For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी कभी शब्द आकार नहीं लेते
और मैं बह जाती हूँ अक्षरों में

सुनो ध्यान से ये क्या कहते है ?

खामोश हैं ???

नहीं इनमे कलकल का नाद है

मधुर गीत है और विस्फोट की आवाज है

इनमे शोर है तो मौन शान्ति की तृप्ति है

इनमे खो जाना

ठीक उसी तरह से है

जैसे क्रियान्वयन से बहुत पहले  

भावनाओं में बहना..

ये बोलते है

दुनियाँ की हज़ार भाषाएं

इनमे समन्वित है कितनी ही भावनाएं|

आओ बह जाये अक्षरों में आज

रच लें अपने पसंद का संसार | ... 

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2013 at 7:45am

भावनाओं की अभिव्यक्ति की प्रारंभिक अवस्था शब्दाग्रह ही है. आपकी इस कोशिश पर दिल से बधाई...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 5, 2013 at 7:12pm

आदरणीया डॉ. नूतन जी,

अक्षरों का संसार जितना दृश्य व श्रव्य.. उससे कहीं ज्यादा अश्रव्य अनाभिव्यक्त..

पहला आयाम हमारी भावनाओं का जो शब्दाभिव्यक्ति की खोज में अक्षर संसार में कभी शांत तो कभी क्लांत मन ही मन उलझती रहती हैं

और दूसरा हमारे अध्यात्म के ज्ञान से निस्सृत बेहद गहन... कि शब्द नाद ही सृष्टि की अभिव्यक्ति का कारण भी है.

इस मनस-चिंतन को विस्तार देती अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 1:08pm

वाह! शब्द बनना, शब्दों की खामोशी को सुनना शब्द शब्द चलना और शब्दों की रो में बह जाना. सुन्दर रचना आदरणीया डॉ. नूतन डिमरी गैरोला जी.

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 11:57am

आदरणीया, डॉ नूतन डिमरी गैरोला जी,.बहुत सुन्दर  बधाई स्वीकारें।

Comment by vijay nikore on April 5, 2013 at 10:42am

//कभी कभी शब्द आकार नहीं लेते
और मैं बह जाती हूँ अक्षरों में//

नूतन जी, यह दो पंक्तियाँ ही बहुत कुछ कह गई हैं।

बधाई।

सादर,

विजय निकोर

 

 

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on April 5, 2013 at 9:24am

Sadar dhanyvaad Kunti ji..

Comment by coontee mukerji on April 5, 2013 at 1:58am

डॉ नूतन जी, शब्दों के भाव बहुत गहरे है. अति सुंदर .

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on April 4, 2013 at 11:18pm

धन्यवाद केवल जी ...

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 4, 2013 at 11:15pm

आदरणीया, डॉ नूतन डिमरी गैरोला जी,  अक्षर अर्थात शब्द इनकी तो बस भावनाएं ही हैं इनकी कोई जाति- धर्म, भेद -भाव नहीं होते हैं..बहुत सुन्दर चित्रण बधाई स्वीकारें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service