For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन-भावक इतिहास - डॉo विजय शंकर

अच्छा लगता है
पुरखों को याद करना ,
उनकीं कथाएं , उनकीं उब्लब्धियाँ ,
सुनना और बयान करना ॥
एक गौरवपूर्ण अतीत और
उसकी सुनहरी स्मृतियाँ ॥
और , सुन्दर सपने देखना ,
फिर कोई भगीरथ आएगा
गंगा क्या , इस बार स्वर्ग ही
धरती पर उतार लाएगा ॥
अभी से दलाल या ठेकेदार
ढूँढ लो , उसके संपर्क में रहो,
स्वर्ग का टिकट वही न दिलाएगा ॥


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 1, 2014 at 11:14am
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी आपकी पारखी नज़र को नमन एवं धन्यवाद।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 1, 2014 at 10:10am

व्यंग भी है  i पीड़ा भी है i सन्देश भी है i क्या त्रिवेणी  बहाई है सर !

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 29, 2014 at 9:00am
आपकी बधाई के लिए ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय हरी वल्लभ शर्मा जी।
Comment by harivallabh sharma on November 28, 2014 at 11:42pm

बहुत सटीक व्याख्या आज के मानव की मानसिकता की...बधाई उत्कृष्ट सृजन हेतु आदरणीय Dr.Vijai Shanker जी.

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 27, 2014 at 11:07pm
प्रिय जिजेन्द्र जी , सच्चा लिखा और अच्छा लिखा , सच्चा है और अच्छा भी है , लोग मान लेंगें ?
आपके ह्रदय के उदगार हैं , आदरणीय हैं , बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 27, 2014 at 11:03pm
आपको रचना पसंद आई , रचना की यही सार्थकता है , आदरणीय राजेश कुमारी जी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 27, 2014 at 10:56pm

बहुत अच्छा और सच्चा लिखा, सर. मन को सुकून मिलता है आपकी रचनाओं को पढने पर

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 27, 2014 at 10:44pm
चोट करना मकसद नहीं है , हाँ , शायद वो भी जागें कभी , बस एक कोशिश है, आदरणीय गणेश जी बागी जी , आपकी बधाई के लिए ह्रदय से सादर धन्यवाद।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 27, 2014 at 10:39pm
रचना को मान देने के लिए ह्रदय से सादर धन्यवाद आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 27, 2014 at 10:37pm
बात सिर्फ स्वर्ग के टिकट खरीदने तक सीमित नहीं है , हम्मे तो एक ऐसी संस्कृति का सृजन कर डाला है जहां सब कुछ खरीदना पड़ रहा है , जिन्हें मुहय्या कराने की जिम्मेदारी है वही उसे बेंच रहे हैं। बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service