For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर वही गीत दुहराओ प्रिय

 

मन की सूखी धरती पर

कुछ बूंद प्रेम जल छलकाओ प्रिय

वीरान हो चला है हृदय

कुछ प्रेम पुष खिलाओ प्रिय

फिर वही गीत दुहराओ....................

 

भग्न हदय सुप्त मन प्राण

अभिशापित सा हो चला जीवन

गहराती धुंध के बादल

कुछ  रशमियां बिखराओ प्रिय

फिर वही गीत दुहराओ...............अन्नपूर्णा

 

मौलिक एवं अप्रकाशित  

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on August 1, 2013 at 12:30pm

आदरणीय गुरु जी आपका हार्दिक आभार । आपसे यूं ही प्रेरणा मिलती रहे ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 1, 2013 at 12:37am

प्रणय का सात्विक निवेदन मुखर हुआ है, सादर धन्यवाद तथा बधाइयाँ.

सादर

https://fbcdn-sphotos-c-a.akamaihd.net/hphotos-ak-ash3/p480x480/26770_386646776024_5172028_n.jpg


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 1, 2013 at 12:33am

प्रणय का सात्विक निवेदन मुखर हुआ है. सादर बधाइयाँ.

Comment by annapurna bajpai on July 27, 2013 at 11:22am

आदरणीया शुभांगना जी आपका हार्दिक आभार ।

Comment by शुभांगना सिद्धि on July 26, 2013 at 2:20pm

भग्न हदय सुप्त मन प्राण

अभिशापित सा हो चला जीवन

गहराती धुंध के बादल

कुछ  रशमियां बिखराओ प्रिय,                   सुंदर भावाभिव्यक्ति  

Comment by annapurna bajpai on July 26, 2013 at 12:30pm

आदरणनीया महिमा जी एवं आ० अभि जी  आपका हार्दिक आभार .

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 26, 2013 at 8:46am
बहुत सुन्दर अभिलाषित मन

सुन्दर शब्द संजोये हैं आपने … बहुत ख़ूब

Comment by MAHIMA SHREE on July 25, 2013 at 11:51pm

भग्न हदय सुप्त मन प्राण

अभिशापित सा हो चला जीवन

गहराती धुंध के बादल

कुछ  रशमियां बिखराओ प्रिय

फिर वही गीत दुहराओ......... बहुत ही सुंदर भावाभिव्यक्ति आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत-२ बधाई आपको

Comment by annapurna bajpai on July 25, 2013 at 4:26pm

आ० आशुतोष मिश्रा जी , एवं आ० लक्ष्मण प्रसाद जी आपका हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 25, 2013 at 10:47am

सुन्दर प्रणय गीत के लिए बधाई आदरणीया अनुपमा वाजपेयी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service