For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हार्इकू (सत्ता ही भत्ता)

//1//


कन्या कुमारी
फैशन की बीमारी
पार्क घुमा री!

//2//


सुन्दर बेटी
भारतीय संस्कार
फूटती ज्वाला।

//3//


बेटी गहना
जुआरी क्या कहना
नेता आर्इना।

//4//


जय माता दी!
धार्मिक बोलबाला
देश में हिंसा।

//5//


लोक तंत्र क्या?
बलवा-व्यभिचार
जनता उदास।

//6//


बेरोजगार
हिंसा का पुरजोर
सत्ता ही भत्ता।

//7//


कटटरवाद
मानसिक विक्षिप्त
दंगा व्यसनी।

के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 29, 2013 at 10:57am

 आ0 शिज्जू भार्इ जी, अपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 26, 2013 at 10:38am

आदरणीय केवल प्रसाद जी बहुत बढ़िया हाइकू रचे है,  इस खूबसूरत रचना के लिये बधाई स्वीकार करें

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 25, 2013 at 8:22pm

आ0 अरून अनन्त भार्इ जी,  हार्इकू कविता पर विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन करने हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 25, 2013 at 8:21pm

आ0  रामशिरोमणि भार्इ जी,  हार्इकू कविता पर विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन करने हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 25, 2013 at 8:20pm
आ0 सुशील भार्इ जी, हार्इकू कविता पर विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन करने हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
Comment by ram shiromani pathak on October 25, 2013 at 5:03pm

आदरणीय भाई केवल जी,बहुत सुन्दर हाइकू रचे है अपने //हार्दिक बधाई आपको

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 25, 2013 at 11:24am

आदरणीय केवल भाई जी वर्तमान परिस्थिति पर बेहतरीन हाइकू रचे हैं आपने बहुत बहुत बधाई

Comment by Sushil.Joshi on October 25, 2013 at 5:17am

वाह आ0 केवल प्रसाद जी..... सभी हाइकू बेहद सुंदर एवं सार्थक बन पड़ें हैं.... बधाई हो

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 24, 2013 at 7:58pm

आ0 भंडारी भार्इ जी,  हार्इकू रचना पर अपार स्नेह, अनुमोदन और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 24, 2013 at 7:56pm

आ0 आशुतोष भार्इ जी,  हार्इकू रचना पर अपार स्नेह, अनुमोदन और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service