For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 29(Now Closed)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 29  में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

 

इस बार से छंदोत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |

प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है.

यह चित्र भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित वाघा स्थान पर हो रहे दोनों देशों के सामुहिक ड्रिल का है जहाँ एक-दूसरे के देशों में जाने के लिये फाटक बने हैं. 

 

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि  छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों में लिखी गयी काव्य-रचनाओं पर ही आधारित होगा. इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ कृपया सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य लिखें.  ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

नोट :-

(1) 14 अगस्त 2013 तक Reply Box बंद रहेगा,  15 अगस्त 2013 दिन वृहस्पतिवार से 16अगस्त 2013 दिन शुक्रवार यानि दो दिनों के लिए Reply Box रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो. रचना भारतीय छंदों की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे और केवल अप्रकाशित एवं मौलिक सनातनी छंद की रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :-यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 29  की आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो रचनाएँ. 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी । 

नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

 

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

 

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.

 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.  

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहा...

मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 14256

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय सत्यनारायण जी सादर

बहुत ही सुन्दर छंद रचा है आपने सादर बधाई स्वीकारें

कहे सत्य कविराय, नाग यह काला जहरी।

डसता मौका पाय, कुचल सिर इसका प्रहरी।। बहुत सुन्दर

आदरनीय संदीप जी   सादर,
अनुमोदन हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ.

आदरणीय सत्यनारायण जी, आपकी कविता प्रत्येक दृष्टि से परिपूर्ण है, चित्र के भाव, सैनिक का ओज, पाकिस्तान का चरित्र सब कुछ आ गया इस कविता में, बहुत सुन्दर एवं सटीक कविता पर आपको बधाई।

आदरणीय   अनिल  जी,  प्रोत्साहन एवं सराहना हेतु आपका आभारी हूँ.

सोहे कलगी लाल सिर, देखे दुश्मन दंग।।

सुन्दर कुंडली आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी, बधाई स्वीकार करें । 

देखके दुश्मन दंग, पहन तन काला चोला।

भोली सूरत लगे, मगर ना मनका भोला।।

कहे सत्य कविराय, नाग यह काला जहरी।

डसता मौका पाय, कुचल सिर इसका प्रहरी।।... आदरणीय सत्यनारायण जी ..बहुत खूब आदरणीय .. बधाई स्वीकार करें

आदरणीय मंच संचालक एवं सभी सुधीजनों को स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएँ 

मेरी प्रस्तुति 

छंद - दोहा

संक्षिप्त विधान - दोहा में चार चरण होते हैं ,विषम चरणों में १३ मात्राएँ  तथा सम चरणों में ११ मात्राएँ  होती है .विषम चरणों के अंत में लघु गुरु या लघु लघु  तथा सम चरणों में गुरु लघु  के साथ तुकांत आना आवश्यक है

सब्र का न इम्तिहान ले, सुनो पाक कमजात 
धोखेबाजी छोड़ दे ,खायेगा तू लात ||


पछतायगा पिटकर तू ,रोज लेता पंगा 
सरेआम कर दें तुझको ,विश्व में अब नंगा ||


लाल अपनी पगड़ी है,ऊँची हमारी शान 
आतंक की तू फैक्ट्री ,तू है बेईमान ||


बेटा अब तू सुधर जा,बक न अनाप शनाप 
ढीली तब सलवार हो , आ जाए जब बाप ||

.........मौलिक व अप्रकाशित ............

आदरणीया सरिताजी, आयोजन में भागीदारी हेतु धन्यवाद.

प्रस्तुति के छंद का नाम और उस छंद के संक्षिप्त विधान को आपने साझा नहीं किया है.   कृपया इस प्रस्तुति के छंद का नाम अविलम्ब लिख दें.  इस आयोजन का नाम छंदोत्सव है और छंदों पर आधारित रचनाओं के लिए है.

कोई अन्यथा रचना अमान्य हो जायेगी.

