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वैग्यानिक तथ्यों व भाषा का सहारा ले रची गई सुन्दर लघुकथा। बधाई आ.धर्मेंन्द्र कुमार जी।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया नीरज जी।
प्रेम रसायन ही जाति और धर्म की बुनियाद को गला सकता है - सही जवाब! आदरणीय धर्मेन्द्र जी बहुत ही सुन्दर उपाय सुझाया है प्रोफ़ेसर साहब ने!
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जवाहर लाल जी।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया नेहा जी।
आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी बहुत सुन्दर लघुकथा हुई है. जाति व्यवस्था की समस्या का समाधान सटीक शाब्दिक हुआ है -//भले ही इस इमारत की बुनियाद को विस्फोटक लगाकर उड़ाया नहीं जा सकता मगर इसे प्रेम-रसायन से गलाया जा सकता है। //
इस लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश जी।
वाह प्रेम-रसायन बहुत ही सुंदर और उपयुक्त शब्द आपने प्रयोग में लिया है आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी। वास्तव में लघुकथा में निहित जातिगत समस्या का हल अगर कोई है तो वो आपका प्रेम रसायन। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील जी।
प्रेम रसायन ,वाह खूब लिखा है , हार्दिक बधाई इस रचना के लिए आ० धर्मेन्द्र कुमार जी
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया प्रतिभा जी।
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