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माँ तुझे प्रणाम

  माँ तुझे प्रणाम

 

धरती सी सहनशील

हिमालय सी शालीन

जीवन का द्वार

स्नेह की बौछार

बस दुलार ही दुलार

ममता का साकार रूप

प्रभात की पहली धूप

प्रारब्ध के पुण्य का फल

पहली साँस महसूस कराने वाली

अंगुल पकड़ चलाने वाली

पहली शिक्षा देने वाली

सबसे पहले आंसू पोंछने वाली

आत्मविश्वास जगाने वाली

जो सब है मेरे पास

उसी का दिया है अहसास

मेरी ख़ुशी मे मुझसे ज्यादा ख़ुश

मेरे गम में मुझसे ज्यादा दुखी

हिम्मत और विश्वास दिलाने वाली

विचारों में सुगंध बसाने वाली  

अँधेरी राह में उजाला दिखाने वाली

नौ महीने मेरे लिए कष्टों को झेल कर

इस दुनिया में मुझे लाने वाली

माँ तुझे प्रणाम , माँ तुझे प्रणाम

तेरी ममता का स्पर्श

है आज भी मुझमें समाया

तुझे पाने के बाद ही

मैंने सब कुछ पाया

 

विजयाश्री

१५ .०४ .२०१३  

 

(मौलिक और अप्रकाशित )

  

 

 

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Comment

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Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 11, 2013 at 1:16pm

 माँ की जरूरत हर किसी को हर उम्र में होती है।                                                                                                      उसकी कमी बेटी को, हर पल महसूस होती है।                                                                                                              क्योंकि " माँ " बेटी की, सच्ची सहेली होती है॥

 सुन्दर रचना के लिए बधाई । 

Comment by vijayashree on June 13, 2013 at 1:22pm

सादर धन्यवाद्   डी.पी . माथुरजी एवं योगी सारस्वत जी  

Comment by D P Mathur on June 8, 2013 at 6:54pm

तुझे पाने के बाद ही मैने सब कुछ पाया ,
तुझ जैसा पावन रिश्ता दूसरा नही बन पाया,
प्यारी प्यारी भोली भाली आई को ,
इस प्रक्रति ने सबसे महान बनाया .......
इन लाइनों के साथ आपकी रचना का स्वागत,
भावुक रचना है। डी पी माथुर

Comment by Yogi Saraswat on April 17, 2013 at 11:38am

स्वागत ! बहुत खूब ! सुन्दर रचना

Comment by vijayashree on April 16, 2013 at 6:39pm

सादर धन्यवाद बृजेश जी

Comment by बृजेश नीरज on April 16, 2013 at 6:24pm

बहुत ही सुन्दर रचना! मेरी बधाई स्वीकारें।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 16, 2013 at 1:34pm

स्नेह की बौछार
बस दुलार ही दुलार
ममता का साकार रूप
प्रभात की पहली धूप .........वाह वाह क्या सुंदर रचना हुई है
सादर बधाई स्वीकार कीजिए आदरनेया

Comment by vijayashree on April 16, 2013 at 11:55am

सादर आभार Er. गणेश जी 'बागी'

Comment by vijayashree on April 16, 2013 at 11:53am

सादर आभार विजय निकोर जी

Comment by vijayashree on April 16, 2013 at 11:51am

सादर धन्यवाद् कुंती मुखर्जी जी

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