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नारी [ कुण्डलिया ]

नारी सबला जानिए ,देकर अनुपम प्यार
नारी से नर उपजिया ,मानस पटल सुधार |
मानस पटल सुधार , जान नारी जस माता
जैसे करता करम ,फल वैसा तभी पाता |
नारी माँगे मान,जान ना उसको अबला
देकर अनुपम प्यार,जान लो नारी सबला ||

.................

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 3, 2013 at 10:07pm

आ0 सरिता  जी,  सादर प्रणाम!   वाह!... नारी का सशक्त और जाग्रत रूप का सुन्दर वर्णन... सुन्दर प्रस्तुति।   हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by mrs manjari pandey on September 3, 2013 at 9:50pm

  

         आदरणीया सरिता भाटिया जी , आभार कुन्डलियों  के लिये   !

Comment by Sarita Bhatia on September 2, 2013 at 6:46pm

आदरणीया विजय श्री जी एवं कल्पना रमानी जी ,आदरणीय लक्ष्मण जी एवं रविकर जी , अरुण तह दिल से शुक्रिया  

Comment by रविकर on September 2, 2013 at 10:29am

अच्छी कुण्डलिया छंद-
आभार आदरेया-

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 1, 2013 at 12:38pm

आदरणीया सरिता जी धीरे धीरे आप लेखनी को मजबूत कर रही हैं काफी सुधार भी है प्रयासरत रहिये, एक गुजारिश है लिखने के बाद कम से कम तीन चार बार स्वयं सस्वर पढके जांच लें बहुत कुछ स्पष्ट हो जायेगा. इस प्रयास पर ढेरों बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2013 at 11:53am

sundar prayaas ke liye badhaai swikaare 

Comment by कल्पना रामानी on September 1, 2013 at 10:06am

बहुत सुंदर भाव पूर्ण रचना है सरिता जी, लेकिन पूरी तरह परिमार्जन चाहती है। आप और तुम दोनों तरह का प्रयोग है।कहीं-कहीं लय भी बाधित हो रही है।सुंदर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई

Comment by vijayashree on September 1, 2013 at 12:17am

सुंदर प्रयास सरिताजी 

Comment by Sarita Bhatia on August 31, 2013 at 2:40pm

सभी दोस्तों का हार्दिक अभिनन्दन जिन्होंने मेरे लिए इतना समय निकाला  ,राजेश दी आपकी बातों पर गौर कर रही हूँ 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on August 31, 2013 at 2:33pm

  कुंडलिया कुछ छोटी लगी पर अच्छी लगी, बधाई सरिता जी ।

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