय जी, सादर नमन! ओ बी ओ चित्र से काव्य छंदोत्सव अंक-65की सभी चिन्हित रचनाएँ गायब हैं।क्या उनको पुनः चिन्हित किया जाना है?
सादर ।

आदरणीय सुरेश कल्याण जी, इस अंक के संकलन की रचनाएँ कैसे ग़ायब हुई हैं, यह मेरे लिए भी आश्चर्य है. संकलित रचनाओं की कॉपी न होने से इनका दुबारा संकलन कष्टसाध्य ही है. अंक -66 की प्रस्तुत रचनाओं का संकलन आ गया है आप उक्त रचनाओं पर ध्यान केन्द्रित करें. 

सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service