For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी ! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है | 
तुमको सब कुछ सौंप दिया , जो मेरा है सो तेरा है ||

मुक्त हुआ , कुछ फिक्र नहीं | 
तू सच है, केवल जिक्र नहीं | 
मैं चाहे जहाँ रहूँ लेकिन, तेरे नयन ह्रदय का डेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

मैं सोता, तू जगती है | 
धीरज रोज , परखती है | 
है बन्द आँख में ख्वाब तेरा, भले नींद ने घेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

तू सोचे , फिर एक बहाना | 
मैं कहता, दिल का अफसाना | 
होंठ मौन हैं, रहे भले ही, तुम्हें रोम-रोम ने टेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

जो चाहा, अक्सर नहीं मिला | 
सच्चा है, ये सच्चा है गिला | 
हर चीज वक़्त के बाद मिले, कुछ किस्मत ही का फेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी ! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

उत्सव दिन, उत्साह विहीन | 
उपालंभ, नित्य नवीन | 
कैसे हर दिन सेलिब्रेट करूँ, मुझे उत्सव दर्शन तेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिय मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

.
गंगा धर शर्मा 'हिन्दुस्तान'

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 511

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 1, 2015 at 8:26pm

आ० गंगाधर शर्मा जी 

नेह सिक्त हृदय के उद्गारों को बहुत संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है 

फिर भी प्रस्तुति अभी शिल्प पर और वक़्त की मांग करती है 

हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 1, 2015 at 8:20pm

आदरणीय गंगा धर भाई , सुन्दर भाव पूर्ण गीत रचना के लिये बधाई आपको ॥

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2015 at 8:00pm

बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है | 
तुमको सब कुछ सौंप दिया , जो मेरा है सो तेरा है ||-----आपकी मै यह पहली रचना पढ़  रहा हूँ | स्वागत है आपका | ह्रदय में विश्वास लिए है आश्वस्त करती सुंदर रचना के लिए बधाई श्री गंगा धर शर्मा "हिन्दुस्तान" जी 

Comment by somesh kumar on March 1, 2015 at 11:33am

बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है|

सुंदर ,भाव से परिपूर्ण रचना |

Comment by Hari Prakash Dubey on March 1, 2015 at 8:51am

आदरणीय गंगा धर शर्मा जी बहुत ही सुन्दर ....... है बन्द आँख में ख्वाब तेरा, भले नींद ने घेरा है |

बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है ...... बधाई आपको .! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 1, 2015 at 7:34am
आदरणीय सुन्दर रचना। प्रस्तुति पर बधाई।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 28, 2015 at 9:16pm

आ० गंगा धर शर्मा 'हिन्दुस्तान' जी

आपका विश्वास सदैवा आपकी  रचना पर कायम रहे i आपको बधाई i सादर i

Comment by maharshi tripathi on February 28, 2015 at 5:51pm

जो चाहा, अक्सर नहीं मिला | 
सच्चा है, ये सच्चा है गिला | 
हर चीज वक़्त के बाद मिले, कुछ किस्मत ही का फेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी ! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

मन को छूती पंक्तियाँ ,,,इस खूबसूरत गीत पर आपको हार्दिक बधाई आ.गंगाधर शर्मा जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service