सादर

कृपया आदरणीय सौरभ जी इसे सम्मलित करें नेट प्रॉब्लम की वजह से open नहीं हो रहा था 

दोहा में चार चरण होते हैं ,विषम चरणों में १३ मात्राएँ  तथा सम चरणों में ११ मात्राएँ  होती है .विषम चरणों के अंत में लघु गुरु या लघु लघु  तथा सम चरणों में गुरु लघु  के साथ तुकांत आना आवश्यक है

पगड़ी अपनी लाल है ..कर दें 

फैक्ट्री तू आतंक की ....कर दें 

आपका सादर धन्यवाद, आदरणीया सरिता जी,

यह अवश्य है कि दोहे के संक्षिप्त विधान को लिखने से ही शिल्पगत कमियों पर दृष्टि पड़ी. यही विधानों को लिखने या लिखवाने का मूल उद्येश्य भी है.

पहले दोहे के पहले चरण को भी देख लें. शब्दों को सही ढंग से साधा जाय तो वहाँ की मात्रा भी उचित हो जायेगी. 

पछतायगा पिटकर तू ,रोज लेता पंगा 
सरेआम कर दें तुझको ,विश्व में अब नंगा

आपने जो विधान लिखा उसके सापेक्ष अपने उपरोक्त दोहे को देखें तो पंगा और नंगा आपको भी अशुद्ध प्रयोग लगेंगे.

आप द्वारा सुझाये गये परिवर्तन के अलावे ऊँची हमारी शान  को भी क्यों न  ऊँची अपनी शान  किया जाय ?  अनावश्यक मात्रा क्यों बढ़ायी जाय ?

फिर फैक्ट्री तू आतंक की  करने से शब्द-संयोजन सही तो हो गया लेकिन उसी पद के सम चरण में भी एक तू है जो दोहे के लालित्य को कम कर रहा है. इसे ठीक कर लें. पद के विषम चरण से तू हटा कर भी किया जाय तो शायद बात बने. वैसे इतने परिवर्तनों के बाद अब वह दोहा यों होगा --

पगड़ी अपनी लाल है, ऊँची अपनी शान

फैक्ट्री भी आतंक की, तू है बेईमान

अब इस दोहे पर आयें --

बेटा अब तू सुधर जा,बक न अनाप शनाप 
ढीली तब सलवार हो , आ जाए जब बाप |

सुधर जा एक त्रिकल शब्द है मान  भी त्रिकल ही है. कुछ अंतर है दोनों में ?

ठीक समझा आपने. सुधर शब्द के धर पर ज़ोर है जबकि मान के मा पर.  सुधर के धर पर ज़ोर होने से इस दोहे का विषम चरण गेयता में अटपटा हो रहा है. जबकि मात्रा के अनुसार ठीक है.

वस्तुतः मान जा  रगण (ऽ।ऽ)  का आभास दे रहा है, अतः दोहे के विषम चण में सटीक बैठ रहा है.

जबकि सुधर जा के धर पर ज़ोर होने से सही कहिये तो यह शब्द समुच्चय यगण (।ऽऽ)  की तरह आभास दे रहा है.  वैसे यह यगण कत्तई नहीं है. मैं आभास की बात कर रहा हूँ. यही कारण है कि इस चरण की मात्रा सही होने के बावज़ूद गेयता अटपटी लग रही है.

आपके इस दोहे के परिप्रेक्ष्य में एक बात मैं सार्वजनिक तौर पर साझा करना चाहूँगा कि त्रिकल २ १ भी होता है तो १ २ भी होता है. हम छंद के पदों की अंतर्गेयता और विधानानुसार विन्यास को समझते हुए उसका प्रयोग करें तो ही उचित होगा.

ये शिल्प सम्बन्धी सुझाव भर हैं. मेरी समझ के अनुसार साझा हुए हैं. इससे बेहतर शब्द प्रयुक्त कर छंदों की सुन्दरता को और बढ़ाया जा सकता है. 

शुभ-शुभ

aआदरणीय सौरभ जी आपने सही कहा शब्द संजोजन ही तो सही करना है गेयता और मात्रा का ध्यान करते हुए 

ह्रदय से आभारी हूँ आप साथ साथ समझा देते हैं इससे बेहतर क्या है ?

आदरणीया सरिता जी, मुझे विधानों की जितनी समझ है उतना साझा करता रहता हूँ. इसके आगे विद्वान और सुधी पाठक साझा करें.

सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
8 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
16 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service