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बह्र : २२ २२ २२ २

जल्दी में क्या सीखोगे

सब आहिस्ता सीखोगे

 

एक पहलू ही गर देखा

तुम सिर्फ़ आधा सीखोगे

 

सबसे हार रहे हो तुम

सबसे ज़्यादा सीखोगे

 

सबसे ऊँचा, होता है,

सबसे ठंडा, सीखोगे

 

सूरज के बेटे हो तुम

सब कुछ काला सीखोगे

 

सीखोगे जो ख़ुद पढ़कर

सबसे अच्छा सीखोगे

 

पहले प्यार का पहला ख़त

पुर्ज़ा पुर्ज़ा सीखोगे

 

हाकिम बनते ही ‘सज्जन’

सब कुछ खाना सीखोगे

-------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 21, 2016 at 9:07pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 20, 2016 at 9:08pm

सबसे हार रहे हो तुम

सबसे ज़्यादा सीखोगे---वाह्ह्ह  वाह 

बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई सभी शेर बढ़िया हुए बधाई लीजिये 

 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 20, 2016 at 9:03pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय समर साहब। इस शे’र को सुधारने पर मैं विचार कर रहा हूँ। अभी दिमाग में कुछ ऐसा है।

इक पहलू ही गर देखा
तुम बस आधा सीखोगे

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 20, 2016 at 9:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रक्ताले जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 20, 2016 at 9:00pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय सौरभ जी, स्नेह बना रहे

Comment by Samar kabeer on July 20, 2016 at 6:38pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ बधाई स्वीकार करें ।
दूसरे शैर में कुछ अटकाव महसूस हो रहा है, इसे यूँ करना मुनासिब होगा क्या ? :-
"इक पहलू ही गर देखा
तो फिर आधा सीखोगे "
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 20, 2016 at 1:32pm

जल्दी में क्या सीखोगे

सब आहिस्ता सीखोगे

 

एक पहलू ही गर देखा

तुम सिर्फ़ आधा सीखोगे....वाह ! वाह !

आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी सादर, बहुत ही खूब गजल कही है, हर शेर सीखने वाले को एक नयी चेतावनी देता दीख रहा है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2016 at 10:35pm

सारे शेर तो कमाल हैं ही, आदरणीय धर्मेन्द्र जी, इस शेर ने बहुत ही अधिक प्रभावित किया -

सबसे ऊँचा, होता है,

सबसे ठंडा, सीखोगे

हार्दिक बधाइयाँ ग़ज़ल के होने पर. 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 19, 2016 at 9:19pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज जी, आपकी बात से एक और शे’र हो गया

खुद को पढ़ लोगे जिस दिन

सारी दुनिया सीखोगे

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 19, 2016 at 9:18pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील जी

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