For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वना के एक साल बाद गोदी मे चान नियन बेटी लेके रूपा पहिला हाली नईहर आइल बाड़ी, घर मे तेवहार जइसन माहौल बा, अँगना मे घर के सभे लोग उनुका के घेर के ससुरा के हाल चाल पुछ्त बा |
"माई हम उहा बहुते खुस बानी, तोहार दमाद राजन हीरा बाड़न, उहा के हमेसा हमार धीयान रखेलन, हमार सास नियन सास भगवान सबका के देसु, उनुकर बेवहार एकदमे पानी लेखा बा, दूनो ननद, भौजाई ना बलुक बड़ बहिन लेखा मानेलिसन |"
"आ तोर जेठ जेठानी कईसन बा रूपा ?" माई खुस होके पुछली |
"जेठ आ जेठानी दूनो जना बहुते निक बा माई, ना लागे कि हम ससुरा मे बानी, एगो छोट बहिन नियन मान देवेले उ लोग | दूनो भाई राम लछुमन जईसे रहेलन, उनुकर दुगो बेटा आ दुगो बेटी बाड़ी, दिनभर चाची-चाची कईले रहेलनसन, बड़की बेटी त इंटर के एह साल परीक्षो दीही |"
माई लमहर सास खीच के होंकारी परsली ।
"एगो बात जानत बाडू माई ! ससुर जी के गुजरला के बाद पूरा परिवार के ज़िम्मेवारी जेठ जी उठवले बाड़न, आपन छोटी चुकी नोकरी से केहु तारे राजन के पढ़ा लिखा के अफ़सर बना दिहले, साचो ऐइसन आदमी लाख दू लाख मे एगो होलन |"
रूपा के बात सुन नइहर के सभे लोग गदगद हो गइल |
"रूपा उ सब त निके बा बाकिर एगो बात हमार मान" माई धीरे से कहली |
"तू राजन से कहि के केहु तरे अलगा हो जो |"
"ई का कहत बाड़ू माई ?"
"हम ठीके कहत बानी, अब तोहरो एगो बेटी बिया, ओकरो बारे में तोहरा सोचे के चाही, कुछ दिन मे तोर जेठ के बेटी के बियाह-शादी करे के पड़ी आ कुल खर्चा ......"
"छी: माई, तू ऐइसन सोचत बाड़ू ! हमार जेठ त देवता ...."
"त देवता के मन्दिरे मे रहे दे बुचिया" रूपा के बात बिचे मे काट माई बोल पड़ली |

================================================================================================

गवना : दुरागमन, चान : चाँद, नईहर : मायके/पीहर, लमहर : लम्बी, होंकारी पारना : हुम की आवाज निकालना, गुजरना :: देहांत/मृत्यु, जेठ : ज्येष्ठ / पति का बड़ा भाई, 

================================================================================================

मौलिक व अप्रकाशित

पिछला पोस्ट ==> भोजपुरी गीत : शाबास बबुआ

Views: 2477

Replies to This Discussion

बागीजी , सुंदर लिखनी , सोच के छुदरपन आ आपन के चिन्ता , माई खातीर सोचल जाइजे ह , माई जे बारी .
अब तइकी बात के उलट दीं ,बड़का भाई अफसर आ रूपा के साईं कवनो छोट पद पर करमचारी होखते तब इहे माई के सीख का होइत ? इहे ह माई के सोंच के संसार ,संतान से ऊपर केहू के ना राखेलीन स | माई-बेटी के संवाद ह ,एसे "मन्थरा " नाव हमरा ना जँचल बाकी बात बढियाँ से रखाईल बा |

राउर विचार के सुआगत बा आदरणीय विजय भाई जी, जब आदमी एकोरिया सोचे लागेला त बुद्धि भ्रष्ट हो जाला, लघुकथा रउआ पसंद कईनी निक लागल, बहुते आभार, शीर्षक प एतने कहब कि "मन्थरा" एगो बिम्ब बा जेकर परयोग हमनी क बहुतायत में करिलाजा, औरते न मरदानो खातिर परयोग होला, जइसे ....काहो फलाना, ढेर बsनबs मन्थरा |

खैर जदि दोसर कवनो शीर्षक रउरा धियान में आवत होखे त कहब, शीर्षक बदले प विचार कईल जा सकत बा |

सुन्दर लघुकथा हेतु बधाई..................

