For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चालाक सियार

---------------

शेर  जंगल  का  राजा

निकला हो कर तैयार

भूख लगी भारी उसको

मिल जाए कोई शिकार

दहाड़ सुन कर शेर की

पशु इधर  उधर भागे

सोये पड़े पशु पक्षी भी

तड पड़  तड पड़ जागे

किये प्रयास सारे उसने

मिल न सका आहार

शेर जंगल का राजा .....

गुफा देख झांका अंदर

पशु न था कोई वहाँ

लौटेंगे शाम जरूर घर

जायेंगे वे आखिर कहाँ

जा छुप बैठा गुफा अंदर

करता रहा इन्तजार

शेर  जंगल  का राजा ....

बीता दिन आयी संध्या

सियार वापस घर आया

पद चिन्ह देख गुफा ओर

मन ही मन सकपकाया

शत्रु कोई छुपा है भीतर

हो न जाए  तकरार

शेर  जंगल का राजा ....

आता जब शाम को वापस

गुफा तुम आवाज लगाती

खामोश आज क्यों इतनी

बात कुछ समझ न आती

बोलो जल्दी या बदलूँ खोली

पुकार चुका तुमको कई बार

शेर  जंगल का राजा .....

समझ सका न शेर चालाकी

सियार के झांसे में वो आया

गुर्राया पहले धीरे धीरे से वो

फिर जोर से दहाड़ लगाया

देख जान खतरे में अपनी

भागा दुम दबा कर सियार

शेर  जंगल का राजा ....

लाख आये संकट प्यारों

कभी न उनसे घबराना

सीखना जीवन भर तुमको

कभी न इससे भय खाना

धैर्य संयम विवेक चतुराई

जीवन के हैं हथियार

शेर जंगल का राजा  

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

१६-४-२०१३ 

मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 1724

Replies to This Discussion

बहुत ही सुन्दर रचना! मेरी बधाई स्वीकारें।

आदरणीय प्रदीप कुमार कुशवाहा जी, बहुत ही सुन्दर।   हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

शेर और सियार की पंचतंत्र की कहानी को काव्य रूप देने का सुन्दर प्रयास हुआ है आदरणीय प्रदीप सिंह कुशवाहा जी 

सुंदर

सादर आभार 

आदरणीय त्रिवेदी सर जी 

आदरणीया प्राची जी 

सादर अभिवादन 

प्रयास सफल हुआ कि नहीं, किसी सुधार  की आवश्यकता तो नहीं है प्रोत्साहन हेतु आभार 

स्नेही केवल प्रसाद जी 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

आदरणीय ब्रजेश जी, 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

सस्नेह. 

लाख आये संकट प्यारों

कभी न उनसे घबराना

सीखना जीवन भर तुमको

कभी न इससे भय खाना

धैर्य संयम विवेक चतुराई

जीवन के हैं हथियार..........  बहुत सही निष्कर्ष.. .

पंचतंत्र की कहानी को पद्यरूप दिये जाने का प्रयास भला लगा है. आपको सादर धन्यवाद, आदरणीय प्रदीपजी.. .

आदरणीय गुरुदेव 

सादर अभिवादन 

आपका स्नेह मेरी पूंजी है 

आदरणीय...प्रदीप जी.. "बाल साहित्य मे..चालाक सियार " की कविता पढ़कर मानो बचपन लौट आया हो! दिन भर खेलने कूदने के बाद, शाम को खाना खाकर बेफिक्र जीवन के उस पड़ाव पर, जब ये भी पता नहीं रहता था कि कब दिन हुआ और कब रात !...तब दादी माँ के पास बिल्कुल ऐसी ही कहानियाँ सुनने को मिलती थी, जैसी आपने अपनी पंक्तियों में प्रस्तुत की है...."आदरणीय प्रदीप जी शुभकामनाऐं स्वीकार कीजीए..

आदरनीय जीतेन्द्र जी 

प्रोत्साहन हेतु सादर आभार 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
22 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
22 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service