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भूल जाने का हुनर आता नहीं

दोस्त  बनकर भूल  जाने का हुनर आता नहीं

लोग  कहते  हैं के  दस्तूरे  सफ़र आता नहीं

 

जब रहम  की  आस में दम तोड़ता है आदमी

क्यों किसी के दिल-जिगर में वो असर आता नहीं

 

दरहकीकत  छांव  दे  जो इस जहाँ की धूप से

अब हमारे  ख्वाब  में भी  वो शजर आता नहीं

 

रंग-ओ-खुशबू है मगर,यह टीस है कुछ फूल को

वक्त जब  माकूल  रहता, क्यों समर आता नहीं

 

जब मुकाबिल तोप  की जद में बरसती आग हो

फिर बशीरत के, सिवा कुछ भी नज़र आता नहीं  

 

शजर= पेड़ ; समर= फल; बशीरत= अंतर्द्रष्टि 

 

मौलिक और अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Dr Lalit Kumar Singh on August 14, 2013 at 5:14pm

आ. पाण्डेय जी , सादर 

शुक्रिया आपकी परखी नज़र का.
हौसला बढ़ाते रहें
सादर  

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 13, 2013 at 10:08am

रंग-ओ-खुशबू है मगर,यह टीस है कुछ फूल को

वक्त जब  माकूल  रहता, क्यों समर आता नहीं

क्या बात है, आदरणीय ललितजी,  इस शेर ने कई तथ्यों को एक साथ उजागर किया है. जितना कहा उससे अधिक इंगित किया है इसने ! 

जब मुकाबिल तोप  की जद में बरसती आग हो

फिर बशीरत के, सिवा कुछ भी नज़र आता नहीं 

वाह, हुज़ूर वाह !

शुभ-शुभ

Comment by shubhra sharma on August 8, 2013 at 11:10pm

आदरणीय ललितजी अच्छी प्रस्तुति  के लिये  बधाई  स्वीकार करे 

Comment by Shyam Narain Verma on August 8, 2013 at 5:59pm
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!
Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2013 at 5:43pm

वाह वाह आदरणीय बेहद शानदार ग़ज़ल सभी के सभी अशआर क्या खूब कहे हैं आपने, ढेरों बधाई स्वीकारें.

Comment by विजय मिश्र on August 8, 2013 at 12:21pm
"दरहकीकत छांव दे जो इस जहाँ की धूप से
अब हमारे ख्वाब में भी वो शजर आता नहीं | -- ललितजी ! आज के जरूरतमंद का दर्द बाँटना तो दूर ,सुननेवाला भी कोई नहीं . रोज व रोज इंसान इंसानियत से महरूम होता जा रहा है , " जिसे भी देखिए अपने ही आप में गुम है , जुबान मिली है मगर हमजुवां नहीं मिलता "-शायद साहिर साहब . हर आदमी इत्मीनान से अपने आप में मशगूल है . ऐसे दिन न दिखाए मेरे रब्बा . दुखते रग पर हाथ रखती इस गजल केलिए शुक्रिया भाई ललितजी .
Comment by बसंत नेमा on August 7, 2013 at 11:10am

दोस्त  बनकर भूल  जाने का हुनर आता नहीं

लोग  कहते  हैं के  दस्तूरे  सफ़र आता नहीं 

 सुन्दर  अति सुन्दर .... आ0 Dr Lalit Kumar Singh जी बधाई शुभकामनाये स्वीकारे .........

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