धन्यवाद .................

जे 'मन्थरा ' बहुब्रिही रूप में बा ,जौनकी ए भाषा में सही में बहुत बोलल जाला त सार्थक ह | धन्यवाद बागीजी |

गनेस भाई, लघु-काथा पढ़नी हम.
ईहो एगो रूपे ह, एही समाज के ! घर के बड़ लोग सचेत ना रहल त आन गाँव के कमतर बिचार एही तरी आपन पैठ बनावे लागेला. आ अक्सरहा कवनो हँसत-खेलत घर के मसान बना के ध देला. एही से गाँव-जवार में तब एगो मान्यता प्रचलित रहे जे कवनो बहु-बहुरिया के शुरुआतिये में हाली-हाली नइहर नत भेजल जाओ. तब बहुरियनो के उमिर काँचे होत रहे. आज के बहु-बहुरिया आतना काँच उमिर के नइखी स आवत. बाकि अपना संतान के खुस देखे के अहस कवनो माई के कतना निर्घिन सोच से भर सकेले एकर नीमन उदाहरण दे रहल बिया ई लघु-काथा.
घर-परिवार, गाँव-समाज के एगो जानल-बूझल तथ्य जतना सादगी से प्रस्तुत भइल बा, ओह खातिर गनेस भाई, तहरा निकहा बधाई.
लघुकाथा सुन्दर भइल बा.

राउर कहनाम एकदमे सही बा, लोगन के सोच में बकलोलई घुस गईल बा, जाने अनजाने आपने संतान के दुसमन बन जात बा लोग,उ कहल बा नु, "रक्षा में हत्या" , रक्षा आ हत्या के बोध ख़तम होत जात बा आ परिणाम इ बा कि परिवार एकाकी होत जात बा । समाज मे हो रहल गतिबिधियन के सामने लावे के प्रयास स्वरुप ई लघुकथा जनम लिहलस, राउर आशीर्वाद मिलल ,लिखल सुफल भईल, बहुते आभार आदरणीय सौरभ भईया ।

एगो बाति कहीं आ० गनेश जी .. इ नईहर के लोग बुचिया के बिगाडेला लोग, साच्चों.... बाकी बड़ा निक लागल राउर इ लघुकथा|
खूब ढेर के बधाई रउरा खातिर | एगो बतिया अऊर ... बहुते मंथरा बा लोग अबहिन , सच में

आदरणीया मीना पाठक जी, लेखक जवन देखेला भा महसूस करेला उहे नु लेखनी के माध्यम से निकलेला, कही ना कही, कतहु ना कतहु, कुछो ना कुछो बात त जरुरे बा जे लघुकथा जनम लिहलस, कथा रउआ के पसन् आइल, राउर बहुत बहुत आभार .

आदरणीय गणेश भाई..पहिली बार ई लघुकथा पढली..अउर सरासर दिमाग में उतरि गयल..अपने माटी क सोंधापन लिहले यह रचना क जेतनों तारीफ किह्ल जाय कम बा..भोजपुरी में काम करे क बहुतै जरूरत बा..आउर एम्मे आप लोगन क योगदान..सराहना करे क शब्द नाहीं मिल पावत बाटे|  

आदरणीय मनोज भाई जी, एह परयास पर राउर आशिर्बाद मिलल, बहुते निक लागल, राउर सराहना खातिर बहुते आभार .

आदरणीय बागी भईया, गोर लाग तानी  ! राउर इ कहानी पढ़े घड़ी, एक दमे अइसन लागे लागल जैसे कि एगो सनेमा देखा तानी ! बहुते बन्हिया आ सुनर लिखले बाड़ा भईया ...! घर दुआर में त , बड़- बुजुर्ग के, सही गियान देवे के चाहीं लेकिन जब ओही लोगिन गलत आ खराब रस्ता दिखावे लागे लन लोग , त का करल जाव ! कहानी के मतलब बहुते साच बा ..अइसन होखबे करेला ...! राउर लेखनी के कर जोड़ प्रणाम एक बार फिरू से ! :)

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
30 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
46 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service