For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी कभी शब्द आकार नहीं लेते
और मैं बह जाती हूँ अक्षरों में

सुनो ध्यान से ये क्या कहते है ?

खामोश हैं ???

नहीं इनमे कलकल का नाद है

मधुर गीत है और विस्फोट की आवाज है

इनमे शोर है तो मौन शान्ति की तृप्ति है

इनमे खो जाना

ठीक उसी तरह से है

जैसे क्रियान्वयन से बहुत पहले  

भावनाओं में बहना..

ये बोलते है

दुनियाँ की हज़ार भाषाएं

इनमे समन्वित है कितनी ही भावनाएं|

आओ बह जाये अक्षरों में आज

रच लें अपने पसंद का संसार | ... 

Views: 472

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2013 at 7:45am

भावनाओं की अभिव्यक्ति की प्रारंभिक अवस्था शब्दाग्रह ही है. आपकी इस कोशिश पर दिल से बधाई...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 5, 2013 at 7:12pm

आदरणीया डॉ. नूतन जी,

अक्षरों का संसार जितना दृश्य व श्रव्य.. उससे कहीं ज्यादा अश्रव्य अनाभिव्यक्त..

पहला आयाम हमारी भावनाओं का जो शब्दाभिव्यक्ति की खोज में अक्षर संसार में कभी शांत तो कभी क्लांत मन ही मन उलझती रहती हैं

और दूसरा हमारे अध्यात्म के ज्ञान से निस्सृत बेहद गहन... कि शब्द नाद ही सृष्टि की अभिव्यक्ति का कारण भी है.

इस मनस-चिंतन को विस्तार देती अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 1:08pm

वाह! शब्द बनना, शब्दों की खामोशी को सुनना शब्द शब्द चलना और शब्दों की रो में बह जाना. सुन्दर रचना आदरणीया डॉ. नूतन डिमरी गैरोला जी.

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 11:57am

आदरणीया, डॉ नूतन डिमरी गैरोला जी,.बहुत सुन्दर  बधाई स्वीकारें।

Comment by vijay nikore on April 5, 2013 at 10:42am

//कभी कभी शब्द आकार नहीं लेते
और मैं बह जाती हूँ अक्षरों में//

नूतन जी, यह दो पंक्तियाँ ही बहुत कुछ कह गई हैं।

बधाई।

सादर,

विजय निकोर

 

 

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on April 5, 2013 at 9:24am

Sadar dhanyvaad Kunti ji..

Comment by coontee mukerji on April 5, 2013 at 1:58am

डॉ नूतन जी, शब्दों के भाव बहुत गहरे है. अति सुंदर .

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on April 4, 2013 at 11:18pm

धन्यवाद केवल जी ...

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 4, 2013 at 11:15pm

आदरणीया, डॉ नूतन डिमरी गैरोला जी,  अक्षर अर्थात शब्द इनकी तो बस भावनाएं ही हैं इनकी कोई जाति- धर्म, भेद -भाव नहीं होते हैं..बहुत सुन्दर चित्रण बधाई स्वीकारें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
7 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service