For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : मेरी ग़ज़लों का मंज़र

मेरी ग़ज़लों का मंज़र खुरदुरा है,
शज़र उम्म्मीद का लेकिन हरा है।

बढ़ाओ हाथ हम आज़ाद होंगे,
कलम भी जोश से देखो भरा है।

हमारे शेर में हैं अर्थ कितने,
बज़ाहिर दिख रहा जो इकहरा है।

चटानो को नहीं छूना कि मौसम,
हिदायत दे गया सब भुरभुरा है।

ग़ज़ल पढ़ना सुनाना ठीक है पर,
अगर गाने लगे तो सुर बुरा है।

निरुत्तर कर दिया मुझको ख़ुशी ने,
ग़मो को देख कर मुझ पर मरा है।


मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on September 5, 2016 at 5:29am
आदरणीय कल्पना जी समादरणीय पवन जी राम बली जी सुरेश जी आपका ग़ज़ल पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 3, 2016 at 8:13pm
आदरणीय रवि शुक्ल साहब बहुत ही सुन्दर रचना । बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by रामबली गुप्ता on September 1, 2016 at 9:50pm
वाह वाह गुरुदेव का बात है एकदमै दिल मा उतर गई ग़ज़ल।जबरदस्त
Comment by डॉ पवन मिश्र on September 1, 2016 at 8:17pm
वाह आदरणीय वाह। बहुत उम्दा रवि जी। शेर दर शेर मुबारकबाद
Comment by डॉ पवन मिश्र on September 1, 2016 at 8:16pm
वाह आदरणीय वाह,,,,बहुत उम्दा रवि जी। शेर दर शेर मुबारकबाद
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 1, 2016 at 5:07pm
बहुत खूब आदरणीय रवि जी । बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है । हार्दिक बधाई ।
Comment by Shyam Narain Verma on September 1, 2016 at 4:27pm
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।
सादर 
Comment by Ravi Shukla on September 1, 2016 at 3:23pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर साहब आपका आशीर्वाद ऐसे ही मिलता रहे । आमीन ।
Comment by Samar kabeer on September 1, 2016 at 3:12pm
जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल से नवाजा है आपने मंच को बहुत ख़ूब वाह, शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
5 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service