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वाह !!! प्यादे ने बहुत खूब चाल चली। जीतने की ख़ुशी में बादशाह ने अपनी सुरक्षा घेरे को नहीं देखा। बेहतरीन लघुकथा। ढेरों बधाई स्वीकार करें आदरणीया रजनी जी।
मैंने उनकी हाँ में हाँ मिलाई! अपनी कमीज का बटन ठीक करता हुआ में मन ही मन बुदबुदा उठा "इंजीनियर साहब इस बटन में लगे खुफिआ कैमरे में आप की सारी बात रिकॉर्ड हो गयी हैं! असल में शतरंज का खेल आपने ठीक से नहीं खेला! कभी कभी एक मामूली प्यादा भी राजा को मात दे देता हैं, बहुत खूब आदरणीय Rajni Goasin जी बधाई
आदरणीया रजनी गोसाईंजी, लघुकथा की प्रस्तुति हेतु हार्दिक धन्यवाद एवं हार्दिक शुभकामनाएँ
मात
" दद्दन जी ! देख रहें हैं ना सामने कई एकड़ में फैला फलों का बगीचा ।
" हाँ"
" तो बिछाइये अपनी बिसात, वही हैं आपके निशाने ।"
दूरबीन से उस बूढ़े दम्पत्ति का निरीक्षण करते हुये दद्दन बोला -"ऐसी क्या खास बात हैं इनमें ?"
" बूढ़ा' कुंडली मार के बैठा है इस सोने सी ज़मीन पर " सरपंच की आवाज़ में साँप सी फ़ुफ़कार थी।
"देख सरपंच ! सटीक कारण बताओ। ये काम कोई बच्चों का खेल नहीं है।"
तभी चुम्मन बोल पड़ा -"ये दोनों सरपंच जी के दूर के रिश्तेदार हैं।बाल-बच्चे हैं नहीं।इस बार सरपंच जी 10 लाख में फलों का ठेका दिए हैं,पर वो सनकी तैयार ही नहीं है।कहता है स्कूल बनाने के लिए ज़मीन दान कर जायेगा और फल बच्चे खायेंगें।"
" चुम्मन ! अपना मुँह बन्द कर।जितना कहूँ उतना ही बोला कर।"सरपंच ने आँख दिखाते हुए कहा।
"दद्दन जी ! ऐसा काम करो कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे।"
" छुरी ! ज़रा देख के बता बूढ़ा राजा-रानी क्या कर रहें हैं।"
"दद्दन जी मिट्टी सने हाथों से एक दूसरे को रोटी खिला रहें हैं।"
"अच्छा ...और हमारे हाथों में क्या लगा है?"
"खून "..छुरी कुछ समझते हुए बोला।
"आज़ अपनी जिंदगी तुच्छ लग रही है रे ..छुरी !" हमारी जिंदगी तो पाप करते हुए ही बीती है अभी तक।" दद्दन की आवाज़ में श्मशान वैराग्य था।
"दद्दन जी हमें लगता है चार लाख कम लग रहें हैं आपको , आठ लाख कर देतें हैं।"
"देख सरपंच! अब हमको गुस्सा मत दिला , नहीं तो अभी ठोंक देंगें ।"
" अब मुँह फाड़े क्या देख रहा है। ये जीवन भी शह और मात का खेल है।आज़ से हम बूढ़े राजा का वज़ीर और तुम प्यादा हो।सोच कर ज़वाब दो प्यादे का क्या काम होता है।"
" राजा के लिए अपनी ज़ान देना" मरी आवाज़ में सरपंच बोला।
मौलिक एवम् अप्रकाशित
आदरणीया जानकी जी बढ़िया लघुकथा हुई है इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. लघुकथा पर पुनः आता हूँ. सादर
आदरणीया जानकी जी प्रदत्त विषय के अनुरूप आपने बढ़िया कथानक बुना है. सकारात्मक अंत वाली बेहतरीन लघुकथा हुई है. इस लघुकथा का अनूठापन मुझे इसके कथ्य शैली और चरम बिंदु की सकारात्मकता लगी. इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई.
आदरणीया जानकी जी आपका बहुत बहुत आभार.... मेरे कहे का मान रखने के लिए.
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